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कोई अपना पराया

26 नवम्बर 2021

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दिल्ली से बैठै वनीता को बस दस मिनट ही हुये थे। उसने नजर घुमाई पर कोइ भी लेडीज नही थी। पास के सिट वाले बार बार उसको घुर रहे थे। कोई गंदे इशारे करके हल्के गुजर जाते । तभी कोई बडी सी बैग खिचता हुआ उसके सिट पर पहुँच गया। आखो पर से गॉगल्स हटाकर जल्दी से बोल पडा  " एक्स क्युज मी! क्या मैं यहा बैठ सकता हुँ।"  और हल्के से मुस्कुरा दिया। खुबसुरत सी कॉलेज में पढने वाली वनिता को कुछ समझ मे नही आया। पर वह बोला ," कोई स्वारी बोलकर याहाँ बैठने से पहले ; मै ही बैठ जाता हुँ! " ।  वह बैठ चुका था। वनीता को बहुत गुस्सा अाया। और वह बोली " ये मेरी रिजर्वेशन सिट है। आप कही और बैठ जाईये। " हल्के से घुरते हुये। 

लडका थोडा धिरे से बोला , " मै जानता हूँ! मेरी भी रिजर्वेशन सिट यहॉ से दो सीट आगे है । पर आप बिल्कुल अकेली लडकी है, और आसपास सब आवारा शराबी लडके है! " ।  वह चारो तरफ देखता हुआ बोला, " कब से तुम्हे छेड़ रहे हैं ! इसलिए आ गया हुँ! "   उस की बात बिलकुल सही थी। वो कब से परेशान थी। क्योंकि पंधरा दिन पहले इस ट्रेंन मे रेप हुआ था! 

उसने मन ही मन में भगवान का शुक्रिया अदा कीया। दुअा की के ऐसे अजनबी हर कीसी को मिले। 


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jain rajsulo

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कुछ अच्छे ल़ोग भी होते हैं और कुछ अच्छी महिलाएं भी. अच्छा लिखा.

26 नवम्बर 2021

कासिम खान गांजापुरी

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27 नवम्बर 2021

धन्यवाद🙏💕

कासिम खान गांजापुरी

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लेख सत्य घटना पर आधारित है। बस पात्रों के नाम बदले है बस्स।

26 नवम्बर 2021

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