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स्वच्छता का हाल खुशहाल या बेहाल?

23 मई 2022

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स्वच्छ भारत अभियान को लेकर कितने भी स्लोगन लिखवा लो, पोस्टर छपवा लो, अखबारों या टीवी में विज्ञापन चलवा दो या फिर घर-घर से नगर निगम की कचरा उठाने वाली गाड़ी में लाउड स्पीकर में जोर-जोर से गाने बजवा-बजवा लोगों की कान दुखवा लो, लेकिन बहुत से लोगों के कानों में तब भी जूं तक नहीं रेंगने वाली। जाने कौन से मिट्टी के बने होते हैं ऐसे लोग जो  शहर को अपना कचरा घर समझ बैठते हैं।  यूँ तो शहर में स्वच्छ भारत अभियान के चलते साफ़-सफाई के खूब ढोल पीटे जाते हैं और सर्वेक्षण के दौरान थोड़ा-बहुत साफ़-सफाई भी दिखाने के लिए होती हैं, लेकिन वीआईपी और वीवीआईपी के अलावा कुछ जगहों को छोड़ दें तो गन्दगी हर जगह पसरी मिल जाती है। घनी आबादी वाली बस्तियों में तो बुरा हाल रहता है, यहाँ तक स्वच्छता अभियान आ ही नहीं पाता है। घनी आबादी वाली बस्तियों के अलावा सरकारी कालोनियों का कम बुरा हाल नहीं रहता है।  हमने अपने घर के आगे तो स्वच्छता के अभियान को चार चाँद लगा रखे हैं।  आँगन हो या सीढ़ियों या फिर हमारा बगीचा सब चकाचक हैं।  लेकिन घर के पीछे वाले हिस्से का हाल मत पूछो, ऊपरी मंजिल में रहने वालों के मेहरबानी से गन्दगी का ऐसा नज़ारा देखने को मिलता है, बस देखते ही रह जाओ। पीछे बने चेम्बर तो नज़र ही नहीं आ रहे हैं।  इसी को देख हमने पहले तो पीडब्लूडी में शिकायत की तो वे वहां कचरा देख यह कहकर भाग खड़े हुए कि पहले नगर निगम से साफ़-सफाई कराओ तभी चेंबर की सफाई हो पाएगी।  नगर निगम में शिकायत की तो आजकल-आजकल करते दो दिन बाद उनका फ़ोन आया कि हमने कचरा उठा लिया, गीला कचरा जब सूखेगा तभी साफ़ होगा। अब जब हमने चेक किया तो वहां कचरा वैसा का वैसा। हमने फिर उन्हें फ़ोन मिलाया तो उनका कहना था कि शायद दूसरी जगह की सफाई कर ली होगी।  अब घर का पता, जोन नंबर, वार्ड नंबर, एक-एक जानकारी वे पूछते हैं फिर लिखते भी हैं , फिर भी देखिये सही जगह पर नहीं पहुँच पाते हैं, इसे क्या कहेंगे?  दुबारा शिकायत करने पर कहने लगे कि ऊपरी मंजिल में रहने वालों के नाम से शिकायत करो तो हम उन पर  फाइन लगाएंगे तो हमने उन्हें कहा कि जरूर लेकिन वे खुद आये और चेक करे और फिर फाइन जरूर लगाएं क्योंकि वे तो सुधरने से नहीं। हम तो कहते-कहते थक गए।  अब उन्होंने कल सुबह आने को कहा है देखते हैं क्या करते हैं? क्या वे अच्छे से सफाई करते हैं या नहीं और क्या वे बिल्डिंग में कचरा फेंकने वालों पर फाइन कर पाते है कि नहीं,  यह देखना बाकी होगा। क्योंकि उन पर क्या विश्वास करें, जो खुद ही सड़क पर कचरे को देखकर उठाने के जहमत नहीं करते हैं।  हम तो ठहरे सफाई के ठेकेदार  अपना कर्त्तव्य समझकर पूरे मोहल्ले का कचरा ढोते फिरते हैं।  सरकारी बिल्डिंग में सबसे नीचे तल पर रहने वालों को ऊपरी मंजिल में रहने वालों की वजह से कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, यह वे सभी लोग अच्छे से समझ सकते हैं जो निचले तल पर रहते हैं या कभी रहें होंगे। 

