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कविता

2 जून 2022

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महफिल , तारों ने सजा रखी है , 

मेहमान चांद है । 

उजाला चांदनी ने कर दिया , 

मेज़बान  आसमान है ।। 


क्या ही कहना , 

तेरे चेहरे की नज़ाकत का . 

लव,, खामोश हैं मगर ,, 

आंखों में तूफान है ।। 


यूं तो, , बाख़बर है तू , 

ज़माने की हर नज़र से . 

बस एक मेरे लिये ही , 

तेरी नज़र , अनजान है ।। 


यूं तो ईमानदार , 

तुम भी नहीं . 

फिर मैं अकेला तो नहीं , 

जो, , बेइमान है ।। 

    ,    .  ,      ,  , ,    .    ,  .   ,       ,   .    ,  

   ,,         ,.    ,

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