2 जून 2022
दिन है तो रात भी है ।
दिल है तो जज़बात भी हैं ।
आज मंजिल दूर ही सही ।
जो ठोकर है तो, एक नए सफर की शुरूआत भी है ।।
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Writer,poet D
बनकर अल्फाज़ मेरे जज़्बात निकल आते हैं,,,वरना,,, मैं तो एक कोरा कागज हूं :💘
दिन है तो रात भी है । दिल है तो जज़बात भी हैं । आज मंजिल दूर ही सही । जो ठोकर है तो, एक नए सफर की शुरूआत भी है ।।
शायद खुदा की बन्दगी में कोई कमी रह गई । तभी तो खुशियां लुटाकर भी आखों में नमी रह गई । रूठ गया होगा वो खुदा भी , किसी बात पर मुझसे । तभी तो आसमान देकर भी , पास में बस ज़मीं रह गई ।। ,
महफिल , तारों ने सजा रखी है , मेहमान चांद है । उजाला चांदनी ने कर दिया , मेज़बान आसमान है ।। क्या ही कहना , तेरे चेहरे की नज़ाकत का . लव,, खामोश हैं मगर ,, आंखों में तूफान है ।। य
वफा के बदले , ज़फा मिली . क्याइश्क़ करने की सज़ा मिली । अपनी यादों का घर बसाकर , इस दिल से,, चले गए तुम . एक बार किये गुनाह की सज़ा , हमें कई दफ़ा मिली । ज़ख्म जो सूखे भी नहीं थे अब
मैं मुसाफिर हूं , मोहब्बत का मुझे , राहगीर ना समझ लेना , मैं मंजिल हूं , तेरी मुझे जागीर ना समझ लेना ।। ,, , ,,, ,
तेरी पलकों के साये में खुद को, महफूज़पाता हूं मैं . जब भी याद आती है, , तुमको मेरी तो चला आता हूं मैं । गीत मोहब्बत के गा सकूं , इतना तो अब मुझमें दम नहीं . मगर तेरी यादों के नग्में गुनग
मोहब्बत में मेरे यारा तेरी ख़ुद को भुलाया है । पहले उस ख़ुदा से भी सदां तुझको बुलाया है । नहीं ग़म कोई अब मुझको ज़हां की ठोकरों का है । एक बस याद ने तेरी मुझे इतना रुलाया है ।।
निगाहों में मेरे यारा तेरी ये राज़ कैसा है । तेरा हर शब्द ओ यारा एक साज़ जैसा है । नहीं कोई मुझे चाहत रही अब इस ज़माने की । कि, ज़हान् में दूसरा कोई ना मेरे यार जैसा है ।
हां दुआ मांगी थी ये रब से कि मेरा तू हो जाए । जो लिपटी रहती फूलों से तू वो खुशबू हो जाए । जो बहता है निगाहों से खुशी या ग़म में ही हर दम । कि मेरी आंखों से बहने वाला तू वो आंसू हो जाए ।
जो मिलेख़ुदातो पूछ लेंगे हम भी मिट्टी का जिस्म देकर शीसे सा दिल क्यूं दिया तूने , फिर मिलाकर किसी से सिखा कर मोहब्बत आदत लगा उसकी उसे जुदा क्यूं किया तूने । मैं तो जी रहा था अछा भला , बगै
कि, ज़ुदा होकर भी वो तुझसे कभी मायूस ना होता । ज़ख्म दिल पर लगा था जो, वो भी महसूस ना होता । अगर मिलती वफा के बदले में ना बेवफाई तो । यूं मोहब्बत में कोई आशिक़ कभी जासूस ना होता ।।
मिला नज़रों से वो नज़रें दिल पर वार करते हैं । हमारे सामने ही उनसे आंखें चार करते हैं ।। कि रहते हैं दिल में उनके वो जिनका हाथ थामे हैं । वो कहते हैं मगर हमसे कि तुमसे प्यार करते हैं ।।
ना किसी महफिल की चमक अच्छी लगती है । ना किसी फूल की महक अच्छी लगती है । चहक उठता है जिसकी गूंज से सारा घर मेरा । मुझे तो बस मेरी गुड़िया की पायल की वो खनख अच्छी लगती है ।