श्री कृष्णजन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण का जनमोत्स्व है। योगेश्वर कृष्ण के भगवद गीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। जन्माष्टमी भारत में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण ने अपना अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में लिया। चूंकि भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे अत: इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं।
1. एक ऐसा कृष्ण मंत्र जिसे साक्षात शिव ने भी पवित्र माना
कृष्ण मंत्रों की लंबी श्रंखला में कुछ मंत्र अत्यंत प्रभावशाली माने गए हैं जैसे यह मंत्र बीज मंत्र की तरह काम करता है भगवान शिव ने इस मंत्र के विषय में कहा है कि-
अतिगुह्यतरं तत्वं सर्वमंत्रौघविग्रहम। पुण्यात् पुण्यतरं चैव परं स्रेहाद् वदामि ते।
यह अति गूढ़ मंत्र है। इस मंत्र से सभी प्रकार के भय और संकट दूर हो जाते हैं। जीवन में आने वाली हर विपदा से निपटने में सक्षम है यह पुण्यकारी पवित्र दिव्य मंत्र है |
दिव्य मंत्र
प्रतिदिन प्रातः काल उठते ही बिना 3 बार जप करने से सभी प्रकार के अनिष्ट का अंत हो जाता है। अगर जीवन में बड़ा संकट आ गया है तो संकल्प लेकर 51000 बार जप करें और जप पूरा होने के बाद 5100 बार मंत्र का जप करते हुए हवन करें।
2. विद्या प्राप्ति का अत्यंत गोपनीय श्रीकृष्ण मंत्र
यह तैंतीस अक्षरों वाला श्रीकृष्णमंत्र है। इस श्रीकृष्णमंत्र का जो भी साधक जाप करता है उसे समस्त प्रकार की विद्याएं निःसंदेह प्राप्त होती हैं। यह मंत्र गोपनीय माना गया है इसे करते समय किसी को पता नहीं चलना चाहिए।
3.श्रीकृष्णजन्माष्टमी पर पावन संयोग, कब मनाएं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव
इस बार गुरुवार, 25 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व अष्टमी और उनके जन्म नक्षत्र रोहिणी के पावन संयोग में मनेगा। इस दिन अष्टमी उदया तिथि में और मध्य रात्रि जन्मोत्सव के समय रोहिणी नक्षत्र का पवित्र संयोग बन रहा है। भादो माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर मनाया जाने वाला कृष्ण जन्म पर्व इस बार गुरुवार, 25 अगस्त को पड़ रहा है। इस दिन पूरे भारतवर्ष में कृष्ण जन्मोत्सव की धूम रहेगी। ग्रहों के विशेष संयोग के साथ भगवान का जन्मोत्सव मनेगा।
24 अगस्त, बुधवार की रात्रि 10.13 बजे से अष्टमी तिथि का आगमन हो रहा है। इस वजह से तिथि काल मानने वाले बुधवार को भी जन्मोत्सव मना सकते हैं, लेकिन गुरुवार को उदया काल की तिथि में व्रत जन्मोत्सव मनाना शास्त्रसम्मत रहेगा। अष्टमी तिथि 25 अगस्त को रात्रि 8.13 बजे तक रहेगी। इससे पूरे समय अष्टमी तिथि का प्रभाव रहेगा।
4. जन्माष्टमी के सरल और अचूक उपाय
5. जन्माष्टमी : श्रीकृष्ण का अवतरण दिवस
कृष्ण पर क्या लिखूं ? क्योंकि कृष्ण तो जगत का विस्तार हैं, चेतना के सागर हैं, जगद्गुरु हैं, योगेश्वर हैं। उन्हें शब्दों में बांधना उतना ही कठिन है जितना कि सागर की लहरों को बाजुओं में समेटना।
