कविता ःजीवन
अपनी साँसों के साथ ..
हर एक दिन नया अध्याय होता है
सूर्य दिवाकर अपनी रथ लिए...
हर सुबह यही संदेशा देते हैं
ये जीवन एक पथ है मनुज...
और हम उस पथ के पथिक...
गुड्डी गुडिया और झूले बताशे...
खेल खिलौने बहुत सारे..
जवानी है कर्मभूमि हमारी
लिख डालो हर कहानी सारी...
बुढ़ापा है सब पर भारी....
लाठी डंडों के संग चार कदम की यारी...
अंतिम पथ है एक शाश्वत सत्य
जहाँ पर है नई यात्रा की तैयारी
ये है हमारे जीवन की कहानी
मै लिख रही हूं अपनी जुबानी।
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स्वरचित
सीमा..✍️
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