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लौह पुरूष

2 नवम्बर 2015

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featured imageजो मुस्कुरा रहा है, उसे दर्द ने पाला होगा.. जो चल रहा है, उसके पाँव में छाला होगा.. बिना संघर्ष के इन्सान चमक नही सकता यारों..! जो जलेगा उसी दिये में तो, उजाला होगा..!! सरदार पटेल और यूनिटी का एक बड़ा नाता है। वो नाता जो करोड़ों भारतीयों को एक सूत्र में पिरोता है। वो नाता जिसकी वजह से करोड़ों भारतीय पाकिस्तानी बनने से बच गए। जी हां अगर पटेल न होते तो आज करोड़ों भारतीय पाकिस्तान के नागरिक होते। भारत का जो रूप हम देखते हैं उसका पूरा ताना-बाना देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल ने बुना था। इस बात का भी कई पुस्तकों में उल्लेख है कि कई मुद्दों पर उनका तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से मतभेद था। इसके बाद भी पटेल ने हमेशा नेहरूजी के मान को बढ़ाए रखा और उनकी बात मानी। इसका एक उदाहरण है नेहरूजी द्वारा कश्मीर पर अपनाया गया रुख। पाकिस्तान द्वारा कश्मीर पर किए गए पहले आक्रमण के समय अगर सरदार पटेल नेहरूजी की बात को अनसुना नहीं करते तो आज कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं होता। सरदार पटेल ने ही इंडियन रॉयल एयरफोर्स को कश्मीर जाने का आदेश दिया था। भारत की दो रियासते हैदराबाद और भोपाल को पाकिस्तान हिस्सा यहां के नबाव चाहते थे। सरदार पटेल की वजह से ही आज ये भारत का अंग हैं। देश की 562 छोटी बड़ी रियासतों को भारत में मिलाने का काम सरदार पटेल के ही प्रयासों से संभव हो पाया। इस बारे में महात्मा गांधी ने सरदार पटेल से कहा था कि रियासतों की समस्या इतनी जटिल थी जिसे केवल तुम ही हल कर सकते थे। सरदार पटेल और पंडित नेहरू दोनों ही समकालीन नेता थे। सरदार पटेल की क्षमता का अंदाजा पंडित नेहरू को भी था। उस समय लोग पटेल को नेहरू का उत्तराधिकारी मानने लगे थे। अंग्रेज सरकार ने बंटवारे से पहले रियासतों को भारत और पाकिस्तान में से किसी एक में मिलने के लिए चालीस दिन का समय दिया था। इतने कम समय में 562 देशी रजवाड़ों को स्वतंत्र भारत की तरफ करने की चुनौती थी सरदार पटेल के पास। दरअसल 15 अगस्त 1947 के पहले अगर ये रजवाड़े भारत या पाकिस्तान किसी के साथ नहीं जुड़ते तो अगले दिन से ये अपने को स्वतंत्र मान सकते थे। ऐसे में इतने कम समय में पटेल ने इन सभी रजवाड़ों को भारत में शामिल करवाकर भारत देश को एक नया रूप दिया। सरदार पटेल ने रियासतों को भारत में शामिल होने के लिए मूल मंत्र यह बनाया था कि सभी रजवाड़ों और रियासतों के मालिकों में देशभक्ति की भावना को जगाना। इसी मूल मंत्र को लेकर सरदार पटेल ने हर रियासत को भारत में मिलाने का संकल्प लिया। कई रियासतों ने महज सरदार पटेल की मुलाकात के बाद खुद को भारत के साथ आने का एलान कर दिया था। सरदार पटेल ने सभी रियासतों के राजाओ को एक भारत के लिए आगे आने के लिए समझाया जिसके परिणामस्वरूप कुछ को छोडकर शेष सभी राजवाड़ों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। वहीं