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कामिनी एक अजीब दास्तां। भाग 2

18 जनवरी 2022

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Ch 2 - Untitled Chapter

 कामिनी भाग 2

 
वह लड़की पानी में डूब रही है आकाश को कहीं से भी मदद की कोई उम्मीद नजर नहीं आती, इसीलिए वह स्वयं ही उस लड़की को बचाने के लिए पुल से नीचे कूद जाता है और नदि के तल तक जा पहुंचता है। वहां अत्यधिक किचड़ ओर वृक्षो की जड़ो में उलझ जाता है, वह निकलने का बहुत  प्रयास करता पर निकल नहीं पाता है, वह सांस न लें पाने के कारण उसका जी घबरा रहा है, इस जानलेवा घूटन को वह सह नहीं पाता है और आखिर अपनी रजाई को फेंक कर बिस्तर पर बैठ जाता है।

नींद खुलते ही उसे यह समझ आ जाता है कि यह एक डरावना सपना था पर अभी उसके हृदय की बहुत तेज गति थमी नहीं है इसीलिए वह लंबी लंबी सांसे लेकर अपने हृदय की गति को संतुलित करता है  फिर खिड़की की तरफ देखता है  जो बंद है तभी उसके दरवाजे की ओर से स्टेशन मास्टर केदारनाथ की आवाज आती है की

"उठ जाइए आकाश बाबू"! सुबह हो गई है।

"ठीक है सर! आता हूं। आकाश ने जवाब दिया

फिर आकाश खिड़की खोल कर देखता है उसे ना तो पूल पर कोई नजर आता है और ना ही नदी में कोई हलचल नजर आती है, फिर आकाश अपने दैनिक कर्म कर स्टेशन कक्ष में अपनी कुर्सी पर बैठ जाता है, तभी वहां एक ट्रेन रूकती है, ट्रेन में से चार बेहद खूबसूरत लड़की बाहर आती है और फिर कई लोग उतरते हैं, आकाश इनके रहन-सहन और हाव-भाव से समझ जाता है कि यह सभी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग हैं जो शायद यहां फिल्म की शूटिंग करने आए हैं, उन लोगों में से लगभग एक 50 वर्षीय व्यक्ति आकाश से मुखातिब होकर कहता है

"गुड मॉर्निंग यंग ब्वॉय! "माय नेम इज मिराज मुखर्जी, आई एम फिल्म डायरेक्टर, मैं यहां अपनी फिल्म की शूटिंग करने आया हूं इसीलिए यहां के स्टेशन मास्टर से मिलना चाहता हूं।

आकाश खिड़की के अंदर से कहता है "आप रूम नंबर 5 में चले जाइए"।

"थैंक्यू यंग ब्वॉय"।

कुछ देर बाद स्टेशन मास्टर आकाश के पास आता है वह कहता है।"आकाश! "मुंबई से कुछ लोग शूटिंग के लिए यहां आए हैं, उन्होंने मुझसे निवेदन किया है कि वह हमारे स्टेशन पर शूटिंग करना चाहते हैं, मैंने उनसे कल का कह दिया है, इसीलिए वह आज गांव में शूटिंग करेंगे, मैं उनको गांव के सरपंच से मिलाने ले जा रहा हूं, तब तक स्टेशन की सारी जिम्मेदारी तुम्हारे कंधों पर है और तुम इस कुर्सी को छोड़ो, टिकट तो दिन भर में चार-पांच मुश्किल से कटेंगे, थोड़ा बाहर निकलो, घूमो फिरो यार, मैं चला भूतों का इलाका फिल्म में एक्टिंग करने आ हा"।

"ओके सर"आकाश ने हंसकर जवाब दिया

फिर केदारनाथ उन सभी लोगों को अपने साथ लेकर गांव की ओर बढ़ता है, पुल पार करते समय यह सभी लोग उस पागल प्रोफ़ेसर को देखते हैं, जो इस वक्त अपने हाथों में एक कपड़े का बैनर लिए खड़ा है और जिस पर साफ शब्दों में लिखा है की 20 साल के युवक का गांव में आना मना है

तभी केदारनाथ उन सभी लोगों को आश्वस्त करते हुए कहते हैं । "आप सभी लोग इस पागल पर ध्यान मत दो यह अनजान लोगों को ऐसे ही डराता है"।

