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फूल 

17 अप्रैल 2022

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चहक  उठा  नन्हा   सा   परिंदा   मन   का ,
बिख़ेर  ख़ुश्बू  जब  फ़िज़ा  में मुस्कराया  फूल 
एक  अर्से  से   दबी  चिंगारी  फिर  भड़की ,   
पुरानी किताब में जो सूखा  नज़र  आया  फूल 
नन्ही  सी बूंद  मिट्टी से मिल  के उठी  महक ,
जैसे बादल  ने   दामन  से   हो   बरसाया  फूल 
किसी  ने फेंका  एक  पत्थर जो  मचाने हलचल ,
दर्द  ने  ज़ज़्बातों  की  झील   में  खिलाया  फूल 

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Alok Saxena

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धन्यवाद

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