जब हैदराबाद के निजाम ने पटेल की एक भारत की अवधारणा को मानने से इनकार कर दिया था तो सरदार पटेल ने ‘ऑपरेशन पोलो’ नाम का यह सैन्य अभियान चलाकर हैदराबाद को भारत का हिस्सा बनाया। इस ऑपरेशन में किसी भी जान माल की हानि नहीं हुई। जूनागढ़ के लिए भी उन्होंने यही रास्ता अख्तियार किया था। इसी तरह भोपाल रियासत के लिए भी स्थानीय लोगों ने एक बड़ा आंदोलन चलाया था। लक्षद्वीप समूह को भारत के साथ मिलाने में भी पटेल की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इस क्षेत्र के लोग देश की मुख्यधारा से कटे हुए थे और उन्हें भारत की आजादी की जानकारी 15 अगस्त 1947 के बाद मिली। यह क्षेत्र पाकिस्तान के नजदीक नहीं था। पटेल इस बात की खबर हो गई थी कि वहां पर पाकिस्तान अपना झंडा फहराने की तैयारी में है। ऐसा कर इस द्वीप पर पाकिस्तान दावा कर सकता है। इसलिए ऐसी किसी भी स्थिति को टालने के लिए पटेल ने लक्षद्वीप में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए भारतीय नौसेना का एक जहाज भेजा। इसके कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तानी नौसेना के जहाज लक्षद्वीप के पास मंडराते देखे गए लेकिन वहां भारत का झंडा लहराते देख वे वापस कराची चले गए। भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की 31 अाज140वीं जयंती है। सरदार पटेल मन, वचन तथा कर्म से सच्चे देशभक्त थे। वे वर्ण-भेद तथा वर्ग-भेद के कट्टर विरोघी थे। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को वैचारिक एवं क्रियात्मक रूप में एक नई दिशा देने के कारण सरदार पटेल ने राजनीतिक इतिहास में एक गौरवपूर्ण स्थान पाया है। आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से: 1. अध्यापकों के किताबें बेचने की प्रथा बंद कराई- सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नड़ियाद में हुआ। वे खेड़ा जिले के कारमसद में रहने वाले झावेर भाई और लाडबा पटेल की चौथी संतान थे। 1897 में 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। अन्याय के विरुद्ध विद्रोह उनके जीवन का विशिष्ट गुण था। जिसके परिणामस्वरूप विद्यार्थी जीवन में उन्हें कई बार अध्यापकों का विरोध सहना पड़ा। नड़ियाद में उनके स्कूल के अध्यापक पुस्तकों का व्यापार करते थे तथा छात्रों को बाध्य करते थे कि पुस्तकें बाहर से न खरीदकर उन्हीं से खरीदें। वल्लभभाई ने इसका विरोध किया तथा छात्रों को अध्यापकों से पुस्तकें न खरीदने के लिए प्रेरित किया। परिणामस्वरूप अध्यापकों और विद्यार्थियों में संघर्ष छिड़ गया। पांच-छः दिन स्कूल बंद रहा। अन्त में अध्यापकों द्वारा पुस्तकें बेचने की प्रथा बंद हुई। 