वहीं दूसरी तरफ आकाश अपनी कुर्सी से उठकर बाहर आता है जहां उसे स्टेशन कांस्टेबल और खलासी बात करते हुए नजर आते हैं आकाश उनके नजदीक जाकर उनसे कहता है "क्या आप दोनों इसी गांव के हैं"।

"मैं तो इसी गांव में रहता हूं आकाश बाबू! पर कांस्टेबल गोपाल नाथ जी बिहार से हैं"। खलासी धर्मदेव ने कहा

"तुम कहां से हो आकाश बाबू"। कांस्टेबल गोपाल नाथ ने पूछा

"महाराष्ट्र"! "क्या आपके गांव में कोई ऐसी लड़की है जो हमेशा दुल्हन की तरह सजी रहती है"। आकाश ने धर्मदेव से पूछा

"हमारे गांव में लड़कियां तो बहुत हैं पर कोई दुल्हन नहीं बन पाती है गांव की सारी लड़कियां कुवांरी है"। धर्मदेव ने जवाब दिया

"इसकी कोई खास वजह"। आकाश ने आश्चर्य से पूछा

"गांव के सारे लड़के नदी के घाटों के किनारे और लाल टेकरा के खंडहरों में रहते हैं, कोई भी शादी नहीं करना चाहता इसीलिए कोई घर भी नहीं आता, पूछो तो कहते हैं हमें तो सब कुछ मिल गया," "पता नहीं क्या मिल गया है उन्हें"कोई कहता है गांव की नदी कामिनी देवी का श्राप है तो कोई कहता है यह सभी चरस गांजा का नशा करते हैं, पता नहीं सच्चाई क्या है? "इसीलिए कोई भी गांव के लड़के से अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहता है पास के गांव में मैंने भी अपनी बेटी की शादी तय की है अगले हफ्ते मेरी बेटी की शादी है, आप भी जरूर आना आकाश बाबू"।

"जी जरूर आऊंगा"। आकाश ने गंभीर भाव से कहा

धर्मदेव की यह अजीब बातें सुनकर आकाश के चेहरे का रंग हुड जाता है, उसके मन में सवाल आता है कि यहां आखिर ऐसा क्यों हो रहा है, इस पहेली का उत्तर उसे आकर्षित करता है और उसके कदम खुद-ब-खुद उसे फिर उसी पुल के सामने ले आए हैं।

इस वक्त तो पुल पर कोई नहीं है इसीलिए आकाश आज पुल पार कर सच्चाई के समीप पहुंचने के लिए पुल पार करता है, जहां उसे पागल प्रोफ़ेसर का एक छोटा सा झोपड़ा दिखाई देता है पर वहां इस वक्त कोई नहीं है ।
आकाश को अपने चारों और अजीबपन महसूस हो रहा है उसे लग रहा है कोई है।

तभी आकाश के पेड़ के पास एक आम का फल गिरता है और आकाश उसे उठा लेता है तभी एक मनमोहक आवाज आकाश के कानों में पड़ती है

"मेहनत करें हम और आम के मजे लो तुम, यह तो बड़ी गलत बात है"।

आकाश इधर उधर देखता है पर उसे कोई नजर नहीं आता तभी आकाश को फिर आवाज सुनाई देती है।

"इधर उधर क्या देख रहे हो बाबू, पेड़ के ऊपर देखो"।

आकाश पेड़ पर देखता है तो उसे वही लड़की दिखाई देती है जो कल उसे पुल पर मिली थी और जिसने उसका भयानक सपना भी देखा था पर आज वह दुल्हन की तरह नहीं सजी है आज वह लड़की सादे सूट में है।

"ओह, तुम हो"! "आज सादे कपड़े क्यों पहने हैं,? दुल्हन बनने का शौक खत्म हो गया तुम्हारा"। आकाश आम चूसते हुए कहा

"हां"! "मैंने अब उसका इंतजार करना छोड़  दिया है, आ ,,आ,, वह डाली टूट जाती है जिस पर वह लड़की बैठी थी और सीधे आकाश पर आ गिरती है पर आकाश को यह दुर्घटना बड़ी अच्छी लगती है और उसके स्पर्श होते ही उसे ऐसा अनुभव होता है जैसे सब कुछ मिल गया हो, स्पर्श का हर रोमांच उसे भीतर तक आनंदित कर देता है, आकाश को लगता है इस स्पर्श से सुखद और कोई भाव नहीं है,शायद इसीलिए उसे न तो गिरने की कोई पीड़ा है और ना ही अपने शरीर पर पड़े उस लड़की के भार से कोई तकलीफ, जैसे उसने अपना सबकुछ इन पलों को समर्पण कर दिया है और उसके सुंदर चेहरे को निहार रहा है।

