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समाज की शक्ति एकता में निहित होती है

30 मई 2022

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जब हमें एक-एक कर सहयोगी मिलते चले जाते हैं, तब हमारे लिए कोई भी काम कठिन नहीं रह जाता है। अभी तीन दिन पहले मैंने दैनन्दिनी में दान-पहल की ख़ुशी की बात लिखी थी। जिसमें मैंने बताया था कि हमारे उत्तराखंड के गांव में विभिन्न कार्यक्रमों में काम आने वाली सामग्री की आवश्यकता के लिए वहां के ग्राम प्रधान ने प्रवासियों द्वारा स्थापित ग्राम सुधार समिति नाम के व्हाट्सएप ग्रुप में लिखा कि उन्हें गांव के लिए जरुरी सामान खरीदी के लिए पैसों की आवश्यकता है, जिसमें मैंने उन्हें सामान की सूची तैयार कर पोस्ट करने को कहा तो उनके द्वारा पोस्ट किये जाने पर मैंने उस सूची में से २ पतीलों को अपनी ओर से दान का कहकर और लोगों से भी अपील की कि वे भी इसी तरह अपनी सामर्थ्यानुसार सामान दान देने के लिए आगे आये।  आज मुझे ख़ुशी है कि मेरी यह पहल सार्थक हो रही है और जिस सामान की गांव के लोगों को जरुरत थी उसे ग्रुप के सदस्य एक-एक कर आगे आकर दान में देते हुए धीरे-धीरे उसकी पूर्ति करते चले जा रहे हैं। इस बारे में मैंने आज फिर ग्राम प्रधान को एक अपील लिखकर उनके तरफ से ग्रुप में डालने को कहा है, ताकि उनके कहे अनुसार लोगों में जागृति आये।  क्योंकि मैं जानती हूँ लोगों को जब तक एक-एक को जगाओ नहीं,  वे जागते नहीं हैं। वे एक-दूसरे को सोते देख सोते हैं और जागते देख जाग जाते हैं।  देखा-देखी ही सही इससे गांव का भला ही होगा, यह बात मैं अच्छे से समझती हूँ। 

मैंने ग्राम प्रधान के माध्यम से उन्हें प्रेरित करने के लिए जो लिखा है, उसका संक्षेप रूप कुछ इस प्रकार है। गांव की भलाई सभी लोगों की साझेदारी से संभव हो सकेगी। गांव के लिए कुछ करने का जज्बा जब किसी के भी मन में आएगा तो उसके संकीर्ण विचार स्वयमेव ही समाप्त हो जाएंगे। हृदय में आत्म विश्वास जागृत होगा। एक-दूसरे के विचार-भावनाओं में सामंजस्य बैठेगा और परस्पर एक-दूजे के लिए समर्पित भाव होंगे तो गांव के विकास का मार्ग खुल जायेगा। क्योंकि कोई भी गांव, परिवार हो, पाठशाला हो, मित्र मंडली हो, मोहल्ला हो, समाज हो, क्षेत्र हो अथवा देश हो- सबकी उन्नति-समृद्धि की नींव आपसी सहयोग और प्रेम-भाव पर ही है- नफरत, नकारात्मक सोच तो अवन्नति का ही मार्ग है। यह सार्वभौमिक सत्य है जहाँ आपसी सहयोग, प्रेम-स्नेह का घर होगा वहां स्वार्थ-लालच का भाव नहीं पनपेगा।  पारस्परिक सहयोग और स्नेह-भाव को मूर्त रूप देने के लिए समितियां गठित की जाती हैं।  लेकिन यदि उन्हें नए मुकाम, सर्वोन्मुखी प्रगति की ओर बढ़ना है, तो इसके लिए यह जरुरी होगा कि वे अपने उदासीन रवैए को तिलांजलि देते हुए, स्वार्थगत, पूर्वाग्रहगत, अहमगत भाव से बंधनमुक्त होकर गांव के चौमुखी विकास की ओर ले जाने हेतु कदम से कदम मिलकर चले। इसके लिए जो जहाँ भी हो, अपनी सामर्थ्य और क्षमता के साथ स्व एवं ग्राम-परिवार के सर्वोन्मुखी विकास/प्रगति हेतु पूर्ण निष्ठा के साथ सहयोग कर सकता है। यदि हर व्यक्ति 'आत्म दीपो भव' की परिकल्पना के साथ गांव का सच्चा सेवक बनकर और नित्य नए उत्साह के साथ गांव की सेवा के लिए आगे आएगा तो एक जुट, एक मुठ की पारस्परिक एकता गांव को एक आदर्श ग्राम बना देगा। क्योंकि सबको यह समझना जरुरी है कि हमारा समाज हाथ की पांच उंगलियों के समान है। जहाँ कोई छोटी है, कोई बड़ी, सभी असमान हैं, लेकिन हाथ से किसी चीज को उठाना है तो पांचों इक्ट्ठा होकर उठाती है।  इस प्रकार पांचों उंगलियों के सहयोग से हाथ काम करता है। उसमें से एक भी छूट जाए अथवा असहयोग कर बैठे तो कार्य सुगमता से नहीं हो पाता है। एक के लिए सब और एक सबके लिए एक, एकता की पहचान है। उद्देश्य, विचार आदि में सब लोगों का मिलकर एक होना एकता है। जलती हुई लकड़ियां अलग अलग होने पर धुआं फेंकती हैं और एक साथ होने पर प्रज्वलित हो उठती हैं। पानी की एक बूंद यदि आग में पड़ जाय तो अपना अस्तित्व खो बैठती हैं, पर यदि हजारों बूंद मिलकर उस पर पड़ती है तो उसे बुझा देती है। विचार और उद्देश्य की एकता के कारण आज कई गांव आदर्श ग्राम बन गए। विभिन संगठनों की शक्ति उनकी एकता में ही निहित होतीे है। जिस परिवार, समाज, दल या राष्ट्र में लोग अपना अपना राग आलापेंगे, अपनी डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग अलग बनाएंगे, अपने स्वार्थ हेतु भेद बुद्धि पैदा करेंगे, तो निश्चय ही वहां अकेला चला भाड़ नहीं फोड़ सकेगा। सबकी एकता और हर एक सदस्य के सहयोग से ही कोई भी ग्राम एक आदर्श ग्राम की पहचान बना सकता है।  

