अगर हम कहें कि आज Technology में हम आगे निकल आये हैं, तो ये बिलकुल सच है. अगर आज अमिताभ बच्चन और शशि कपूर का वो Epic Dialogue होता, तो कुछ ऐसा होता!
अमिताभ साहब : मेरे पास बिल्डिंगे हैं, प्रॉपर्टी है, बैंक बैलेंस है, बंगला है, गाड़ी है! तुम्हारे पास क्या है?
शशि कपूर साहब:
मेरे पास म... मोबाइल है!
(यानि, सबकुछ!)
हम Technology को नहीं Use कर रहे, वो असल में हमें नचा रही है! क्योंकि अब हम उसके इतने आदी हो गए हैं, कि अगर Gadgets पर हाथ न फेरते रहें, तो दिल की धड़कन ही तेज़ हो जाती है. जैसे पता नहीं क्या हो गया!
सोचिये! जैसे ही आपके फ़ोन की मेसेज टोन बजती है, आप कहीं भी हों, कूद के चेक नहीं करते? ये अब एक हैबिट बन गयी है. और वो भी Bad Habit.
आज लोग फ़ोन, चैट और ईमेल पर प्रपोज़ करते हैं, ब्रेक ऑफ़ करते हैं, डाइवोर्स तक देते हैं, और अफ़सोस भी ज़ाहिर करते हैं. कहीं न कहीं 'Human Touch' हमारी ज़िन्दगी से गायब होता जा रहा है. तभी हम शायद बड़े Mechanical हो गए हैं. दर्द भी कम महसूस करते हैं, ख़ुशी भी. लेकिन वहीं हमने खुद ऐसे दिन भी बिताए हैं, जब हम चीज़ें ज़्यादा महसूस करते थे. हर चीज़ की फोटो पब्लिक के लिए Upload करने के बजाय, हम उसे अपने Mind में Store करते थे.
आजकल Technology की वजह से ही शायद Foreign Trips भी ज़्यादा हो रही हैं! 'Checking In At Universal Studios, Singapore' नहीं दिखेगा प्रोफाइल पर, तो कैसे पता की हम वहां गए थे! एक तरह से Peer Pressure भी है, जो हमसे ये सब कराता है!
पहली बारिश की Pic Instagaram पर डालने के बजाय, हम उसमें भीग जाया करते थे.
क्या दिन थे वो!
तो चलिए, याद करते हैं अतीत के वो Technology Free दिन, जब हम शायद थोड़े पिछड़े हुए ज़रूर हों, लेकिन ज़िन्दगी की, एक-दूसरे की अहमियत ज़्यादा समझते थे. अपने लिए चीज़ें करते थे, दिखाने के लिए नही......