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prem के बारे में

मैं प्रेम बजाज एक रचनाकार, लेखन की दुनिया में आसमान की बुलंदियों से भी ऊंचा उठना मेरा सपना।

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पुरस्कार और सम्मान

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-05-21

prem की पुस्तकें

कुछ कहते हैं ये किस्से

कुछ कहते हैं ये किस्से

प्रेम, जुदाई, बदला , परोपकार, एवं शिक्षाप्रद कहानियां हैं इस पुस्तक में, एक बार अवश्य अवलोकन करें 🙏

19 पाठक
26 रचनाएँ
1 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 15/-

कुछ कहते हैं ये किस्से

कुछ कहते हैं ये किस्से

प्रेम, जुदाई, बदला , परोपकार, एवं शिक्षाप्रद कहानियां हैं इस पुस्तक में, एक बार अवश्य अवलोकन करें 🙏

19 पाठक
26 रचनाएँ
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₹ 15/-

क्या कभी ये हालात बदलेंगे ??

क्या कभी ये हालात बदलेंगे ??

इस पुस्तक में समसामयिक मुद्दों पर मेरे विचार, जो आज के हालात हैं और जो कल थे। आप इसे पढ़े और अपने विचार व्यक्त करें।

10 पाठक
14 रचनाएँ
1 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 14/-

क्या कभी ये हालात बदलेंगे ??

क्या कभी ये हालात बदलेंगे ??

इस पुस्तक में समसामयिक मुद्दों पर मेरे विचार, जो आज के हालात हैं और जो कल थे। आप इसे पढ़े और अपने विचार व्यक्त करें।

10 पाठक
14 रचनाएँ
1 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 14/-

प्रेम के जज़्बात

प्रेम के जज़्बात

प्यार भरे जज़्बात, अहसास से भरपूर रचनाएं हैं इस पुस्तक में 🙏

7 पाठक
32 रचनाएँ
1 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 12/-

प्रेम के जज़्बात

प्रेम के जज़्बात

प्यार भरे जज़्बात, अहसास से भरपूर रचनाएं हैं इस पुस्तक में 🙏

7 पाठक
32 रचनाएँ
1 लोगों ने खरीदा

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₹ 12/-

prem की डायरी

prem की डायरी

इस पुस्तक में प्यार भरी रचनाओं से आप रू-ब-रू होंगें, प्यार भरे एहसास, प्यार भरी तकरार, इसमें हर रंग आपको मिलेगा।

6 पाठक
6 रचनाएँ
1 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 14/-

prem की डायरी

prem की डायरी

इस पुस्तक में प्यार भरी रचनाओं से आप रू-ब-रू होंगें, प्यार भरे एहसास, प्यार भरी तकरार, इसमें हर रंग आपको मिलेगा।

6 पाठक
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1 लोगों ने खरीदा

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₹ 14/-

किसके नाम की मांग भरूं?

किसके नाम की मांग भरूं?

यह कहानी एक ऐसी औरत पर आधारित है, जिसे बचपन से ही लाल सुर्ख मांग अच्छी लगती थी, उसे मांग भरने का इतना शौंक था कि मांग भरने के मायने ना जानते हुए वो बचपन में खेल-खेल में मांग भरा करती थी, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

4 पाठक
13 रचनाएँ
1 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 11/-

किसके नाम की मांग भरूं?

किसके नाम की मांग भरूं?

यह कहानी एक ऐसी औरत पर आधारित है, जिसे बचपन से ही लाल सुर्ख मांग अच्छी लगती थी, उसे मांग भरने का इतना शौंक था कि मांग भरने के मायने ना जानते हुए वो बचपन में खेल-खेल में मांग भरा करती थी, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

4 पाठक
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1 लोगों ने खरीदा

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prem के लेख

मध्यम वर्गीय जीवन

30 सितम्बर 2024
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मध्यम वर्गीय परिवारअधिकांश क्या हुआ बेटा , इतना परेशान क्यूं है ??परेशानी की ही तो बात है मांँ , एक तो कारखाना बंद , फिर अपने घर का खर्च और उस पर ये दस-दस मज़दूरों का खर्च भी, कहां से आएगा पैसा?

रामधारी दिनकर

23 सितम्बर 2024
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रामधारी दिनकरस्वतंत्रता पूर्व विद्रोही कवि और स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रकवि माने जाने वाले, छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे।23 सितंबर 1908 सिमरिया घाट बेगुसराय, जिला बिहार, भारत श्

पितृपक्ष

18 सितम्बर 2024
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पितृपक्ष अथवा श्राद्ध क्या है?शास्त्रों के अनुसार जब हम पितृपक्ष में अपने पित्रों के निमित्त, अपनी सामर्थ्य अनुसार और श्रद्धा-पूर्वक जो श्राद्ध करते हैं, इससे हमारे मनोरथ पूरे होते हैं और घर-परिवार मे

पुरानी यादें

14 सितम्बर 2024
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पुरानी यादें आ दोस्त फिर से वही पूरानी यादें ताज़ा करेंगे, फिर से वही स्कूल के बैंच पर सबसे पीछे बैठने की होड़ लगायेंगे। आ दोस्त फिर से वही टैस्ट में सबसे ज्यादा नम्बर लाने की ज़िद

हिन्दी दिवस

13 सितम्बर 2024
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हिंदी दिवसये एक ऐसा संस्मरण है जो मेरे दिल पर अमिट छाप छोड़ गया। जब कोरोना का प्रकोप पूरे जोरों था, हमारे घर काम करने वाली बाई शीला के पति की कोरोना की वजह से मृत्यु हो गई। अकेली शीला कमान

उसके जवाब का इन्तज़ार

10 सितम्बर 2024
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उसके जवाब का इंतजाररमेश और आरती की शादी होने वाली है, और शादी से दो दिन पहले रमेश अचानक से रात के समय फोन करता है।रमेश,"हैलो.......,"हैलो ... हांँ रमेश बोलो क्या हुआ, इतनी रात गए फोन क्यूं

उसके जवाब का इन्तज़ार

10 सितम्बर 2024
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उसके जवाब का इंतजाररमेश और आरती की शादी होने वाली है, और शादी से दो दिन पहले रमेश अचानक से रात के समय फोन करता है।रमेश,"हैलो.......,"हैलो ... हांँ रमेश बोलो क्या हुआ, इतनी रात गए फोन क्यूं

अतृप्त आत्मा की आवाज़

6 सितम्बर 2024
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अतृप्त आत्मा की आवाज़ आलोक कपूर अपने आफिस में बैठे हैं , अचानक दरवाजा खुलता है ।एक खूबसूरत लड़की लगभग 20-25 साल की उम्र दरवाजे पर खड़ी अन्दर आने की इज़ाजत मांग रही है। अलोक कपू

प्यार की ताकत

6 सितम्बर 2024
0
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प्यार की ताकतसढौरा एक छोटा सा शहर। जी हां दोस्तों इसे गांव भी नहीं कह सकते और शहर भी नहीं, इसलिए इसे हम छोटा सा शहर ही कहेंगे। जहांँ गांँव वाली तहज़ीब और पर्दा भी है, शहर वाले चोंचले भी हैं। गांव

गुरु की महिमा

4 सितम्बर 2024
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गुरू की महिमा गुरू के बारे में जितना वर्णन किया जाए उतना कम है , गुरू की महिमा के लिए शब्द प्रयाप्य नहीं ।गुरू को ईश्वर का दर्जा दिया गया है।तभी तो कहा गया --गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु

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