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काग़ज़ क़े जज़्बात

2 अगस्त 2022

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ये झूठे वादे किस बात के

जब रूठोगे तुम हर बात पे

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क़ुबूल है हमें 

वो मोहब्बत भी

 ज़ो अधूरी है

हर चाहत में

मोहब्बत ही मुक्कमल हो

क्या ये ज़रूरी है

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