हमारे बगल वाली बिल्डिंग में एक ऐसा परिवार है, जिनके यहाँ जब-तब एक पंडित जी आकर कोई न कोई पूजा-पाठ करते रहते हैं। वे लोग टोना-टोटकों में भी बड़ा विश्वास करते है। अभी पिछले हफ्ते की बात हैं। उसके घर में कुछ परेशानी चल रही थी तो उन्हें पंडित जी ने बताया कि घर की बड़ी बहु सुबह-सुबह हलुवा-पूड़ी बनाकर काले कुत्ते को खिलाएगी तो उनके घर में कोई परेशानी नहीं रहेगी। पंडित की बात मानकर उस घर की बड़ी बहु ने खुश होकर दूसरे दिन सुबह-सुबह हलुवा-पूड़ी बनायी और उसे लेकर सड़क पर काले कुत्ते की खोजबीन करने में जुट गयी। सुबह-सुबह जब मैं घूमने निकल रही थी तो मैंने उसे सड़क पर उसे हैरान-परेशान देखा तो मुझसे रहा न गया और मैंने उसे परेशानी का कारण पूछा तो वह बोली कि उसे काले कुत्ते को हलुवा-पूड़ी खिलाना है, लेकिन कोई काला कुत्ता ही नहीं दिख रहा है। मैंने सोचा कि बेचारी परेशान हो रही है तो थोड़ी मदद कर देती हूँ। मैंने उसे कहा कि चलो मेरे साथ और मंदिर के पास दो-तीन काले कुत्ते रहते हैं वही उन्हें खिला देना। मेरे बात सुनकर वह ख़ुशी से मेरे साथ चल दी। मंदिर पास ही था इसलिए हम जल्दी ही पहुँच गए। मंदिर पहुँचने पर वहां काले कुत्ते नज़र नहीं आये तो वह थोड़ी निराश हुई। उसे निराश होते देख मुझे भी अच्छा नहीं लगा कि मैं खामख्वाह उसे मंदिर तक काले कुत्तों के चक्कर में ले आयी। अब क्या किया जाय जैसे ही मैं सोच रही थी कि एक आदमी अपने एक काले कुत्ते को घूमते हुआ हमारे सामने से गुजरा तो मैंने उसे रुकने के लिए कहा और उस महिला को उसे हलुवा-पूड़ी खिलाने को कहा। वह महिला जैसे ही कुत्ते के पास गयी, पहले तो मालिक ने मना किया लेकिन जब हम दोनों ने थोड़ी विनती की तो वह मान गया। उस महिला ने झट से कुत्ते को हलुवा-पूड़ी खिलाई। कुत्ते को बड़े शौक से हलुवा-पूड़ी खाते देख वह बड़ी खुश हो रही थी। जैसे ही उसने हलुवा-पूड़ी चट की उस महिला ने ख़ुशी से उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा तो कुत्ते से उसका हाथ काट दिया। अचानक हुए हमले से वह जोर से चिल्लाई तो उसके मालिक ने उसे दूर किया। वह कुत्ते के मालिक को अनाप-शनाप बकने लगी तो वह भी उससे लड़ने लगा कि इसमें उसकी क्या गलती हैं, जानवर है उसका कोई भरोसा होता है क्या? मैंने जैसे-तैसे उन्हें शांत कराया और मैं उसे उसके घर वापस लेकर आ गयी। चलते-चलते मैंने उसे पूछा कि जब उसने हलुवा-पूड़ी खिला दिया तो फिर उसके सिर पर हाथ फिरने की क्या जरुरत थी, किसने कहा था ऐसा करने को तो, वह सुबकते हुए बोली कि पंडित ने कहा था और फिर सासु माँ ने भी समझाया था। मैं उसे उसके घर छोड़कर आयी तो उसकी हालत देख उसकी सास बजाय उसे हॉस्पिटल ले जाने पंडित जी को फिर से बुलावा भेजने की बात करने लगी तो मैं यह सोचकर वहां से खिसक गयी कि इनका कुछ नहीं हो सकता?
अब ऐसे लोगों को क्या कहियेगा, यही न
तू काली ओ नखरे वाली नखरा तेरा है अनमोल
ये काला कुत्ता काट खाएगा,
सच बोल ये काला ...