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देर भली

28 जुलाई 2023

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यह कहानी है एक ऑटो वाले और एक नवयुवक प्रशांत की जो उस रात अपने घर को जल्दी पहुंचना चाहते थे। लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था इसीलिए दिन उन दोनों का सफर एक ही था । इस कहानी को उस दिन की सुबह से शुरू करते हैं ।

देखो आज की यह सुबह कितनी अच्छी है सूरज कितना चमक रहा है यह कहकर प्रशांत की मां प्रशांत को उठा रही थी लेकिन प्रशांत फिर से सो गया प्रशांत की माँ ने प्रशांत को फिर से आवाज लगाई और कहा आज तेरा जन्मदिन है अब तो उठ जा भगवान को याद कर ले इतना सुनकर प्रशांत हड़बड़ा कर उठ गया और जाकर मां को गले से लगा कर कहा मां आज का दिन कितना अच्छा है आज मैं पूरे 24 साल का हो चुका हूं और देखो तुमने मेरे लिए मेरी मनपसंद कचोरिया बनाई है प्रशान्त की मां ने कहा हां हां मुझे पता है कि तुम्हें कचोरिया बहुत पसंद है लेकिन ऑफिस जाने को तुमको लेट हो रहा है इसीलिए जल्दी से तुम तैयार हो जाओ और ऑफिस जाते वक्त भगवान के दर्शन करना मत भूलना। जी मां इतना कहकर प्रशांत ऑफिस जाने के लिए तैयार होने लगता है।

उधर एक ऑटो वाला जिसका नाम नरेश था सुबह उठकर अपने 10 वर्षीय बेटे को गोद में उठाता है और उसको जन्मदिन की बधाई देता है और कहता है कि बेटा तुम जीवन भर उन्नति करो और मेरा नाम इस समाज में ऊंचा करो मुझे भरोसा है कि 1 दिन तुम कुछ ऐसा काम करोगे की मुझे तुम पर गर्व होगा इतना कहकर नरेश अपने बेटे का माथा चूमता है और थोड़ा सा भावुक हो जाता है। थोड़ी देर बाद नरेश की बीवी कहती है सुनते हो आज शाम को घर जल्दी आ जाना क्योंकि आज आपके बेटे की फरमाइश है कि आप उसको बाहर घुमाने ले जाओगे। नरेश ने कहा ठीक है मैं पूरी कोशिश करूंगा जल्दी आने की लेकिन मैं वादा नहीं कर सकता और हां तुम आज मंदिर जाकर भगवान से हमारे बच्चे की लंबी आयु की कामना जरूर कर लेना।

इधर प्रशांत ऑफिस जाने के लिए तैयार हो चुका था लेकिन जब उसने समय देखा तो उसको जाने में देर हो रही है। प्रशांत की मां ने कहा बेटा ऑफिस जाने से पहले कचौड़ी तो खा ले लेकिन प्रशांत देरी की वजह से मां को कहता है मां आज मैं ऑफिस जाने मैं लेट हो जाऊंगा इसलिए अभी मैं कचौड़ी नहीं खा सकता शाम को आकर खाऊंगा इतना कहकर प्रशांत बाइक चालू करने लगता है लेकिन बाइक चालू नहीं होती और तब प्रशांत झुंझलाकर बोलता है की आज के दिन ही इस बाइक खराब होना था कोई बात नही आज ऑटो से ही जाना पड़ेगा । प्रशांत जैसे तैसे घर से निकलकर ऑटो स्टैंड तक पहुंचा उसने हाथ दिखाकर ऑटो रोका और तभी एक ऑटो रुक जाता है यह ऑटो नरेश का ही था

प्रशान्त जल्दी से ऑटो में बैठ गया और बोला जल्दी चलो आज पहले से ही बहुत देर हो गई है। नरेश थोड़ा मुस्कुराकर बोला साहब पहले बताओ तो जाना कहां है प्रशान्त भी हंसके बोला शिव मंदिर के पास जो ऑटो स्टैंड है वहां पर उतार देना और हां मंदिर आए तो मुझे बता देना ।

नरेश ने तुरंत ऑटो चालू किया और चल दिया दोनो को आज के दिन की अलग ही खुशी थी। थोड़ी देर बाद नरेश मंदिर के पास पहुंचे वाला ही था तो नरेश बोला साहब आपका मंदिर आने वाला है प्रशान्त ने कहा अच्छा ठीक है ऑटो थोड़ा रोक कर चलाना मैं मंदिर के बाहर से ही सिर झुका लूंगा और फिर नरेश ने ऐसा ही किया प्रशांत ने ऑटो से गर्दन को बाहर निकाल कर सिर को झुकाया और भगवान से प्रार्थना की हे भगवान आपका बहुत बहुत धन्यवाद मेरा ये जन्मदिन हर साल की तरह अच्छा ही जाए और मुझे और मेरे परिवार को हमेशा खुश रखना। ये देख नरेश भी अपने हाथ जोड़ लेता है और भगवान से यही प्रार्थना करता है कि मेरे बच्चे और परिवार को हमेशा खुश रखना।

इतने में प्रशान्त के एकदम पास से एक बस गुजरती है जिससे प्रशांत का सर टकराने से बाल बाल से बच जाता है। प्रशांत अचानक से डर जाता है और एकदम से सिर को वापस ऑटो के अंदर कर लेता है। नरेश कहता है बाबूजी संभल कर अभी आप को चोट लग जाती भगवान की कृपा है आप पर जो आपको कुछ नहीं हुआ इतना कहकर नरेश ऑटो फिर से चालू कर आगे बढ़ने लगता है। थोड़ी देर बाद प्रशान्त ऑटो स्टैंड पर पहुंचकर ऑफिस चला जाता है और नरेश भी अगली सवारी का इंतजार करने लगता है। देखते देखते दिन बीत जाता है रात होने लगती है शाम के 7:30 बज गए । प्रशान्त ऑफिस से निकलकर वापस ऑटो स्टैंड पर आता है और ऑटो के आने का इंतजार करता है और थोड़ी देर बाद एक ऑटो रुकता है और प्रशान्त झुककर देखता है की ये वही ऑटो वाला था जो सुबह उसको लेकर आया था नरेश भी उसको पहचान जाता है और कहता है साहब बैठिए आपको छोड़ देता हूं फिर प्रशांत

