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कुछ यादे बचपन की 2

31 अगस्त 2022

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जो मेरे 4 मिनट छोटी है ।😊💞

जब जन्म प्रमाण पत्र बनवाने का कार्य शुरू हुआ । तब 

नर्स ने नाम पूछा  तो मेरी मम्मी ने जल्दी ही नाम बता 

दिया , क्योंकि वो तो पहले से हि हम दोनों बहनों का 

नाम सोच रखी थी ।😊💖 पहले से ही मेरे कहने का 

मतलब ये है की वो शादी से पहले ही उनको दोनाम बहुत 

अच्छी लगी थी । तो मम्मी ने सोच लिया कि मेरी भी जब 

बेटियाँ होगी तो यही नाम रखूँगी | वो नाम मेरी मम्मी के 

प्रोफेसर की बेटियों का था । जो कि वो दोनों भी जुड़वा 

ही थी । एक का नाम अनामिका 😊था और एक का 

अवनितिका ।😊

मेरी मम्मी ने मेरा नाम अनामिका और मेरी जुड़वा बहन 

का नाम अवनितिका रखा ।👩‍❤️‍👩

😊 वैसे नर्स ने हमदोनो का नाम जन्म होते ही रख दिया 

था ।😀

मेरा हिरिया और छोटी बहन का जिरिया😘🤭🤗 है 

ना अच्छा नाम😜

फिर हमलोग मामा जी के घर आ गए ।

वहाँ का नियम है ।जब लड़की होती है तो वहाँ गाँव में 

जलेबी बाटी जाती है। वो सब भी हो गया ।😊

गाँव में जब लोगों को पता चला की नेहा की (यानि की 

मेरी मम्मी को ) जुड़वा बच्ची हुई है तो लोग देखने आने 

लगे ।😀 जब एक फुआ आयी वो मेरी मम्मी फुआ 

लगती थी । उन्होने हम दोनों का नाम रखा🤗 तारा  मेरा 

और सितारा छोटी बहन का ।

मामा जी ने हेवली🤭 और केवली😜 रखा । नाना जी 

ने सुभद्रा और संकेशा रखा🤗 


एक दिन की बात है जब मेरी मम्मी से उनकी एक भाभी 

मिलने आयी । कुछ देर तक बाते हुई उन दोनों के बीच । 

उसी दौरान वो महिला मेरी मम्मी से बोली अगर ये😒 

( मेरी छोटी बहन को ) लड़का हुई होती तो कितना अच्छा 

होता । 
      
                   💖💖💖💖💖

  😊अब मेरे पापा जी की बात आपको बताती हूँ ।😊

मेरे पापा जी को तो पता भी नहीं था कि हमलोगों का 

जन्म हो गया है 🤭, क्योंकि तब तो फोन था नहीं मेरे 

घर ।😏 कि तुरंत बता दिया जाए । मेरे पापा जी को 

उनके एक दोस्त बताए कि तुम्हारी जुड़वा बेटी हुई है ।


क्रमशः


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मेरा बचपन बहुत आश्चर्यजनक रहा। मेरे जीवन मे कुछभी अचानक से हो जाता है। पहले से किसी बात की जानकारी नहीं होती है । मेरा जन्म हथुआ के बंगाली लाइन में डॉ अमरेश कुमार के यहाँ हुआ था। मेरे ज

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कुछ यादे बचपन की 2

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जो मेरे 4 मिनट छोटी है ।😊💞जब जन्म प्रमाण पत्र बनवाने का कार्य शुरू हुआ । तब नर्स ने नाम पूछा तो मेरी मम्मी ने जल्दी ही नाम बता दिया , क्योंकि वो तो पहले से हि हम दोनों बहनों का

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पापा जी घर आए लेकिन उन्होंने किसी को कुछ भी नहीं बताया । ना मेरी दादीजी को ,ना बुआ जी को और ना दादा जी को ही । मेरी नानी जी ने किसी के यहाँ जाकर टेलीफोन से फोन किया और बताई कि मेरी दादी

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