क्यूँ छीन लिए जाते हैं ,ख्वाब ल़डकियों के
समाज की कुछ बेतुकी जिद के कारण
क्यूँ भूल जाते हैं वो
सपने देखने और उनको पूरा करने का हक
सबको बराबर होता है।।।।।।
कुछ रोकर रह जाती हैं
कुछ हौसलों को उड़ान दे
आगे बढ़ जाती हैं
कुछ दबा अपनी खुशियो को
गुस्सा वही पीकर रह जाती हैं। ।।।।
लगता है हमेशा
क्यूँ परवाह करें उन लोगों की
जिनको हमारी फिक्र नहीं
लड़कों को मिलता है पूरा आसमाँ उड़ने को
ल़डकियों को दी जाती थोड़ी हिम्मत तक नहीं।।।।।
कहां तक ले जाओगे तुम इस सोच को
जो कभी ना कभी
शर्मशार करेगी तुम्हें अपनी ही नजर में
क्यूँ छीन लेते हो ख्वाब और खुशियां उनकी
जो तुम्हें बनाती हैं
बांध देते हो जंजीरों में उनको
जो खुद की परवाह ना कर
तुम्हें जहाँ दे जाती हैं। ।।।।