"जल्दी उठो और भागो यहां से, यह पेड़ उस पागल प्रोफ़ेसर का है अगर उसने हमें यहां पर से आम ले जाते देख लिया तो पत्थर से हमारा सर फोड़ देगा"। लड़की ने कहा

फिर आकाश संभलता है वह लड़की आम के सारे फलों को अपनी टोकरी में रखती है और उस टोकरी को अपनी लहलहाती कमर पर रख चल देती है और उसके पीछे पीछे आकाश भी चल देता है।

कुछ दूर चलने के बाद नदी के तट पर वह लड़की अपनी आम की टोकरी रख कर बैठ जाती है और उसके पास आकाश भी बैठ जाता है, 5 पल चुपचाप बैठने के बाद दोनों एक साथ हंसने लगते हैं।

"तुम्हें चोट तो नहीं लगी बाबूजी"।

"बहुत जोर से लगी है"। आकाश ने कहा

"कहां लगी बताओ"।

आकाश इस लड़की का हाथ अपने हाथ में लेकर अपने सीने पर रखता है और कहता है "यहां लगी"।

"मुझे लगता है आप अपना दिल हार गए बाबू"। लड़की ने इतराते हुए कहा

"हां हार गया"। आकाश ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा

"तो मैं मान लूं, आज से तुम्हारा दिल मेरा"। 

"हां आज से मेरा दिल तुम्हारा"।

"तो मैं तुम्हारा दिल निकाल कर खा जाऊं"। लड़की ने शैतानी भाव से कहा

"हां खा जाओ"। आकाश ने समर्पण भाव से कहा

तभी वह लड़की आकाश का हाथ अपने हाथ में लेकर कहती है - "तुम्हारा दिल सच्चा है इसीलिए नहीं खा सकती अगर झूठा होता तो इस आम की तरह उसे भी खा जाती"।

"आई लव यू"। आकाश ने कहा

"यह क्या होता है"। लड़की ने पूछा

"मैं तुमसे प्रैम करने लगा हूं, क्या तुम मुझसे शादी करोगी?

"शादी करने के लिए ही तो मैं यहां भटक रही हूं पर आज तक कोई वफादार यार नहीं मिला"। लड़की ने जवाब दिया

तभी आकाश उस लड़की को अपनी बाहों में भर कर कहता है - "मैं तुम्हें इतनी वफा दूंगा कि तुम्हारी सारी भटकन खत्म हो जाएगी, आज तुम्हें छूकर मेरे अधूरेपन की वजह खत्म हो गई है, इसके लिए थैंक यू सो मच।

"चलो इसी वक्त शादी कर लेते हैं"। लड़की ने कहा

"मेरी एक बहन है एक भाई है, मुझ पर उनकी जिम्मेदारी है, पहले मेरी बहन की शादी हो जाने दो,और मुझे अपनी सारी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाने दो फिर हम शादी करेंगे"। आकाश ने कहा

"आज रात 12:00 बजे यहां आ जाना मैं तुम्हें तुम्हारी सारी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दूंगी"।

"वह कैसे"?

"अगर मुझ पर विश्वास हो तो 12:00 बजे आ जाना"।

तभी दूर से आवाज आती है  "आकाश बाबू"।

"यह तो धर्मदेव की आवाज है"। लड़की ने कहा

"हां उन्हीं की है, क्या तुम उन्हें जानती हो?

"मैं तो सबको जानती हूं पर मुझे कोई नहीं जानता है"। लड़की ने अजीब ढंग से कहा

"अच्छा"! "अब चलता हूं। आकाश ने टोकरी में से 2 आम उठाते हुए कहा

"सुनो"! "यह आम छुपा कर ले जाना है, तुम ही खाना, किसी और को मत देना"। लड़की ने निवेदन करते हुए कहा

"प्यार कर लिया, गले मिल लिए, पर तुमने अपना नाम नहीं बताया"। आकाश ने जाते हुए पलटकर पूछा

"जिसने इस गांव को घेर कर अपने वश में कर लिया वही नाम है मेरा"।

"मतलब इस नदी का नाम, "कामिनी है तुम्हारा नाम"। आकाश तर्क युक्त जवाब दिया

फिर आकाश अपने हाथों में आम लिए दौड़ता हुआ स्टेशन पहुंचता है जहां आश्चर्य भाव से आम को देखकर धर्मदेव कहता है- "बेमौसम पके हुए आम कहां से लाए अभी तो सारे आम कच्चे हैं"?