ग्वालों एवं बालाओं के साथ खेल ने वाला सरल-सा कृष्ण इतना अगम्य है कि उसे जानने के लिए ज्ञान ियों को कई जन्म लेने पड़ते हैं, तब भी उसे नहीं जान पाते। कृष्ण कई ग्रंथों के पात्र हैं। आज उन पर सैकड़ों ग्रंथ लिखे जा चुके हैं और तब भी लगता कि उन्हें तो किसी ने छुआ भी नहीं है। उन पर सैकड़ों वर्षों तक लिखने के बाद भी उनकी एक मुस्कान को ही परिभाषित नहीं किया जा सकता। पौराणिक मान्यताओं के आधार पर विष्णु भगवान ने 8वें मनु वैवस्वत के मन्वंतर के 28वें द्वापर में 8वें अवतार के रूप में देवकी के गर्भ से भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र में रात के ठीक 12 बजे जन्म लिया। ऐतिहासिक अनुसंधानों के आधार पर कृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व में हुआ था। हिन्दू कालगणना के अनुसार 5126 वर्ष पूर्व कृष्ण का जन्म हुआ था।
कृष्ण क्या हैं? मनुष्य हैं, देवता हैं, योगी हैं, संत हैं, योद्धा हैं, चिंतक हैं, संन्यासी हैं, लिप्त हैं, निर्लिप्त हैं? क्या कोई परिभाषित कर सकता है? इतना बहुआयामी व्यक्तित्व, जो जन्म से ही मृत्यु के साये में जीता है। कृष्ण का जन्मजेल में हुआ। घनघोर बारिश में नंदगांव पहुंचे व जन्म से ही जिसकी हत्या की बिसात बिछाई गई हो, जिसे जन्म से ही अपने माता-पिता से अलग कर दिया हो, जिसने अपना संपूर्ण जीवन तलवार की धार पर जिया हो, वो ही इतने विराट व्यक्तित्व का धनी हो सकता है। कृष्ण जीवनभर यताति रहे, भटकते रहे, लेकिन दूसरों का सहारा बने रहे। बाल लीलाएं करके गांव वालों को बहुत-सी व्याधियों से बचाया, दिखावे से दूर कर्मयोगी बनाया, बुरी परंपराओं से आजाद कराया।
कृष्ण चरित्र सबको लुभाता है। कृष्ण संपूर्ण जिंदगी के पर्याय हैं। उनका जीवन संदेश देता है कि जो भी पाना है, संघर्ष से पाना है। कृष्ण आत्मतत्व के मूर्तिमान स्वरूप हैं। कृष्ण की लीलाएं बताती हैं कि व्यक्ति और समाज आसुरी शक्तियों का हनन तभी कर सकता है, जब कृष्णरूपी आत्म-तत्व चेतन में विराजमान हो। ज्ञान और भक्ति के अभाव में कर्म का परिणाम कर्तापन के अहंकार में संचय होने लगता है। सर्वात्म रूप कृष्णभाव का उदय इस अहंकार से हमारी रक्षा करता है।
कंस गोहत्या का प्रवर्तक था। उसके राज्य में नरबलि होती थी। जरासंध 100 राजाओं का सिर काटकर शिवजी पर बलि चढ़ाने वाला था। कृष्ण ने इन दोनों आसुरी शक्तियों का संहार किया। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में उन्होंने ब्राह्मणों की जूठी पत्तल उठाने का कार्य अपने हाथ में लिया था।
6. 25 अगस्त को ही मनेगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, क्यों ?
इस वर्ष भाद्रपद कृष्ण पक्ष जन्माष्टमी 24 या 25 अगस्त को लेकर संशय बना हुआ है। कृष्ण जन्म के लिए धर्मसिन्धु के अनुसार महत्वपूर्ण अष्टमी तिथि 24 की रात 10.16 मिनट से 25 की रात 8.07 मिनट तक रहेगी तथा रोहिणी नक्षत्र 25 को मध्याह्न 12.05 मिनट से 26 प्रात: 10.51 मिनट तक रहेगा।
अत: स्पष्ट है कि 24 को पूर्ण रात्रि अष्टमी तथा 25 को पूर्ण रात्रि रोहिणी नक्षत्र रहेगा। अष्टमी 24 की रात को होने से स्मार्त जन्माष्टमी व्रत 24 को तथा वैष्णव 25 की रात्रि को जन्माष्टमी मनाएंगे। अष्टमी और रोहिणी दोनों ही 25 को अधिक होने से पूरे देश में अधिकतर जगह 25 को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
श्रीकृष्ण जन्म दुर्लभ है। सालों में नहीं, युगों में ऐसे ज्योतिष योग आते हैं, जो कृष्ण जन्म के समय थे। लगभग 5043 वर्ष पहले ऐसे योग थे जिनमें कृष्ण का जन्म हुआ।
ससे इस दिन की तुलना यदि की जाए तो इस बार भी चन्द्र, सूर्य, बुध तीनों न केवल उसी स्वराशि में बल्कि उन्हीं भावों में हैं, जो कृष्ण जन्म के समय थे। रोहिणी नक्षत्र, उच्च वृषभ राशि में चन्द्र, कन्या का बुध अमृत सिद्धि तथा सर्वार्थ सिद्धि योग में हुआ था, जो कि इस बार भी रहेगा।
7. विशेष है इस वर्ष की जन्माष्टमी, क्यों ?