 Dr.Jyoti Maheshwari

Dr.Jyoti Maheshwari

Your article is very motivational for society.

1 जून 2022

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रचनाएँ
दूर-पास की बातें (दैनन्दिनी मई, 2022)
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इस डायरी में मैं लेकर आयी हूँ कुछ दूर-पास की बातें। ये दूर-पास की बातें क्या हैं? इसके लिए डायरी पढ़ना न भूलें।
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अक्षय तृतीया में शादी-ब्याह की धूम

3 मई 2022
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हमारे हिन्दू धर्मग्रंथों में आज अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ग से पृथ्वी पर माता गंगा, माता अन्नपूर्णा, भगवान परशुराम, नर-नारायण व हयग्रीव का अवतरण के साथ ही भगवान गणेश द्वारा महाभारत ग्रन्थ और त्रेता

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उसे तूफानों से टकराना ठीक नहीं

5 मई 2022
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कपोल कल्पित कल्पना में जीने वाले  हकीकत का सामना करने से डरते हैं  जो हौंसला रखते सागर पार करने की  वह कभी नदियों में नहीं डूबा करते हैं  ऊंचाईयों छूने की इच्छा रखते हैं सभी   पर भला भरसक यत्न

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सबका ख्याल रखना होता है माँ को

8 मई 2022
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मेरे साथ ही मेरे पति, बेटे और बेटी चारों को पशु-पक्षियों से बड़ा प्रेम हैं। यह बात हमारे अड़ोसी-पड़ोसी ही नहीं बल्कि जान-पहचान और रिश्तेदार भी भलीभांति जानते हैं। हमारे इसी पशु-पक्षी प्रेम को देखते ह

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होगा सुखद जीवन सफर

10 मई 2022
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एक दिन सब साथ मिलेंगे   होगा सुखद जीवन सफर।    विचलित न होना पथ से  चाहे बिखरे हों शूल अनेक  मिले सफर में कोई भी  रखें भावना दिल में नेक  भले ही दूर दिखे मंजिल   ध्यान रहें न रुके डगर  यदि दि

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पेड़-पौधे प्राकृतिक सुंदरता के घर हैं

11 मई 2022
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इन दिनों भीषण गर्मी के साथ ही लू के थपेड़ों से लोगों में हाहाकार मचा है। मैं जब सुबह घर से निकलकर १० बजे ऑफिस पहुँचती हूँ तो चिलचिलाती धूप में ऐसा आभास होता है जैसे सुबह के १० नहीं १२ बज गए हों। रा