"किसी ने दिए हैं और मुझे तो आम खाने से मतलब है मौसम से क्या मतलब? "मुझे आवाज क्यों दे रहे थे?

"आपके घर से आपका फोन आया है"।

उधर दूसरी तरफ गांव में फिल्म की शूटिंग शुरू हो चुकी है, इस कारण पूरे गांव में उत्सुकता है ,सभी गांव वाले बड़े चाव से फिल्म की शूटिंग देख रहे हैं , कुछ फिल्म सीन कंप्लीट होने के बाद दोपहर में पूरी टीम रेस्ट लेती है, फिल्म के हीरो को बड़ी जोर से पेशाब आती है और वह अपनी दुविधा फिल्म डायरेक्टर से बयां करता है फिर डायरेक्टर एक ग्रामीण से कहता है, -"तुम हीरो को अपने साथ ले जाओ और कहीं पेशाब करा लाओ"।

वह ग्रामीण हीरो को अपने साथ गांव के बाहर ले आता है और कहता है -"यह हमारे गांव का सार्वजनिक बाथरूम है यहां आपका मन करें  वहां मूत्र विसर्जन कर लीजिए"

"ठीक है', ठीक है ,तुम जाओ, मैं कुछ देर में आता हूं"

फिर वह ग्रामीण चला जाता है और हीरो एक पेड़ के ऊपर पैशाब करता है तभी हीरो के कान में एक आवाज सुनाई देती है की-  "पैड़ पर पेशाब मत करो"।

पर हीरो इस आवाज को सुनकर भी नहीं सुनता और पेशाब करके पीछे मुड़ता है और देखता है फिल्म की हीरोइन नेहा उसके सामने खड़ी है।

"मैंने तुमसे कहा था पेड़ पर पेशाब मत करो पर तुमने मेरी बात नहीं मानी"। नेहा ने चिढ़ते हुए कहा

" ओह नेहा डार्लिंग" "इसमें गलत क्या है तुम क्यों खामखा नाराज हो रही हो"?

"यह तुम्हें खामखा लगता है अगर कोई तुम पर पेशाब करेगा तो तुम्हें कैसा लगेगा"?

"सॉरी यार" "अब कभी ऐसी भूल नहीं करूंगा वैसे तुम यहां क्या कर रही हो, मुझसे मिलने आई हो"।

"हां इसीलिए तो आई हूं"। नेहा ने शर्माते हुए कहा

"मैं जानता था तुम मुझे पसंद करती हो"। हीरो ने नेहा के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा

"यहां हमें कोई देख लेगा वहां खंडहरों में चलते हैं"। नेहा ने निवेदन करते हुए कहा

दोनों खंडहर में पहुंचते हैं

हीरो वहां की मिट्टी हाथ में उठाकर आश्चर्य से कहता है- "यहां की मिट्टी इतनी लाल क्यों है ?इतनी लाल मिट्टी तो कभी नहीं देखी"।

"हजारों साल पहले एक चुड़ैल यहां के सभी लोगों के दिल निकाल कर खा गई थी और जब वह इतने सारे दिलों को अपने पेट में पचा नहीं पाई तो उसने उल्टी कर दी ,इसी कारण यहां की मिट्टी लाल हो गई है ,ऐसा मैंने गांव वालों से सुना है "।नेहा ने बताया

"व्हाट नॉनसेंस "! सब मनगढत कहानी है मुझे विश्वास नहीं होता"। हीरो ने जवाब दिया

"कुछ दिन यहाऊ रुको तो सही ,विश्वास भी हो जाएगा"? नेहा ने कहा

"ओह, " क्या हम यहां भूत चुड़ैल पर बहस करने आए हैं, हम तो यहां रोमांस करने के लिए आए हैं"। यह कहके हीरो ने नेहा को अपनी बाहों में भर लिया और मदहोश होने लगा कि तभी एक आवाज सुनाई देती है

"अक्षय सर, सीन रेडी है जल्दी आ जाइए"।

"इस गधे को भी अभी आना था"। हीरो ने दुखद भाव से कहा

"रात को सब सो जाए तब यहां आ जाना, मैं तुम्हें यही मिलूंगी, तुम जाओ, मैं तुम्हारे पीछे आती हूं, वरना कोई देख लेगा"। नेहा ने आश्वस्त भाव से कहा

फिर हिरो जब शूटिंग स्थल पर आता है तो हैरान रह जाता है क्योंकि नेहा यहां पहले से ही मौजूद है इसीलिए हीरो नेहा से पूछता है

"तुम इतनी जल्दी यहां, कैसे आ गई"?