इस वर्ष, माह, पक्ष, तिथि और रात्रि का मध्यमान होता है भाद्र कृष्ण पक्ष। अष्टमी विशेष की महारात्रियां पूर्ण तिथियों में ही आती हैं। उपरोक्त समय के मध्यमान का महत्व बताने में और श्री कृष्ण का मूल महत्व बताने के लिए कृष्ण जन्म भाद्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रात्रि अभिजीत योग में हुआ।
जन्माष्टमी को तंत्र की 4 महारात्रियों में से 1 माना गया है। इन्हीं शुभ योगों में होने के कारण इस वर्ष की जन्माष्टमी भी अति शुभ एवं सिद्धिदायक होगी। यह ऐसे योग हैं जिसमें जन्म लेने के कारण श्रीकृष्ण ने सभी राक्षसों एवं कामदेव का रासलीला में अहंकार तोड़ा।
विशेष रूप से इस रात्रि को शनि, राहु, केतु, भूत, प्रेत, वशीकरण, सम्मोहन, भक्ति और प्रेम के प्रयोग एवं उपाय करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी। मुहूर्त हेतु रात्रि अभिजीत मुहूर्त श्रेष्ठ रहेगा।
8. भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कुंडली के विलक्षण सितारे
श्री कृष्ण की प्रचलित जन्म कुंडली के आधार पर उच्च के 6 ग्रह, लग्न में एक स्वराशि का होने से श्रीकृष्ण सामने वाले की मन:स्थिति को जानने वाले तथा पराक्रमी बने।
पराक्रम भाव में उच्च का एकादशेश व अष्टम भाव का स्वामी होने से श्रीकृष्ण से मृत्यु पाने वाले उनकी मृत्यु का कारण भी बने। पंचम भाव में उच्चस्थ बुध के साथ राहु ने आपको अत्यंत विलक्षण बुद्धि तथा गुप्त विद्याओं का जानकार बनाया।
षष्ठ भाव में उच्चस्थ शनि होने से श्रीकृष्ण प्रबल शत्रुहंता हुए। सप्तमेश मंगल उच्च होकर नवम भाव है अत: भाग्यशाली रहे। चतुर्थेश सूर्य स्वराशि में होने से हर समस्याओं का समाधान श्रीकृष्ण कर सके। उनके समक्ष बड़े से बड़ा शत्रु भी न टिक सका। सर्वत्र सम्मान के अधिकारी बने।
उच्च के चन्द्र से चतुर, चौकस, चमत्कारी, अत्यंत तेजस्वी, दिव्य और अनेक विलक्षण विद्याओं के जानकार रहे।
9. जन्माष्टमी पर अपनी राशि के अनुसार करें श्रीकृष्ण का श्रृंगार
माखनचोर, नंदकिशोर, देवकीनंदन, मुरली मनोहर, गोविंद, भक्त वत्सल श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपक्ष कृष्ण पक्ष अष्टमी को रात्रि 12 बजे हुआ।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव हमें अपने पूरे परिवार के साथ आनंद से मनाना चाहिए। प्रात:काल स्नान करके घर स्वच्छ कर लड्डू गोपाल की मूर्ति को चांदी अथवा लकड़ी के पटिए पर स्थापित करना चाहिए।
दीपक लगाकर पूजन की आरती तैयार कर लें तत्पश्चात श्रीकृष्ण को आसन पर बैठाकर आवाहन करके जल, दूध, दही, घी, शहद, पंचामृत से स्नान कराएं। स्नान कराने के बाद भगवान को वस्त्रादि पहनाकर कंकू, हल्दी, चावल, सिन्दूर, गुलाल आदि से पूजन करें, फिर फूलमाला पहनाएं व धूप-दीप बताकर भोग लगाएं, फिर आरती करें।
यह संक्षिप्त पूजन करके भगवान को झूले में बैठा दें। रात्रि 12 बजे तक कीर्तन, भजन या जाप करें। रात्रि ठीक 12 बजे पुन: आरती करके श्रृंगार करें। श्रृंगार और भोग अपनी राशि अनुसार हो तो अनन्य फल प्राप्त होता है।
10. हर परिस्थिति में विजयी बनाने वाला अचूक कृष्ण मंत्र
जीवन में आने वाली विपरीत परिस्थितियों में विजय प्राप्त करने के लिए श्रीमद्भगवद्गीता के इस श्लोक को पढ़ना चाहिए |
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।
11. इन 2 शुभ मंत्रों से होगी कान्हा जैसी सुंदर संतान
शीघ्र संतान प्राप्ति के लिए घर में श्रीकृष्ण के बालस्वरूप लड्डूगोपालजी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। अनेक पुराणों में वर्णित संतान प्राप्ति का यह सबसे सहज उपाय है।
कान्हा जैसी सुंदर संतान के लिए इस मंत्र का उच्चारण करें–
सर्वधर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच।
जिन परिवारों में संतान सुख न हो कुंडली में बुध और गुरु संतान प्राप्ति में बाधक हों तब पति-पत्नी दोनों को तुलसी की शुद्ध माला से पवित्रता के साथ ‘संतान गोपाल मंत्र’ का नित्य 108 बार जप करना चाहिए या विद्वान ब्राह्मणों से सवा लाख जप करवाने चाहिए-
देवकीसुतं गोविन्दम् वासुदेव जगत्पते|
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:||