इस बारे में आप क्या कहेंगे? क्या आपके शहर का भी ऐसा ही हाल है या आप इस मामले में खुशहाल हैं? जरूर बताएं।  


काव्या सोनी

काव्या सोनी

Is मामले ज्यादा तो nhi पर जरा सुधार जरूर h aapki har sahi h aksr bas स्वछतासिर स्लोगन और अभियान में ही रह जाती है आस पास के aera me nhi

27 मई 2022

Monika Garg

Monika Garg

सही कहा आपने कृपया मेरी रचना पढ़कर समीक्षा दें https://shabd.in/books/10086366

24 मई 2022

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रचनाएँ
दूर-पास की बातें (दैनन्दिनी मई, 2022)
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5 मई 2022
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8 मई 2022
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मेरे साथ ही मेरे पति, बेटे और बेटी चारों को पशु-पक्षियों से बड़ा प्रेम हैं। यह बात हमारे अड़ोसी-पड़ोसी ही नहीं बल्कि जान-पहचान और रिश्तेदार भी भलीभांति जानते हैं। हमारे इसी पशु-पक्षी प्रेम को देखते ह

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10 मई 2022
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एक दिन सब साथ मिलेंगे   होगा सुखद जीवन सफर।    विचलित न होना पथ से  चाहे बिखरे हों शूल अनेक  मिले सफर में कोई भी  रखें भावना दिल में नेक  भले ही दूर दिखे मंजिल   ध्यान रहें न रुके डगर  यदि दि

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पेड़-पौधे प्राकृतिक सुंदरता के घर हैं

11 मई 2022
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इन दिनों भीषण गर्मी के साथ ही लू के थपेड़ों से लोगों में हाहाकार मचा है। मैं जब सुबह घर से निकलकर १० बजे ऑफिस पहुँचती हूँ तो चिलचिलाती धूप में ऐसा आभास होता है जैसे सुबह के १० नहीं १२ बज गए हों। रा

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13 मई 2022
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दाम करे सब काम पैसा मिले घोड़ी चले   पार लगावे नैया  बाप बड़ा न भैया  सबका प्यारा रुपैया   मेला लगता उदास  गर पैसा न हो पास ठन-ठन गोपाल का कौन करता विश्वास वह भला मानस कैसा जिसकी जेब में न

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होंठों पर तैरती मुस्कान' कहानी संग्रह पर चर्चा

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आज की दैनन्दिनी में 'बेस्ट सेलर प्रतियोगिता अप्रैल' में सम्मिलित मेरी 'होंठों पर तैरती मुस्कान' कहानी संग्रह में संग्रहीत ८ कहानियों के बारें में एक छोटी सी चर्चा प्रस्तुत है।  'गरीबी में डॉक्टरी' के

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22 मई 2022
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कल सोशल साइट्स पर चाय दिवस के अवसर पर बड़ा हो-हल्ला मचा था। सोचा लगे हाथ मैं भी कुछ लिखती चलूँ तो घर की कामों में अब-तब करते-करते सुबह से रात कब हो गयी पता ही नहीं चला। दरअसल घर में पिछले हफ्ते राजस्था

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23 मई 2022
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आज सुबह जैसे ही घर से घूमने निकली तो बारिश के एक लहर बाहर मेरे स्वागत के लिए तैयार बैठी मिली।  भीषण गर्मी के बाद स्वागत करने वाली बारिश की पहली पहल बूँदे मेरे तन-बदन पर क्या पड़ी कि मुझे मेरा बचपन याद

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आज मेरे बेटे का १०वीं सीबीएसई बोर्ड का आखिरी पेपर था। जब मैं शाम को ऑफिस से घर आयी तो मुझे उसके चहेरे पर रौनक दिखाई दी। आखिर रौनक आती क्यों नहीं, अब जाकर तो बेचारे को पिछले माह की २७ तारीख से आज दिनां

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जब हमें एक-एक कर सहयोगी मिलते चले जाते हैं, तब हमारे लिए कोई भी काम कठिन नहीं रह जाता है। अभी तीन दिन पहले मैंने दैनन्दिनी में दान-पहल की ख़ुशी की बात लिखी थी। जिसमें मैंने बताया था कि हमारे उत्तराखंड

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