"मैं कहीं गई नहीं तो आऊंगी कैसे? तुमने मेरे भूत को देखा होगा कहीं"।

"नॉटी गर्ल, सच में बहुत तेज और टैलेंटेड एक्टर हो तुम, बहुत आगे तक जाओगी"।

तभी फिल्म डायरेक्टर मिराज मुखर्जी हीरो अक्षय और नेहा से एक साथ मुखातिब होकर कहता है -"अक्षय"! "तुम्हें एक मुट्ठी मिट्टी उठाकर नेहा से पूछना है यहां की मिट्टी इतनी लाल क्यों है इतनी लाल मिट्टी तो कभी नहीं देखी।
 फिर नेहा तुम्हें अक्षय को बताना है कि हजारों साल पहले यहां एक चुड़ैल सभी लोगों के दिल खा गई थी और उन दिल़ को पचा नहीं पाई और उसने उल्टी कर दी ,तभी से यहां की मिट्टी  लाल है"

"हीरो  समझ जाता है कि नेहा ने ही यह डायलॉग डायरेक्टर को बताए हैं इसीलिए वह अपनी कुछ देर पहले घटित घटना पर अभीनय  करने लग जाता है।

शाम हो गई है सरपंच ने गांव के स्कूल में ही सभी लोगों के रहने की व्यवस्था कराई है सभी लोग स्कूल की कक्षाओं में अपने अपने हिसाब से सेट हो गए हैं

फिल्म हीरो अक्षय अपनी नजर इधर उधर घूमाता है पर उसे नेहा नजर नहीं आती इसीलिए वह अपने मनचले असिस्टेंट कमल से धीरे से पूछता है "नेहा कहां है"।

"यहां से सीधे जाकर बायें मुड़ जाना और कक्षा नंबर 5 में पहुंच जाना इस वक्त नेहा मैडम अकेली है"। असिस्टेंट कमल ने बताया

अक्षय बिना समय गवाएं, छुपते, छुपाए, दबे पांव ,सीधा कक्षा नंबर 5 में पहुंच जाता है और जाकर पीछे से नेहा को उठा लेता है तभी कमरे में एक जोर की आवाज सुनाई देती है चपाट,,, नेहा ने अक्षय को तमाचा जड़ दिया है

"क्या बे हुदगी है ,तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे इस तरह छूने की ? मैं कोई सी ग्रेड फिल्मों की मजबूर हीरोइन नहीं हूं। जिसके साथ तुम कुछ भी कर सकते हो ,अगर मैंने तुम्हारी इस घिनौनी हरकत पर ट्विटर पर एक ट्वीट कर दिया तो तुम्हारा पूरा करियर बर्बाद हो जाएगा। नेहा ने चेतावनी देते हुए कहा

"तुम ही ने तो गांव के बाहर खंडहर में प्यार का इजहार किया था और मुझे वही रात 12:00 बजे मिलने का वादा किया था और अब यहां नाटक कर रही हो। अक्षय ने पूछा

"भांग पी कर आए हो क्या ?मेरे इतने बुरे दिन नहीं आए कि मुझे, तुम जैसे घटिया इंसान से प्यार हो और आज वार्निंग देकर छोड़ रही हूं अगली बार मुंह तोड़ दूंगी ,चल निकल यहां से"। नेहा ने धमकाते हुए कहा

अक्षय अपने गाल पर हाथ लिए बाहर आता है वहां उसे उसका मनचला असिस्टेंट कमल मिलता है

"सर बड़े जोर से आवाज आई ,क्या हुआ? कमल ने पूछा

"वह एक बड़ी हीरोइन है और मैं एक बड़ा हीरो हूं, हम बड़े-बड़े लोग, हमारे बीच की बड़ी-बड़ी बातें, छोटे लोग से नहीं किया करते"। अक्षय ने कमल को तमाचा जड़ते हुए कहा

अक्षय को नेहा का यह बर्ताव बड़ा अजीब लगता है फिर वह सोचता है कि शायद नेहा उसे बदनाम करने के लिए ड्रामा कर रही है।

