“यह रमणीय है, यह स्वादिष्ट है, यह प्यारा है।”-कोल पोर्टरहम सभी को अपने जीवन में किसी ऐसे व्यक्ति के होने की निराशा महसूस हुई जो लगातार नकारात्मक लगता है – शिकायत करना, छोटी-छोटी बातों से नाराज होना, गुस्सा करना, निराशावादी होना।यह बहुत मुश्
जब इश्क हुआ,करुणा व क्षमा न हो,ऐसा हो नहीं सकता। ... सबसे पहले प्रेम इंसान खुद से ही करता है, खुद को ही माफ करने की जुगत में रहता है... प्रेम जब यह सिखा दे कि, मैं इतना विस्तारित है, उसका अंश सब में है, फिर, अपने ‘अंशों’ से करुणा न हो! ऐसा हो नहीं सकता...! इसलिए ही इश्क म