23 अक्टूबर 2022
कहीं अंधेरा, कहीं कुहासा।रीता मन, चहुं ओर निराशा।।किस्मत के भी खेल निराले।'दिया' कहां तक भरे उजाले।।...सीमित तेल, लरजती बाती।अन्तर का भूचाल दिखाती।।इस विचलन को कौन संभाले।'दिया' कहां तक भरे उजाले।।...