2. पहले भाई को पढ़ाई के लिए भेजा इंग्लैंड- सरदार पटेल वकील बनना चाहते थे और अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्हें इंग्लैंड जाना था लेकिन उनके पास इतने भी वित्तीय साधन नहीं थे कि वह एक भारतीय महाविद्यालय में प्रवेश ले सकें। उन दिनों एक उम्मीदवार व्यक्तिगत रूप से अध्ययन कर वकालत की परीक्षा में बैठ सकता था। इसलिए सरदार पटेल ने अपने एक परिचित वकील से पुस्तकें उधार ली और घर पर अध्ययन शुरू कर दिया। वल्लभ भाई ने वकालत की परीक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण कर की। इसके बाद सरदार पटेल ने गोधरा में अपनी वकालत शुरू की और जल्द ही उनकी वकालत चल पड़ी। उनका विवाह झबेरबा से हुआ। वल्लभ भाई ने अपने बड़े भाई विट्ठलभाई, जो स्वयं एक वकील थे, को कानून की उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा। पटेल सिर्फ 33 साल के थे जब उनकी पत्नी का देहांत हो गया। उन्होंने पुनः विवाह की कामना नहीं की। अपने बड़े भाई के लौटने के पश्चात वल्लभ भाई इंग्लैंड चले गए और लगन के साथ पढाई की और कानूनी परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। 3. गांधीजी की तलाश पटेल पर खत्म हुई- सरदार पटेल 1913 में भारत लौटे और अहमदाबाद में अपनी वकालत शुरू की। जल्द ही वह लोकप्रिय हो गए। अपने मित्रों के आग्रह पर पटेल ने 1917 में अहमदाबाद के सैनिटेशन कमिश्नर का चुनाव लड़ा और उसमे विजयी हुए। सरदार पटेल गांधीजी के चंपारण सत्याग्रह की सफलता से काफी प्रभावित थे। 1918 में गुजरात के खेड़ा खंड में सूखा पड़ा। किसानों ने करों से राहत की मांग की लेकिन ब्रिटिश सरकार ने मना कर दिया। गांधीजी ने किसानों का मुद्दा उठाया पर वो अपना पूरा समय खेड़ा में अर्पित नहीं कर सकते थे इसलिए एक ऐसे व्यक्ति की तलाश कर रहे थे जो उनकी अनुपस्थिति में इस संघर्ष की अगुवाई कर सके। इस समय सरदार पटेल स्वेछा से आगे आये और संघर्ष का नेतृत्व किया। इस प्रकार उन्होंने अपने सफल वकालत के पेशे को छोड़ सामाजिक जीवन में प्रवेश किया। खेड़ा सत्याग्रह से वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय नायक के रूप में उभर कर सामने आये। 4. बैंक खाते में केवल 260 रूपए- सरदार पटेल का निधन 15 दिसंबर, 1950 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के नाम कर दिया था। इंग्लैंड में वकालत पढ़ने के बाद भी उनका रुख पैसा कमाने की तरफ नहीं था। उनका जब निधन हुआ, तब उनके बैंक खाते में केवल 260 रुपए मौजूद थे। यही नहीं, सरदार पटेल के पास खुद का मकान भी नहीं था। वे अहमदाबाद में किराए एक के मकान में रहते थे। 5. 41 साल बाद भारत रत्न से नवाजा- सरदार पटेल के निधन के 41 वर्ष बाद 1991 में भारत के सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। यह अवार्ड उनके पौत्र विपिनभाई पटेल द्वारा स्वीकार किया गया। *.मंजिले बहुत है और अफ़साने भी बहुत है, जिंदगी की राह में इम्तिहान भी बहुत है, मत करो दुःख उसका जो कभी मिला नही दुनिया में खुश रहने के बहाने भी बहुत है। *.ना संघर्ष न तकलीफ तो क्या मज़ा है जीने में बड़े बड़े तूफ़ान थम जाते हैं जब आग लगी हो सीने में ! *.सब ने पैसा तो बहुत कमा लिया पर उस पैसे का क्या मोल है !! अपनो का प्यार और अपनो से रिश्ता इन पैसोँ से कही अधिक अनमोल है ! *.भरोसा खुद पर रखो तो ताकत बन जाती है, और दूसरों पर रखो तो कमजोरी बन जाती है… Rastriya Ekta Divas ki hardik Subhkamnay.....!!!
सुधांशु तिवारी

