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काया रंग : एक श्रृंगार

13 नवम्बर 2024

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छाया एक 24 साल की लड़की थी जो दिल्ली शहर में पैदा हुई थी और वह शुरू से ही काफी आत्मविश्वासी और तर्क-वितर्क करने में कुशल थी | छाया के परिवार वाले उसकी शादी के लिए कई रिश्तेदारों से बात चला रहे थे लेकिन छाया सिर्फ उसी लड़के से शादी करना चाहती थी जिससे उसके विचार मिलते हों न की कुंडलियाँ | छाया के परिवार वाले चाहते थे कि उसकी शादी जल्द से जल्द पक्की हो जाये क्यूँकि उनको कहीं न कहीं ये चिंता सता रही थी की छाया के साँवले रंग की वजह से शादी में मुश्किल हो सकती है | छाया इन सब बातों से बिलकुल अनजान थी क्यूकि उसके साथ कभी ऐसा वाक्या नहीं हुआ था जहाँ उसके रंग को बीच में लाया गया हो |

रिश्तेदारों की सहायता से एक परिवार छाया को देखने के लिए उनके घर आने वाला था | छाया का पूरा परिवार उनके स्वागत के लिए तैयारियां कर रहा था | जब लड़के वाले का परिवार आया तो छाया का पूरा परिवार उनकी आवभगत करने में लग गया था | छाया की माँ लड़के को देखकर मन ही मन खुश हो रही थी क्यूकि लड़का देखने में सुन्दर था और बोल चाल से भी सही लग रहा था | छाया अपने कमरे में बैठी थी उसे नहीं पता था कि, बाहर क्या चल रहा था? वह लड़के से मिलने के लिए उत्सुक थी वह जानना चाहती थी कि लड़के का स्वभाव कैसा है ?

थोड़ी देर बाद छाया को मिलने के लिए कमरे से बाहर आने के लिए बुलाया जाता है | छाया की माँ छाया को लेने जाती है और छाया से कहती है कि लड़का तो अच्छा लग रहा है अब चलो तुम, तुम्हे बाहर बुलाया है | छाया और उसकी माँ बाहर आये और लड़के वाले के परिवार के बोलने पर छाया सोफे पर बैठ गयी | छाया को देखकर वो सब आपस में फुसफुसाने लगे और थोड़ी देर बाद छाया को वापस कमरे में भेज दिया | छाया सोच रही थी कि कैसे अजीब लोग हैं मुझसे मेरा नाम तक नहीं पूछा और मुझे अंदर जाने को बोल दिया | छाया अंदर जाकर बैठ गयी और अपनी माँ के वापस आने का इंतज़ार करने लगी | थोड़ी देर बाद उसकी माँ कमरे में आती है अपनी माँ का उतरा हुआ मुँह देखकर छाया समझ गयी थी कि बाहर कुछ हुआ है | उसके बार बार पूछने पर उसकी माँ की आँखों में आंशू आ गए और वो छाया से कहती है कि लड़के वालों ने तुम्हारे लिए मना कर दिया है | छाया ने कहा कि इसमें उदास होने वाली कौन सी बात है ? शायद ! मै उनको पसंद नहीं आयी होऊंगी | छाया की माँ ने कहा कि उन्होंने तुमको तुम्हारे साँवले रंग की वजह से मना किया है वो बोल रहे थे कि तुम्हारी लड़की का रंग मेरे लड़के के रंग के आस पास भी नहीं है |                                                                 

इतना सुनकर छाया को गुस्सा आ गया और वो उनको जवाब देने के लिए बाहर जाने लगी थी कि तभी उसकी माँ ने उसको रोक लिया और कहा कि कोई फायदा नहीं है उनको सुनाकर जब कमी है खुद में है तो उनसे क्या बोलना ?

छाया ने अपनी माँ से कहा कि कमी कैसी कमी साँवला होना कमी है क्या ? और कब तक आप सब लोग इसको कमी समझोगे ? माँ मेरी बात को समझो यह लोग जो आये हैं इनको समझने की जरुरत है कि कमी मुझ में नहीं उनकी सोच में है | और माँ तुम चिंता मत करो दुनिया में सबकी अलग अलग सोच होती है मिल जायेगा कोई जिसको मेरा साँवला रंग कमी नहीं लगेगी |                                             

माँ उसकी बात सुनकर समझ गयी की छाया सही कह रही है कि जब कोई गलती है ही नहीं तो रोना क्यूँ ?

 इतना कहकर छाया की मां कमरे से बाहर निकली पीछे पीछे छाया भी बाहर आई । छाया के चेहरे पर मुस्कुराहट थी और छाया समझ गई थी कि अब क्या होने वाला है क्योंकि वो अपनी मां के स्वभाव को बहुत अच्छी तरह जानती थी। छाया की मां लड़के पूरे परिवार के सामने बोली माफ कीजिएगा मेरी लड़की ने भी आपके लड़के के लिए मना कर दिया है और उसका ये कहना है कि लड़का उसकी सोच के आस पास भी नहीं है क्योंकि उसकी सोच में कमी है क्योंकि छाया को और मुझे लगता है कि आप सबकी तो सोच का रंग मेरी बेटी के शरीर के रंग से भी ज्यादा बत्तर है। इतना सुनकर लड़के वाले गुस्सा होकर चले गए।

अपनी मां के इस फैसले और जवाब से छाया को बहुत गर्व महसूस हुआ और उसको खुशी इस बात की थी कि उसकी मां को सब बात को सुनकर चुप हो जाने की जो खामी थी उसी खामी को भुलाकर अपनी बात बोलने की हिम्मत के आभूषण बनाकर अपने अस्तित्व का श्रृंगार करना सीख चुकी थी। अपनी मां के इस फैसले ने कहीं न कहीं छाया के जीवन को सही से जीने का मौका दिया।


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