ऑटो में बैठ जाता है और नरेश ऑटो चलाने लगता है थोड़ी देर बाद नरेश प्रशांत से पूछता है साहब क्या आज आपका जन्मदिन है प्रशांत हैरान होकर कहता है हां है लेकिन यह तुमको कैसे पता नरेश कहता है की आज सुबह जब आप मंदिर के सामने हाथ जोड़ रहे थे तब आप ने बोला था कि आज आपका जन्मदिन है प्रशांत ने कहा अच्छा तो मतलब तुम मेरी बात सुन रहे थे। नरेश ने कहा नहीं नहीं मेरा वह मतलब नहीं है मैं यह बताना चाहता हूं की आज मेरे बेटे का भी जन्मदिन है और मैं आज उसको बाहर घुमाने ले जाने वाला हूं प्रशांत ने कहा यह तो बहुत खुशी की बात है की आज आपके बेटे का जन्मदिन है और मैं चाहता हूं की आपकी बेटे को जीवन में कामयाबी मिले और वह हमेशा खुश रहे। इतने में नरेश का फोन बजने लगता है वो देखता है की उसकी पत्नी उसको फोन कर रही है तो वह फोन उठा लेता है उसकी पत्नी कहती है आप कहां रह गए हो आपको बोला था कि आप जल्दी आ जाना बच्चा बाहर जाने के लिए बहुत जिद कर रहा है आपने उसको उसके जन्मदिन के दिन भी रुला दिया है अब आप जल्द से जल्द घर आ जाओ इतना कहकर उसकी पत्नी ने फोन काट दिया नरेश को आप घर पहुंचने की बहुत जल्दी थी इसलिए उसने ऑटो की रफ्तार तेज कर दी प्रशांत यह सब देख रहा था और उसने नरेश को बोला की आप ऑटो थोड़ा धीरे चलाओ शाम का वक्त है भीड़ बहुत ज्यादा है और हम तेज रफ्तार से चल रहे हैं तभी नरेश ने कटाक्ष स्वर में कहा क्यों साहब सुबह तो आप ही कह रहे थे ऑटो तेज चलाने के लिए और अब जब मुझे घर जल्दी जाना है तो अब आपको यह रफ्तार तेज लग रही है प्रशांत चुप हो गया और भगवान से प्रार्थना कर रहा था की दोनों सही सलामत घर पहुंच जाएं तभी प्रशान्त को फोन आता है जो उसकी मां का था वह फोन उठाता है तो उसकी मां कहती है बेटा तू कहां है कब से इंतजार कर रही हू प्रशांत कहता है मां बस थोड़ी देर और 10 मिनट में घर आ जाऊंगा मेरी कचोरी तैयार रखना मुझे बहुत जोर से भूख लग रही है इतना कहकर प्रशांत ने फोन रख दिया नरेश अभी भी तेज रफ्तार में ऑटो चला रहा था तभी अचानक से एक ट्रक से उनकी टक्कर हो गई और प्रशांत गिरकर ट्रक के आगे वाले पहिए के नीचे दब गया और नरेश का पैर ट्रक के दूसरे पहिए से कुचल गया नरेश का फोन रास्ते पे ही गिरा हुआ था आस पास भीड़ इक्कठा हो गई सब समझने की कोशिश कर रहे थे की आखिर गलती किसकी थी ट्रक वाले की या ऑटो वाले की लेकिन सब यह बोल रहे थे कि की उस जवान लड़के की कितनी बुरी मौत हुई उसका सिर तो कुचल गया है । नरेश वहीं पड़ा हुआ दर्द के मारे तपड़ रहा था उसे होश तक नहीं था की वह जिंदा है भी या नहीं| नरेश की आँखें बंद होने लगी और फिर वो बेहोश हो गया।

नरेश को जब होश आया तब उसने देखा कि वो अस्पताल में है और उसकी पत्नी उसके बगल में बैठी हुई रो रही थी और उसका बेटा उसको चुप करा रहा था नरेश ने अपने पैर की तरफ देखा और वो समझ गया था की उसने अपना एक पैर गवां दिया है वो चाहकर भी खुदको रोने से रोक नहीं पा रहा था । वो अपनी इस दुर्दशा को अपना नहीं पा रहा था लेकिन उसकी पत्नी उसको दिलासा देने का पूरा प्रयास कर रही थी और देखते ही देखते कुछ महीनों बाद नरेश शारीरिक तौर से तो ठीक हो चुका था लेकिन मानसिक रूप से वो अपना आत्मविश्वास खो चुका था। वो प्रशान्त के साथ की मृत्यु का जिम्मेदार खुद को ही मानता था और अपने परिवार पर खुद को बोझ समझने लगा था।इस आत्मग्लानि की भावना के साथ वो यह सोचता है की काश मैंने उस समय प्रशान्त की बात सुन ली होती और ऑटो तेज न चलाया होता तो आज यह नहीं होता मेरा एक गलत फैसला और सब कुछ बदल गया मैने एक मां का बेटा उससे छीन लिया। अब मेरे पछताने के सिवाए कुछ नहीं बचा.......|
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