आज की दैनन्दिनी में 'बेस्ट सेलर प्रतियोगिता अप्रैल' में सम्मिलित मेरी 'होंठों पर तैरती मुस्कान' कहानी संग्रह में संग्रहीत ८ कहानियों के बारें में एक छोटी सी चर्चा प्रस्तुत है।
'गरीबी में डॉक्टरी' के उपरान्त यह मेरी कहानियों का दूसरा संग्रह है। संग्रह की कहानियाँ सीधे सरल शब्दों में सामाजिकता के ताने-बाने बुनकर मैंने पाठकों को कुछ न कुछ संदेश देने का प्रयास किया है। मेरे इस संग्रह की पहली शीर्षक कहानी 'होंठों पर तैरती मुस्कान' में जहाँ आप सरकारी कार्यालयीन व्यवस्था की कुछ रोचक झलकियाँ देखने के बाद जहाँ आपके चहेरे पर एक मुस्कान तैरने लगेगी वहीँ दूसरी ओर आप कुछ विचारशील जरूर होंगे। दूसरी कहानी 'अंधेरी राहों का चिराग' में एक ग्रामीण स्त्री के संघर्षमय जीवन की मार्मिक व्यथा-कथा को अनुभव कर मर्माहत हुए बिना नहीं रह सकेंगे। तीसरी कहानी 'घुटन' आपका ध्यान आकृषित कर बाल मन के मनोविज्ञान के दर्शन कराते हुए आपको उस स्थान पर छोड़ेगी, जहाँ आप विचारों के भंवर में फंसकर इस बेदर्द दुनिया की बेरूखी पर अपने कसैले हुए मन को सांत्वना देने की निष्फल कोशिश करते मिलेंगे। चौथी कथा 'हेमला जाट का भूत' मेरे द्वारा मुंशी अजमेरी ’प्रेम’ जी की काव्य शैली में रचित 'हेमलासत्ता' का रूपान्तरण है, जहाँ आप देखेंगे कि कैसे एक व्यक्ति ग्रामीण जनमानस में व्याप्त भूत-प्रेत के भय का लाभ उठाकर भूत का प्रपंच रचकर उन्हें डराता है, धमकाता है, जिससे कई लोग एक के बाद एक मरते चले जाते हैं, जिससे एक ठाकुर अपनी बहादुरी और चतुराई से कैसे छुटकारा दिलाता है, यह देखने को मिलेगा। पाँचवी कहानी 'अपनी-अपनी खुशी ' में मैंने 3 बाल श्रमिकों की अदृश्य पीड़ा को प्रस्तुत कर हम शहरी होते लोगों की ऑंखें खोलने का एक प्रयास किया है। छठवीं कहानी 'ढपली और झुनझुने का गणित' में आप देखेंगे कि कैसे दो युवा भिखारियों के गीतों और गायकी से प्रभावित होकर एक नेता उन्हें अपने चुनाव प्रचार के लिए रखता है और फिर वे कैसे पार्टी प्रवक्ता बनकर ढपली और झुनझुने का गणित अपने जैसे अन्य दूसरों को समझाने का काम करने लग जाते हैं। सातवीं कहानी 'माँ की सीख' में आप देखेंगे की कैसे एक माँ हर हाल में रहकर अपने घर-परिवार के लिए ताउम्र संघर्ष कर प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करती है। अंत में आठवीं कहानी 'श्रापित राजकुमार' में आप पायँगे कि कैसे एक बुढ़िया और लड़की एक श्रापग्रस्त राजकुमार को उसके श्राप से मुक्त कराने में सहायक बनते हैं और उसके साथ ही अपने दुःखों से भी मुक्ति पाते हैं।
कृपया इस कहानी संग्रह के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे, पढ़ने के उपरांत अपने विचार व्यक्त करना न भूलें।