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सबका प्यारा रुपैया

13 मई 2022
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दाम करे सब काम पैसा मिले घोड़ी चले   पार लगावे नैया  बाप बड़ा न भैया  सबका प्यारा रुपैया   मेला लगता उदास  गर पैसा न हो पास ठन-ठन गोपाल का कौन करता विश्वास वह भला मानस कैसा जिसकी जेब में न

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होंठों पर तैरती मुस्कान' कहानी संग्रह पर चर्चा

15 मई 2022
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आज की दैनन्दिनी में 'बेस्ट सेलर प्रतियोगिता अप्रैल' में सम्मिलित मेरी 'होंठों पर तैरती मुस्कान' कहानी संग्रह में संग्रहीत ८ कहानियों के बारें में एक छोटी सी चर्चा प्रस्तुत है।  'गरीबी में डॉक्टरी' के

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ये काला कुत्ता काट खाएगा

18 मई 2022
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हमारे बगल वाली बिल्डिंग में एक ऐसा परिवार है, जिनके यहाँ जब-तब एक पंडित जी आकर कोई न कोई पूजा-पाठ करते रहते हैं।  वे लोग टोना-टोटकों में भी बड़ा विश्वास करते है।  अभी पिछले हफ्ते की बात हैं।  उसके घर म

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चाय पियो जी गरम-गरम

22 मई 2022
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कल सोशल साइट्स पर चाय दिवस के अवसर पर बड़ा हो-हल्ला मचा था। सोचा लगे हाथ मैं भी कुछ लिखती चलूँ तो घर की कामों में अब-तब करते-करते सुबह से रात कब हो गयी पता ही नहीं चला। दरअसल घर में पिछले हफ्ते राजस्था

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स्वच्छता का हाल खुशहाल या बेहाल?

23 मई 2022
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स्वच्छ भारत अभियान को लेकर कितने भी स्लोगन लिखवा लो, पोस्टर छपवा लो, अखबारों या टीवी में विज्ञापन चलवा दो या फिर घर-घर से नगर निगम की कचरा उठाने वाली गाड़ी में लाउड स्पीकर में जोर-जोर से गाने बजवा-

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जैसी परे सो सहि रहे

24 मई 2022
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आज सुबह जैसे ही घर से घूमने निकली तो बारिश के एक लहर बाहर मेरे स्वागत के लिए तैयार बैठी मिली।  भीषण गर्मी के बाद स्वागत करने वाली बारिश की पहली पहल बूँदे मेरे तन-बदन पर क्या पड़ी कि मुझे मेरा बचपन याद

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भैया मेरा बड़ा हुआ

25 मई 2022
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आज मेरे बेटे का १०वीं सीबीएसई बोर्ड का आखिरी पेपर था। जब मैं शाम को ऑफिस से घर आयी तो मुझे उसके चहेरे पर रौनक दिखाई दी। आखिर रौनक आती क्यों नहीं, अब जाकर तो बेचारे को पिछले माह की २७ तारीख से आज दिनां

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दान-पहल की ख़ुशी

27 मई 2022
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हमारे उत्तराखंड के गांव में खेती-बाड़ी करके किसी का घर नहीं चल पाता है, इसलिए प्राय: हर घर से कोई न कोई काम-धंधे के तलाश में शहर आकर बस जाता है।  क्योंकि हमारे गांव से बड़े शहरों में दिल्ली सबसे निकट है

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मेरी भूली-बिसरी यादों का पिटारा

28 मई 2022
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आज मुझे बेस्ट सेलर प्रतियोगिता मई 2022 के लिए अपनी भूली-बिसरी यादों के पिटारे को पूर्ण कर बड़ी ख़ुशी हो रही है। क्योंकि एक समय था जब इस पुस्तक में अधिकांश संस्मरण देश के विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाश

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समाज की शक्ति एकता में निहित होती है

30 मई 2022
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कई रोगों की जड़ है तम्बाकू/धूम्रपान

31 मई 2022
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  तम्बाकू/धूम्रपान जनित कुछ प्रमुख रोगों के बारे में जानिए और आज ही छोड़ने का संकल्प कीजिए-   कैंसर: तम्बाकू के धुएं से उपस्थित बेंजपाएरीन कैंसर जनित रोग होता है। लगभग 95 प्रतिशत फेफड़ों के कैंसर क

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