जब इश्क हुआ,
करुणा व क्षमा न हो,
ऐसा हो नहीं सकता।
... सबसे पहले प्रेम
इंसान खुद से ही करता है,
खुद को ही माफ करने की
जुगत में रहता है...
प्रेम जब यह सिखा दे
कि, मैं इतना विस्तारित है,
उसका अंश सब में है,
फिर, अपने ‘अंशों’ से करुणा न हो!
ऐसा हो नहीं सकता...!
इसलिए ही इश्क मुझसे, आपसे, उनसे,
सबसे ज्यादा खूबसूरत होता है!