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अखंड भारत

1 नवम्बर 2022

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मैं मन  वचन  कर्म वाणी से 
प्रेम सौहार्द्र लुटाता हूँ 
इस कविता के माध्यम से मैं
भारत  की व्यथा सुनाता हूँ।

क्या बीती होगी बसुंधरा पर 
जब भुजाओं को काटा गया
आंखो से अश्रु बहे होंगे
जब  आर्यवर्त बांटा गया ।

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