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राजनीतिक कविता

2 अगस्त 2022

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देश प्रेम है बातों में 

ये दिल से साले काले हैं

इस देश के नेता समझ चुके हैं 

लोग़ तो भोले भाले हैं


ये इतने हिम्मत वाले हैं 

कि करते रोज़ घोटाले हैं

इस देश के नेता समझ चुके हैं

लोग़ तो भोले भाले हैं

 हाँ देश के नेता दीमक़ हैं

ये देश लूट क़र खाते हैं 

देश में दंगे करवा कर

ये देश भक्त कहलाते हैं

कर्म धर्म क़ोई शर्म नहीं है

ये डाँकू कुर्शी वाले हैं


इस देश के नेता समझ चुके हैं

लोग़ तो भोले भाले हैं




राजनीति में लूट मची है

सबको सत्ता प्यारी है

चोर लाइन में लगे हुए हैं 

अगली उनकी बारी है

जनहित में ये जारी है

ये देश लूटने वाले हैं



 नेता कि तुम बातें देखो

कितनी सीधी साधी है

पर नेता में भी कुछ नेता

तो जेल से छूटे अपराधी हैं 

इन्हें देश जो सौंप दिया 

तो देश की पक्की बर्बादी है

बर्बाद ना हो ये देश तुम्हारा

रोक सको तो रोक लो 

जितनी है तुम सब में  ताक़त 

आज इसी में झोंक दो 

लूट ना ले क़ोई देश तुम्हारा 

जाओ उसे तुम टोक दो

समझा दो तुम नेता को

हम देश बदलने वाले हैं 

ख़याल मिटा दो अपने मन से 

क़ि लोग़ तो भोले भाले



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