जाने कौन था मेरे अंदर
जाने कौन था मेरे अंदर दरियाओं के संग बहता था,अपने अंदर खुश रहता था,हर ग़म को हँस कर सहता था,गीत, ग़ज़ल नज़्में कहता था।जैसे हाथों बीच समंदर,जाने कौन था मेरे अंदर।आसमान पर नज़र टिका कर,गहरे पानी भीतर जा कर,सुख दुख के कुछ मोती पाकर,तन्हाई में नग्में गाकर,जीता जैसे मस्त कलंद