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मुसाफिर

3 जून 2022

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मैं मुसाफिर हूं , मोहब्बत का  

मुझे , राहगीर ना समझ लेना , 

मैं मंजिल हूं , तेरी  

मुझे जागीर ना समझ लेना ।। 




 


        ,,  ,     ,,, ,   

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Dr. Pradeep Tripathi

Dr. Pradeep Tripathi

बहुत अच्छे।

4 जून 2022

भारती

भारती

बहुत खूब 👌🏻👌🏻

3 जून 2022

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शायरी

15 मार्च 2022
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बनकर अल्फाज़ मेरे जज़्बात निकल आते हैं,,,वरना,,, मैं तो एक कोरा कागज हूं :💘

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शायरी

2 जून 2022
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दिन है तो रात भी है ।  दिल है तो जज़बात भी हैं ।  आज मंजिल दूर ही सही ।  जो ठोकर है तो, एक नए सफर की शुरूआत भी है ।।                                     

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शायरी

2 जून 2022
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शायद खुदा की बन्दगी में कोई कमी रह गई । तभी तो खुशियां लुटाकर भी आखों में नमी रह गई । रूठ     गया होगा वो खुदा भी , किसी बात पर मुझसे । तभी तो आसमान देकर भी , पास में बस ज़मीं रह गई ।। ,       

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कविता

2 जून 2022
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महफिल , तारों ने सजा रखी है ,  मेहमान चांद है ।  उजाला चांदनी ने कर दिया ,  मेज़बान  आसमान है ।।  क्या ही कहना ,  तेरे चेहरे की नज़ाकत का .  लव,, खामोश हैं मगर ,,  आंखों में तूफान है ।।  य

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ज़जबात

3 जून 2022
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वफा के बदले , ज़फा मिली .  क्याइश्क़ करने की सज़ा मिली ।  अपनी यादों का घर बसाकर ,  इस दिल से,, चले गए तुम .  एक बार किये गुनाह की सज़ा ,  हमें कई दफ़ा मिली ।  ज़ख्म  जो सूखे भी  नहीं थे अब

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मुसाफिर

3 जून 2022
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मैं मुसाफिर हूं , मोहब्बत का   मुझे , राहगीर ना समझ लेना ,  मैं मंजिल हूं , तेरी   मुझे जागीर ना समझ लेना ।।            ,,  ,     ,,, ,   

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तज़ुर्बा

4 जून 2022
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तेरी पलकों के साये में खुद को,   महफूज़पाता हूं मैं .  जब भी याद आती है, , तुमको मेरी तो चला आता हूं मैं ।  गीत मोहब्बत के गा सकूं ,  इतना तो अब मुझमें दम नहीं .  मगर तेरी  यादों के नग्में गुनग

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तेरी याद

4 जून 2022
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मोहब्बत में मेरे यारा तेरी ख़ुद को भुलाया है ।  पहले उस ख़ुदा से भी सदां तुझको बुलाया है ।  नहीं ग़म कोई अब मुझको ज़हां की ठोकरों का है ।  एक बस याद ने तेरी मुझे इतना रुलाया है ।।                 

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तुझसा ना कोई ..

5 जून 2022
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निगाहों  में मेरे यारा तेरी ये राज़ कैसा है ।  तेरा हर शब्द ओ यारा एक साज़ जैसा है ।  नहीं कोई मुझे चाहत रही अब इस ज़माने की ।  कि,  ज़हान् में दूसरा कोई ना मेरे यार जैसा है ।                     

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दुआ ...

5 जून 2022
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हां दुआ मांगी थी ये रब से कि मेरा तू हो जाए ।  जो लिपटी रहती फूलों  से तू वो खुशबू हो जाए ।  जो बहता है निगाहों से खुशी या ग़म में ही हर दम ।  कि मेरी आंखों से बहने वाला तू वो आंसू हो जाए ।       

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शिकवा ख़ुदा से. .

5 जून 2022
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जो मिलेख़ुदातो पूछ लेंगे हम भी   मिट्टी का जिस्म देकर शीसे सा दिल क्यूं दिया तूने ,  फिर मिलाकर किसी से सिखा कर मोहब्बत   आदत लगा उसकी  उसे जुदा क्यूं किया तूने ।  मैं तो जी रहा था अछा भला ,  बगै

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ज़ख्मी दिल ..

6 जून 2022
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कि, ज़ुदा होकर भी वो तुझसे  कभी मायूस ना होता ।  ज़ख्म दिल पर लगा था जो, वो भी महसूस ना होता ।  अगर मिलती वफा के बदले में ना बेवफाई तो ।  यूं मोहब्बत में कोई आशिक़ कभी जासूस ना होता ।।            

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दिल पर वार ..

6 जून 2022
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मिला नज़रों से वो नज़रें दिल पर वार करते हैं ।  हमारे सामने ही उनसे आंखें चार करते हैं ।।    कि रहते हैं दिल में उनके वो जिनका हाथ थामे हैं ।  वो कहते हैं मगर हमसे कि तुमसे प्यार करते हैं ।।      

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मेरी गुड़िया ...

8 जून 2022
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ना किसी महफिल की चमक अच्छी लगती है ।  ना किसी फूल की महक अच्छी लगती है ।  चहक उठता है जिसकी गूंज से सारा घर मेरा ।  मुझे तो बस मेरी गुड़िया की पायल की वो खनख अच्छी लगती है ।                       

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