सुधांशु तिवारी

Dhanywad aap sabhi ka ....!!!!!

4 नवम्बर 2015

गोपाल कृष्ण त्रिवेदी

गोपाल कृष्ण त्रिवेदी

बहुत सुन्दर, सराहनीय लेख ।…

4 नवम्बर 2015

वर्तिका

वर्तिका

उत्कृष्ट रचना सुधांशु जी! बधाई!

3 नवम्बर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

बहुत अच्छी प्रस्तुति, सुधांशु जी ! प्रकाशन हेतु बधाई !

2 नवम्बर 2015

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सच्चाई

26 अक्टूबर 2015
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वृद्धाआश्रम में माँ बाप को देखकरसब लोग बेटो कोही कोसते है,लेकिन दुनिया वाले ये कैसे भूल जाते हैं की वहा भेजने मे किसी की बेटी का ही अहम रोल होता है..!वरना लोग अपने माँ बाप को शादी के पहले ही वृद्धाश्रम क्यों नही भेजते।संस्कार बेटियों को भी दें ताकि कोई बेटों को ना कोसे।यह कड़वा है पर सत्य है।

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लौह पुरूष

1 नवम्बर 2015
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जो मुस्कुरा रहा है, उसे दर्द ने पाला होगा..जो चल रहा है, उसके पाँव में छाला होगा..बिना संघर्ष के इन्सान चमक नही सकता यारों..!जो जलेगा उसी दिये में तो, उजाला होगा..!!सरदार पटेल और यूनिटी का एक बड़ा नाता है।वो नाता जो करोड़ों भारतीयों को एक सूत्र में पिरोता है।वो नाता जिसकी वजह से करोड़ों भारतीय पाकिस

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लौह पुरूष

2 नवम्बर 2015
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जो मुस्कुरा रहा है, उसे दर्द ने पाला होगा..जो चल रहा है, उसके पाँव में छाला होगा..बिना संघर्ष के इन्सान चमक नही सकता यारों..!जो जलेगा उसी दिये में तो, उजाला होगा..!!सरदार पटेल और यूनिटी का एक बड़ा नाता है।वो नाता जो करोड़ों भारतीयों को एक सूत्र में पिरोता है।वो नाता जिसकी वजह से करोड़ों भारतीय पाकिस

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आवश्यक सुचना

23 दिसम्बर 2015
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L.P.G.गैस सिलेण्डर की भी "एक्सपायरी डेट" होती है।एक्सपायरी डेट निकलने के बाद गैस सिलेण्डर को इस्तेमालकरना बम की तरह खरतनाक हो सकता है। आमतौर पर गैससिलेण्डर की रिफील लेते समय उपभोक्ताओं का ध्यान इसकेवजन और सील पर ही होता है।उन्हें सिलेण्डर की एक्सपायरी डेट की जानकारी ही नहींहोती।इसी का फायदा एलपीजी क

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डॉ. अब्दुल कलाम के महान विचार

24 दिसम्बर 2015
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Quote 1 : इससे पहले की सपने सच हो आपको सपने देखने होंगे।Quote 2 : सपना वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।Quote 3 : इंतज़ार करने वालो को सिर्फ उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते है।Quote 4 : एक अच्छी पुस्तक हज़ार दोस्तों के बराबर होती है जबकि एक अच्

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डॉ. अब्दुल कलाम के महान विचार

24 दिसम्बर 2015
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Quote 1 : इससे पहले की सपने सच हो आपको सपने देखने होंगे।Quote 2 : सपना वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।Quote 3 : इंतज़ार करने वालो को सिर्फ उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते है।Quote 4 : एक अच्छी पुस्तक हज़ार दोस्तों के बराबर होती है जबकि एक अच्

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मेरा भारत महान.......

28 दिसम्बर 2015
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बलात्कार की सजा - अमेरिका : - पीड़िता की उम्र और क्रूरता को देखकर उम्रकैद या 30 साल की सजा दी जाती है। रूस :- 20 साल की कठोर सजा.चीन - No Trial, मेडिकल जांच मे प्रमाणित होने के बाद मृत्यु दंड. पोलेंड - सुवरो से कटवा कर मौत Death thrown to Pigs इराक - पत्थरो से मार कर हत्या .Death by stone till last

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नरेंद्र मोदी

16 नवम्बर 2016
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे जीवट वाले व्यक्ति ने जिस अंदाज़ में सार्वजनिक मंच से कहा है कि "ये लोग मुझे ज़िंदा नहीं छोड़ेंगे..."इससे यह स्पष्ट हो गया है कि स्थिति बहुत भयंकर और असहनीय रूप ले चुकी है.....एक अकेला व्यक्ति 125 करोड़ हिंदुस्तानियों के हिस्से का ज़हर "नीलकण्ठ" म

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अतीत के वो टेक्नोलॉजी फ्री दिन

16 नवम्बर 2016
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अगर हम कहें कि आज Technology में हम आगे निकल आये हैं, तो ये बिलकुल सच है. अगर आज अमिताभ बच्चन और शशि कपूर का वो Epic Dialogue होता, तो कुछ ऐसा होता! अमिताभ साहब : मेरे पास बिल्डिंगे हैं, प्रॉपर्टी है, बैंक बैल

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जय हिन्द

22 नवम्बर 2019
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हरे से अल्लाह , केसरिये से राम हूं,शांति बनाये श्वेत से,मै यूद्ध विराम हूं ।।

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मतलब

24 नवम्बर 2019
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वाकिफ हैं हम दुनिया के रिवाजो से,मतलब निकल जाये तो हर कोई भुला देता हैं.

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