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कली   गुलाब   की

5 अप्रैल 2022

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कली   गुलाब   की

“ हसरत- ए – दीदार  लेकर  जाग  उठी   रात  भी
   चादर- ए-शबनम में लिपटी एक कली गुलाब की “

“ सावन  की  घटाओं  में  थिरकती  बूंदें  पानी  की
   तेरी ज़ुल्फ़ों  से  छिटकी तो होने लगी बरसात सी “

“ काफ़िले  यादों  के गुज़रे तन्हाई की  राहों से जब
   सुलगती  निग़ाहों  को  थी अश्क़ों की तलाश भी “

“ कारवां   ये  अश्क़   के   या  मोतियों   की   लड़ी

  चल   पड़ी   राहेनिगाह   से  तारों  की बारात सी “

“ एक  अंगड़ाई  ने  तेरी मौसम का बदला मिज़ाज
   फिर   उठा  तूफां  कोई   जब  चली  सैलाब  सी “

“ छू   गया  एक  सर्द  सा झोंका हवा का तारे दिल
   फिर  किसी  शोले  से भड़की जंगलों में आग सी “

“ हसीं जलवों से महका जो महफ़िल का कोई कोना
   मचल  के आबगीनों में  तू छलकी  फिर शराब सी “

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काव्या सोनी

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5 अप्रैल 2022

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कविताओं में ढले जज़्बात
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25 अप्रैल 2022
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इक दबी हुई चिंगारी सेकुछ शोले भड़काने के लिए , अलमस्त परिंदे जो ठहरेआये है चले जाने के लिए I कल याद न आए तुमको गरतो क़सूर नहीं कोई तेरा ,मैं आज छिड़ा ऐसा नग़माकल तलक भूल जाने के लिए Iखुशियों की

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