उधर आकाश बहुत खुश है जैसे उसे सब कुछ मिल गया हो उसने आज जीवन में ऐसे भाव को पहली बार महसूस किया है उसे केवल रात के 12:00 बजने का इंतजार है।

रात के 11:00 बजे हैं स्टेशन के चारों और गहरा सन्नाटा छाया है, आकाश सज संवर कर धीरे से अपना दरवाजा खोलता है और समय से पहले ही वहां पहुंच जाता है पर अभी वहां कामिनी नहीं आई है, इसीलिए आकाश वहांहा बैठ जाता है ,कुछ देर बाद आकाश के कानों में छम छम पायल की आवाज सुनाई देती है, वह पीछे मुड़कर देखता है तो देखता ही रह जाता है ,इस वक्त उसके सामने  कामिनी तो नहीं है पर कामिनी से भी कहीं ज्यादा आकर्षक सुंदरी खड़ी है, ऐसी लड़की आकाश ने अपने जीवन में कभी नहीं देखी, अगर उसे देवलोक की अप्सरा कहा जाए तो गलत नहीं होगा आकाश खड़ा होकर कहता है -" सुंदरता का तुमसे सुंदर और कोई प्रतीक नहीं हो सकता, एक क्षण में मन को मोह लेने वाली कौन हो तुम"?article-image

"मेरा नाम रात्रि है, मैं अपना शिकार ढूंढने आई हूं"।

"कभी-कभी शिकार करने वाला भी खुद शिकार हो जाता है पर मुझे समझ में नहीं आ रहा। मैं, तुम्हें शिकार कहूं या शिकारी"।

"अगर शिकार होने का इरादा है तो शिकारी समझ लो और अगर शिकार करने का इरादा है तो शिकार समझ लो"। रात्रि ने कहा

"इरादे तो दोनों नेक है पर मैं यहां किसी और इरादे से आया हूं इसीलिए मैं ना तो शिकारी हो सकता हूं और ना शिकार"।आकाश ने स्पष्ट भाव से कहां

"तुम्हारी बातों में तो बड़ा होश नजर आता है पर इरादों में वह जोश नजर नहीं आता, एक तो मुझे सबसे खूबसूरत भी कहते हो और इरादा बदल कर मेरी सुंदरता का अपमान भी करते हो"। रात्रि ने कहा

"जोश तो कहीं से भी मिल जाता है पर होश में तो खुद ही आना पड़ता है, तुम्हारी उम्मीदों पर खरा न उतर पाने का जीवन भर अफसोस रहेगा, काश तुम पहले मिल गई होती"। दुर्भाग्यपूर्ण भाव से आकाश ने कहा

"काश, किंतु, जैसे शब्दों का सहारा लेकर अपने नसीब को कोसना उचित नहीं है ,अपने इरादे को मजबूत करो और अपनी शिकायत आज ही दूर कर लो, मात्र ₹500 ही तो भाव है मेरा"।

"व्हाट"! "विश्वास नहीं होता तुम उस टाइप की लड़की हो"। आकाश ने आश्चर्य से कहा

"इस गांव की यही तो खासियत है बाबू,यहां इंसान का विश्वास काम करना बंद कर देता है पर तुम जैसा गबरु जवान पूरे गांव में नहीं है, इसलिए तुम्हें मुफ्त में अपनी जवानी का शहद चटाना चाहती हूं, मुझे अब और न तड़पाओ, मेरे प्यारे, आ जाओ, और मेरी जवानी की पीड़ा का इलाज कर दो, मेरे डॉक्टर साहब"। रात्रि ने मदहोश भाव से कहा

आकाश दो पल के लिए बहक जाता है और दो कदम चलकर फिर मुख मोड़ लेता है और कहता है -"इंसान की जिंदगी में जवानी का सफर ही ऐसा होता है ,जो संभाले नहीं संभलता और आखिर बहका ही देता है, देखो आखिर दो पल के लिए ही सही पर तुमने मुझे बिगाड़ ही दिया , मैं अपनी इस अनाड़ी जवानी के बहकावे में आकर किसी और के विश्वास को नहीं तोड़ सकता, अगर तुम्हें पैसे चाहिए तो चाहे जितने ले लो, पर तुम्हारी जवानी की पीड़ा में शांत नहीं कर सकता"।

