कविता ःलिखते हैं दर्द
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भीगी स्याही ने सफेद कागज भिगो दिया
कुछ अपना दर्द यूं उकेर दिया
लफ्ज़ जो जुस्तजू न कर पाए कभी
लेखनी ने उसे शब्दों को अश्कों में पिरो दिया
अल्फाज बनकर सिमट गए ...सब..
किसी ने न जाना...लिखते हम दर्द में..!!
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स्वरचित
सीमा..✍️