कविता-कन्या
कविता-कन्यालाल बिहारी लाल कन्या एक शब्द नहींबल्कि सृष्टि सृजन की कर्णधार है। यह नारी का रुप लेकर ता-उम्र नाड़ी की तरह सतत संघर्षशील रहती है।इसके सहयोग के बिनासमस्त कर्म अधूरा हैयहां तक कि वंशचलाने की बात करने वालों,तुम्हारी भी जननी कन्या ही है।यदि कन्या ही नहीं रहेगी तो फिर वंश कैसे चलेगा। अतः अ