तभी आकाश के कानों में एक जानी पहचानी सी आवाज गुजंती है कामिनी हंसते हुए पेड़ के पीछे से आती है - "हा ,,हा,, हा,, हा,, "यह कोई वेश्या नहीं है ,यह मेरी सखी रात्रि है, जो तुम्हारी परीक्षा लेने आई है, इसे अपनी सुंदरता पर बड़ा गुमान था, जिसे आज तुम्हारे सच्चे दिल ने चकनाचूर कर दिया, मैंने इससे कहा था तू आकाश बाबू ,को बहका नहीं पाएगी पर यह नहीं मानी, और इसने, तुम्हें आजमाया"।

"कामिनी ,सच कह रही है आकाश बाबू, किस दुनिया से आए हो तुम, तुम्हारे संयम और सच्चाई ने मेरा भी  दिल जीत लिया है, पर मेरे नसीब कामिनी की तरह नहीं है कि मुझे भी तुम जैसा सच्चा प्रेमी मिले,आज तुमने मेरी सुंदरता का गुरूर तोड़ कर मुझ पर बड़ा एहसान किया है इसके लिए मैं तुम्हारी सदा आभारी रहूंगी अब चलती हूं"। रात्रि इतना कह कर चली जाती है

आकाश को यह सब कुछ बड़ा ही आश्चर्यजनक लगता है और साथ ही आकाश के मन में यह ख्याल भी आता है कि अच्छा ही हुआ जो मैंने आज अपने आप को बहकने से रोक लिया  वरना आज मैं ,कामिनी की नजर में भी गिर जाता और रात्रि की नजर में भी गिर जाता।

तभी कमीनी दौड़ती हुई आकर आकाश से लिपट जाती है और कहती है -" आज तुमने कामिनी का दिल जीत लिया है, इसीलिए आज कामिनी, तुम्हारी सारी कामनाएं पूरी करेगी चलो मेरे साथ"।

फिर वह दोनों खंडहरों में आते हैं और कामिनी उसे एक जगह गड्ढा खोदने के लिए कहती है, आकाश गड्ढा खोदता है और उसमें से एक घड़ा निकालता है जिसमें पुराने समय के बहुत से आभूषण है।

कमीनी उन आभूषणों को अपने दुपट्टे में बांधकर गठरी बांधकर आकाश को सौंपती है और कहती है -"बिना सवाल किए इस गठरी को अपने हाथों में ले लो, और इन आभूषणों को बेचकर अपनी बहन की शादी करना और जितनी भी तुम पर सांसारिक जिम्मेदारियां हैं उन सब को निभाओ,जिस दिन अपनी जिम्मेदारियों के सभी दायित्व पूरे कर लो ,उसी दिन आकर मुझसे मिलना हम उसी दिन शादी करेंगे और उसी दिन हमारा मिलन होगा, सुबह की पहली ट्रेन से चले जाना, और जल्द से जल्द आना, मैं तुम्हारा उसी पुल पर इंतजार करूंगी ,दुल्हन की तरह सजकर, बस तुम ,मुझे भूल मत जाना"। कामिनी ने भीगी आंखों से कहा

"मैं बहुत जल्द आऊंगा"। आकाश ने कामिनी के आंसू पोछते हुए कहा

फिर आकाश स्टेशन पर आ जाता है और वह गठरी लेकर अपने कमरे में आता है और गठरी को खोल कर देखता है वह सारे आभूषण सोने के हैं फिर आकाश खिड़की को खोलता है पर उसे कोई दिखाई नहीं देता, रात भर आकाश सो नहीं पाता और बार-बार खिड़की के पास जाकर कामिनी को ढुढंता है जैसे कामिनी ही उसके जीवन का एकमात्र लक्ष्य बन गई है और उसे पाना ही उसके जीवन का सबसे बड़ा मकसद है इसीलिए आकाश सुबह की पहली ट्रेन में बैठ चुका है क्योंकि वह अब एक पल भी व्यर्थ नहीं गवांना चाहता है, वह ट्रेन की खिड़की में से स्टेशन को देख रहा है उसकी नजरें पुल पर गड़ी है तभी उसे सामने से खलासी धर्मदेव अपनी और दौड़ता हुआ नजर आता है और ट्रेन चल देती है।

धर्मदेव आकाश को ट्रेन से जाते हुए देख कर आश्चर्य में पड़ जाता है इसीलिए वह चलती हुई ट्रेन में ही आकाश से पूछता है -"सर आप कहां जा रहे हो"?

