shabd-logo

परिवर्तन ही सत्य है

25 जुलाई 2023

30 बार देखा गया 30

एक नौ वर्षीय बालक काशी के मणिकर्णिका घाट की सीढ़ियों पर बैठा हुआ था | उसकी आँखों से निकले हुए आंसू जो आग की गरमाहट से सूख से गए थे लेकिन उसका हृदय अभी भी विचलित था | घाट पर जल रही अनेकों चिताओं से निकल रही अग्नि मानो उस बालक से अपना रिश्ता पूछ रही हों |

बालक भी आग की लपटों में कुछ स्मृतियों को देख रहा था उसकी आँखों के सामने अपनी माँ की छवि दिख रही थी जिसे उसने खुद अपने हाथों से मुखाग्नि दी थी | एक पंडित जी जो उस बालक की मनोस्थिति से भली भांति परिचित थे हताश भाव से ऊपर आकाश की तरफ देखते हुए बोले की " हे ईश्वर ! एक हस्ते खेलते बच्चे के साथ समय ने ना जाने कैसी लीला रची कि वह एक दिन में असहनीय दुखों को जानने लगा" |

तभी पंडित जी के एक शिष्य ने उनसे पूछा गुरु जी इस बच्चे के साथ ऐसा क्या हुआ है जो यह इस प्रकार से यहाँ अकेला बैठा है ? पंडित जी बोले :ये बच्चा पास में ही रहता है और ये शुरू से चंचल स्वभाव का था | तीन दिन पहले ही इस बच्चे की माँ का देहांत हुआ है और मैंने खुद ही उसकी माँ की अंतिम क्रिया की सभी विधियां करवाई थी| उस दिन भोर ही इसकी माँ ने प्राण त्यागे थे सारे घर में कोहराम मचा था और इन सब से अनजान यह बालक अपनी नींद पूरी करके उठा और आँखें मसलकर अपनी माँ को इधर उधर ढूंढ रहा था | जब इस बालक ने सारे घर के सदस्यों को देखा तो उसे समझ तो आ गया था कि कुछ ऐसा हुआ है जो नहीं होना था लेकिन वह फिर भी पहले अपनी माँ की झलक देखना चाहता था | और जब उसने अपनी माँ को मृत अवस्था में देखा तो वह समझ नहीं पाया कि आखिर हुआ क्या है वह स्तब्ध रह गया | उसको पता तो चल गया था की उसकी माँ उसको अब छोड़ कर जा चुकी है लेकिन वह फिर भी एक आस लगाकर बैठा था की माँ थोड़ी देर में इधर उधर से वापस आ जाएगी |

उस दिन अंतिम संस्कार के समय भी यह बालक अपनी माँ को ही ढूंढ रहा था मानो उसकी आँखें उसके सामने रखे उसके माँ के शव को अनदेखा कर रही थी | उसके परिवार के बड़े ही कठोर शब्दों से बोलने पर वह मुखाग्नि देने को माना क्युकि सब यही चाहते थे की वह किसी भ्रम न रहे और वास्तविकता से भली भांति परचित रहे |

उसके बाद यह बालक प्रतिदिन यहाँ घाट पर आकर अपनी माँ के छोड़ जाने की वास्तविकता को अपनाने का प्रयास कर रहा है माना इसकी यह उम्र इतने बड़े परिवर्तन को इतनी जल्दी स्वीकार नहीं कर सकती लेकिन इस परिवर्तन को झुटलाया भी नहीं जा सकता |

शिष्य ने कहा तो गुरु जी क्या हम उसको समझा नहीं सकते की जो हुआ है वह ही सत्य है | पंडित जी बोले : हम सिर्फ कोशिश ही कर सकते हैं लेकिन अच्छा होगा कि ये फैसला वो खुद ले कि इस परिवर्तन को अपनाता है या नहीं लेकिन सत्य नहीं बदलेगा इस बात को जितना जल्दी खुद समझेगा वह तभी इस परिवर्तन में खुद को ढाल पायेगा |

पंडित जी ने गुरु के भांति अपने शिष्य को उपदेश दिया कि

परिवर्तन होना स्वभाविक और अनिवार्य है हमें इसको प्रत्येक स्तिथि में मानना ही होगा तो यही फैसला करना कि जितनी जल्दी उसके अनुकूल अपने आपको ढाल लेना |


 

6
रचनाएँ
किस्से कहानी
0.0
मेरी लिखी किताबों की कुछ कहानियां इस किताब में निशुल्क पढ़ने के लिए दी गयी हैं |
1

परिवर्तन ही सत्य है

25 जुलाई 2023
3
0
0

एक नौ वर्षीय बालक काशी के मणिकर्णिका घाट की सीढ़ियों पर बैठा हुआ था | उसकी आँखों से निकले हुए आंसू जो आग की गरमाहट से सूख से गए थे लेकिन उसका हृदय अभी भी विचलित था | घाट पर जल रही अनेकों चिताओं से निकल

2

दौड़ अभी बाकी है।

27 जुलाई 2023
2
1
0

विषय : निरंतरता ही सफलता की कुंजी हैआज शुक्ला जी बेटा चार साल बाद घर वापस आ रहा है उनका बेटा विदेश में अपने कारोबार को स्थापित करने गया था और आज उनका बेटा (सार्थक) एक जाना माना कारोबारी है, उसका

3

देर भली

28 जुलाई 2023
4
0
0

यह कहानी है एक ऑटो वाले और एक नवयुवक प्रशांत की जो उस रात अपने घर को जल्दी पहुंचना चाहते थे। लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था इसीलिए दिन उन दोनों का सफर एक ही था । इस कहानी को उस दिन की सुबह से शु

4

मध्यम वर्गीय जीवन की कहानी

30 सितम्बर 2024
1
2
2

पात्र:सीमा (माँ)रमेश (पिता)अनुज (बेटा, 15 साल का)नेहा (बेटी, 10 साल की)सुबह का समय है। सीमा रसोई में नाश्ता बना रही है। अनुज और नेहा स्कूल के लिए तैयार हो रहे हैं, और रमेश ऑफिस जाने की तैयारी में है।स

5

काया रंग : एक श्रृंगार

13 नवम्बर 2024
2
0
0

छाया एक 24 साल की लड़की थी जो दिल्ली शहर में पैदा हुई थी और वह शुरू से ही काफी आत्मविश्वासी और तर्क-वितर्क करने में कुशल थी | छाया के परिवार वाले उसकी शादी के लिए कई रिश्तेदारों से बात चला रहे थे लेकिन

6

दर्पण के उस पार

22 नवम्बर 2024
1
0
0

पात्र: 1: अमन: भ्रमित मानसिक स्थिति में एक युवा व्यक्ति। 2: डॉ. समीर: एक अनुभवी मनोचिकित्सक।अमन एक भ्रमपूर्ण मानसिक स्थिति में है, जिसको डिलूशनल डिसऑर्डर (Delusio

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए