कविता ःआँगन की चारपाई
★★★★★★★★★★★
गुम हो गई वो कहानी
जिसमें बैठकर हमने सुनी थी कहानी
परियों की बस्ती,तारों के देश
चंदामामा नित देते थे संदेश
सूखते थे,जिसपर अचारों के डिब्बे
पापड़-बड़ियां जहाँ करती थीं आराम
चाय पकौड़ों संग कटती थी जाड़ों की शाम
गुम हो गईं सारी कहानियों में
भूलीबिसरी यादों में
हमारे बचपन का गवाह
वो हमारा प्यारा सा आँगन
जिसमें बिछती थी एक चारपाई।।
****
स्वरचित
सीमा...✍️✨
©®