"घर पर, जरूरी काम आ गया है इसलिए अचानक जाना पढ़ रहा है सबको बता देना, मैं जल्द आऊंगा"।

"कल रात गांव में बड़ी अजीब घटना घटी है"। धर्मदेव ने दौड़ते हुए कहा

"क्या हुआ कल रात गांव में"? आकाश ने जिज्ञासा से पूछा

"कल रात को"। इतना कह कर अचानक धर्मदेव नीचे गिर पड़ता है पर वह गिरने के बाद भी कुछ कहता है जो आकाश को सुनाई नहीं देता क्योंकि ट्रेन की स्पीड काफी तेज हो गई है, अब आकाश नीचे उतर गई ना तो  धर्मदेव की मदद कर सकता है, और ना उनकी बात सुन सकता है।

आखिर क्या हुआ उस रात जो धर्म देव आकाश को बताना चाहता था?

आकाश के हाथ में पके हुए आम देखकर धर्म देव को आश्चर्य क्यों हुआ?

क्या वह नेहा ही थी जिसने हीरो अक्षय को रात 12:00 बजे मिलने बुलाया था या कोई और?
"
क्या सच में रात्रि कामिनी की सखी है या फिर वेश्या या फिर और कोई?
अपने सभी द्वंद्व और प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए पढ़ते रहिए  "कामिनी एक अजीब दास्तां"
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कामिनी एक अजीब दास्तां
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कामिनी भाग 1 कामिनी एक अजीब दास्तां कुछ पाने के लिए कुछ करना पड़ता है और सब कुछ पाने के लिए सब कुछ करना पड़ता है पर मैं आज आपको एक ऐसे गांव में ले चलता हूं जहां सब कुछ पाने के लिए केवल 20 साल का होना पड़ता है। लाल टेकरा नाम के इस गांव में जो युवक 20 साल का हो जाता है उसे सब कुछ मिल जाता है पर आश्चर्य की बात यह है कि यह रहस्य गांव का एक बुजुर्ग व्यक्ति ही जानता है जिसका रहन-सहन उठना बैठना और बोलचाल एक पागल की तरह है इसी कारण पूरा गांव इसे पागल समझता है और कोई इसकी बात पर यकीन नहीं करता। आखिर क्या रहस्य है लाल टेकरा गांव का जहां 20 साल के युवक को सब कुछ मिल जाता है और आखिर वह क्या रहस्य है जो केवल इस पागल व्यक्ति को पता है जानने के लिए पढ़ते हैं कामिनी एक अजीब दास्तां। लाल टेकरा गांव प्राकृतिक रूप से बहुत ही सुंदर गांव है जिसके चारों ओर कामिनी नाम की एक ठहरी नदी है और बीच में बसा है यह छोटा सा गांव जिसका वातावरण अत्यधिक पेड़ पौधों के कारण सदैव महकता रहता है गांव में प्रवेश के लिए एक पुल बंधा है जो गांव में प्रवेश करने का एकमात्र मार्ग है। गांव से बाहर पुल के सामने एक छोटा सा रेलवे स्टेशन है जो इस गांव तक पहुंचने का एकमात्र मार्ग है इस वक्त स्टेशन पर एक ट्रेन रुकी है और उसमें से एक सुंदर आकर्षक युवक बाहर आता है जिसके दोनों हाथों में बैग है फिर ट्रेन से और भी कई लोग उतरते हैं इस युवक का नाम आकाश है जिसकी इसी स्टेशन पर टिकट कलेक्टर पोस्ट पर नियुक्ति हुई है। वहां मौजूद सभी लोग आकाश को बड़े अजीब ढंग से देखते हैं आकाश को भी इन सभी लोगों का रवैया थोड़ा अजीब लगता है पर वह इन लोगों पर बिना ध्यान दिए अपने रेलवे कक्ष में पहुंचता है। जहां स्टेशन का स्टाफ चाय नाश्ता कर रहा है आकाश महा अपना परिचय बता कर अपना नियुक्ति लेटर स्टेशन मास्टर केदारनाथ जी को सोपंता है। स्टेशन मास्टर केदारनाथ बड़े हंसमुख व्यक्ति है वह आकाश को देखकर अपने मिजाज में कहते हैं। "20 साल की उम्र में नौकरी करना अपने आप से बगावत है, लाल टेकरा गांव के इस स्टेशन में आपका स्वागत है, अब आप काटना हर यात्री की टिकट, और हम खेलेंगे स्टेशन पर क्रिकेट,। केदारनाथ की यह बात सुनकर आकाश के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है फिर केदारनाथ स्टाफ के तीन अन्य लोगों से भी आकाश का परिचय करा देते हैं और कहते है

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