वफा के बदले , ज़फा मिली .
क्याइश्क़ करने की सज़ा मिली ।
अपनी यादों का घर बसाकर ,
इस दिल से,, चले गए तुम .
एक बार किये गुनाह की सज़ा ,
हमें कई दफ़ा मिली ।
ज़ख्म जो सूखे भी
नहीं थे अब तक ,
देखकर तुम्हें ग़ैरों के साथ
एक बार फिर उनको , हवा मिली ।
ये तो इश्क़ का
दस्तूर है अनु ,,
प्यार करने वालों को
दर्द के रूप में , दवा मिली ।।
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