कविता ःवादियाँ
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कश्मीर की वादियां
जैसे जन्नत उतर आया हो यहां
ये सुंदर तालतलैये और उसपर बर्फ के पहाड़
केसर की क्यारियाँ और लाल सेबों से भरे बागान
हाय...,इस जन्नत को किसकी नजर लग गई
शोखियों में खंजर किसकी चल गई
पत्थरबाज कहाँ से उतर आए इस धरा पर
खून से क्यों ये धरती रंगने लगी
क्यों झड़रहे यहां से खूबसूरत ी के फूल
लुप्त हो रही खुशियों भरी रौशनी
लौटा दो खुशीयां इसे जहां की
अमन लौट आए यहां पर
यहां की वादियां हो जाएं रौशन
फिर से खुदा के नूर से।।
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स्वरचित
सीमा...✍️
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