कर्म की प्रधानता*सनातन धर्म में सदैव से कर्म को ही प्रधान माना गया है एवं अनासक्त होकर कर्मेंद्रियों से कर्मयोग का आचरण करने वाले पुरुषों को श्रेष्ठ पुरुष कहा गया है और यही karma meaning है| अपने द्वारा किए गए कर्म के आधार पर ही जीव की अगली योनियों का निर्धारण होता है | मनुष्य अपने कर्मों का भाग्