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कुछ यादे बचपन की 3

31 अगस्त 2022

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    पापा जी घर आए लेकिन उन्होंने किसी को कुछ भी नहीं बताया । ना मेरी दादीजी को ,ना बुआ जी को और ना दादा जी को ही । मेरी नानी जी ने किसी के यहाँ जाकर टेलीफोन से फोन किया और बताई कि मेरी दादी जी से आपकी पोतियाँ हुई है । तब मेरे घर वालो को पता चला कि हमलोगों जन्म हो गया है । दादी जी जब पापा जी से पुछी की तुमको पता था क्या ? तो पापा जी बोले हाँ हमको अशोक ने बताया था आज सुबह में ।

                    



दादी इसलिए पुछ रही थी क्योंकि जब नानी जी उनको बता रही थी तो पापा जी हँस रहे थे। तो मेरी दादी जी को शक हुआ था ।😊 मेरे घर के लोग खुश थे , क्योंकि मेरे दादा जी हमेशा कहा करते थे । किसी - किसी बात पर कि जाने दो मेरे घर भी पोतियाँ होंगी किसी दिन और मेरी खुब सेवा करेंगी । दादा जी हमलोगों के जन्म पर बहुत खुश हुए थे। उनकी इच्छा जो पूरी हुई थी ।

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उनब बारी आती है मेरे चाचा जी का उन्होंने जब सुना तक जुड़वा बच्ची हुई है तो वो उस दिन रात होने के कारण नही आए मिलने लेकिन सुबह होते ही चाचा जी बाइक से आगए मिलने , जब उन्होंने हमलोगों को देखा तो देखते ही कह दिए कि बड़ी वाली ( मैं ) भैया के जैसे है और छोटी वाली भाभी के जैसे और सब लोग यही कहते भी है । उन्होंने सिर्फ मेरा नाम रखा था सुषमा । मेरे मामा जी के गाँव के लोग हमलोगों को खूब खेनाते थे। 

                  



क्योंकि हमलोग रोते नहीं थे। मामा जी बताते है कि सुबह होते ही लड़के आ जाते थे और लाइन लगाते थे कि हमलोगों कौन सबसे पहले ले जायेगा खेलाने बारी बारी से सबलोग खेलाते थे। हमलोग भी उन लोगो की आवाज सुनकर चले आते थे घुटनों के बल ।😊😊 उस समय मुहल्ला में बच्चे तो थे लेकिन रोते थे खेलाने पर । सब तो यही चाहते है कि बच्चा साफ हो और रोता भी नही हो । कुछ लोग हमलोगो को अपने हथेली पर खड़ा करा के खेलाते थे ।                                                           
                


जिसमें मेरे पापा जी बहुत आगे हैं । वो तो हमलोगा का पैर पकड़कर नीचे के तरफ सिर को लटका कर झूला झुलाते थे । उनके ऐसे करने पर हमलोग भी खुब हसते थे तो पापा जी को अच्छा लगता था तो वो ऐसा करते थे ।♥️♥️💖 हमलोग वहा 10 माह तक रहे थे । वहाँ जब भी टीका करण होता था तो बच्चे हमदोनो को टीका लगवाने ले जाते थे। वो लोग डॉ० को खुब confuse🤔 कराते थे ।🤭 वोलोग डॉ० को खुब परेशान करते थे🤨 जब भी टीका लगवाना होता था तो वो लोग हमदोनों को एक जैसा ड्रेस पहना कर ले जाते थे।


😜🤭 डॉ० किसी एक को सूई लगा देती थी और दूसरे की बारी आती तो बोलती थी पागल🤨 हो गए हो तुमलोग🤔 इस बच्ची को तो अभी टीका लगा है ।🤨 फिर से ले आए ।
😜 शुरू शुरू में तो डॉo को बहुत परेशानी हुई थी । कई बार तो सुई देने से ही मना कर देती थी😨 तो  बाद में वोलोग हम दोनों को एक साथ ले जाते थे डॉ. के पास🤭 पापा जी हमदोनो का नाम बड़ी और छोटी रख दिए 

              मेरे दादा जी मेरे को दिल्ली सरकार और रितिका को बिहार सरकार कहते थे ।🤭    



। अब भी कुछ लोग मेरे गाँव के इसी नाम से बुलाते है।🤭 मामा जी के गाँव में तो हम मशहूर थे ही😎 अपने गाँव आने पर यहाँ भी मशहूर हो गए😎😎 हमलोग अपने घर कम लोगों के घर में ज्यदा रहते थे😊 सुबह को गए शाम को आते थे ।


कुछ दिनों के बाद मम्मी के मामा जी को पता चला की नेहा को जुड़वा बच्ची हुई है तो वो वहाँ से एक चीट्ठी लिखवाई अपने बेटी  ( गुडियाँ मौसी ) से , उन्होने सबका कुशलक्षेम पूछा था और अपना भी बताया था । 

          




चिठ्ठी के अंत में 3 नाम लिखा था💕 रिया , रितिका और आदित्य ।
आदित्य मेरे मामा जी का बडा बेटा है जो हम से 6 माह छोटा है वो भी अपने मामा जी के यहाँ पैदा हुआ था । उसका भी नाम पहले राजन था । लेकिन बाद में हम तीनो का नाम बदल गया ।


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💕😊हमने  बहुत ही खुशहाल बचपन गुजारी है हमेशा हँसते खिलखिलाते हुए🤗💞



    ✍🏻 रिया सिंह सिकरवार   " अनामिका "
( बिहार )          

                           समाप्त


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मेरा बचपन बहुत आश्चर्यजनक रहा। मेरे जीवन मे कुछभी अचानक से हो जाता है। पहले से किसी बात की जानकारी नहीं होती है । मेरा जन्म हथुआ के बंगाली लाइन में डॉ अमरेश कुमार के यहाँ हुआ था। मेरे ज

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जो मेरे 4 मिनट छोटी है ।😊💞जब जन्म प्रमाण पत्र बनवाने का कार्य शुरू हुआ । तब नर्स ने नाम पूछा तो मेरी मम्मी ने जल्दी ही नाम बता दिया , क्योंकि वो तो पहले से हि हम दोनों बहनों का

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