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❤️लव फॉर रेंट ( मेरी सुलोचना )👁️ भाग - 4

8 अक्टूबर 2022

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 आपने पीछले भाग मे देखा

    आरव की बात सुनकर सुलोचना भी गुस्से में बोली - मुझे भी कोई शौक नहीं है । इतनी बेजती के होने के बाद जॉब करने की । सोच लो बाद में पछताना ना पड़े तुम्हें । आरव - मुझे कोई पछतावा नहीं होगा । अब तुम जा सकती हो ।

अब आगे ..

      सुलोचना - मैं जा रही हूं यहाँ से । जब तक तुम खुद नहीं बुलाओगे । मैं दोबारा इस रेस्टोरेंट में अपना कदम भी नहीं रखूंगी , और मुझे पता है तुम मुझे एक दिन जरूर बुलाओगे और मैं शायद यहां नहीं आ पाऊंगी ।
     
   आरव .. रेस्टोरेन्ट में आकर - रहीम अंकल मैं बहुत शर्मिंदा हूँ । वो लड़की पता नहीं अपने आप को क्या समझती है । जब ना तब मेरे काम में अपना टांग अड़ा देती है । बिल्ली कही की ।
     रहीम अंकल - बेटा इसमें शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं है । उस लड़की ने तुम्हें देखा होगा की तुम किसी को भी पैसे दे देते हो । ये जाने बग़ैर की वो इंसान सच में जरूरतमंद है या नहीं । वो लड़की  जो देखी है जितना जानी है तुम्हारे बारे में तो .. उस हिसाब से तो वो एक सही काम कि है । तुम्हारे लिए तो एकदम ऐसा ही लड़की चाहिए । जो तुम्हें सही गलत लोगों का फर्क बता सके |

    आरव अपना मुठ्ठी बंद करते हुए - ऊफ .. सिट यार । ये मैंने क्या कर दिया । उसका इरादा जाने बिना ही मैंने उसे इतना कुछ सुना दिया और तो और उसे अपने रेस्टोरेन्ट से भी निकाल दिया ।
     रहिम अंकल - क्या हुआ बेटा ? तुम मेरी बात सुनकर परेशान क्यों हो गये ?
     आरव अपना मुह बनाकर - अंकल मैंने उसे इस रेस्टोरेंट से निकाल दिया है । वो भी हमेशा के लिए । मैंने उसे कह दिया कि मुझे उस जैसी लालची की कोई जरूरत नहीं है ।
      रहिम अंकल अफसोस करते हुए बोले - बेटा ये तुमने गलत कर दिया उस लड़की के साथ | तुम्हें उसे लालची नहीं बोलना चाहिए था ।
    आरव अपने दोनों हथेलियों आपस में रगड़ते हुए बोला - अंकल वो हमारे रेस्टोरेंट कि बहुत ही मेहनती वर्कर थी । वो बोल कर गयी है कि वो दुबारा इस रेस्टोरेंट में क़दम नही रखेगी । जब - तक मैं उसे वापस से ना बुलाऊ ।
     रहिम अंकल - बेटा ऐसे मेहनती वर्कर्स मिलना बहुत मश्किल होता है । तुम उस लड़की को कुछ भी कर के वापस इस रेस्टोरेंट में बुला लो । तुम उसे माफ़ी माँग कर वापस बुला लो । बेटा वो लड़की  दिल  की बहुत साफ लगी मुझे । मुझे पता है । वो तुम्हें जरूर माफ़ कर देगी । वो वापस जरूर आयेगी । क्योंकि वो लड़की तुम्हारी भलाई चाहती है ।

   सुलोचना आरव की रेस्टोरेंट छोड़ने के बाद अब वो दूसरे रेस्टोरंट में एक कूक का काम करने लगी । एक दिन सुलोचना रेस्टोरेन्ट के लिए सब्ज़ियां  , फल वगैरा लेने मार्केट गयी । वो दुकान से घुम - घुम कर सब्ज़ियां ले रही थी और उसके पीछे - पीछे एक लड़का ( जो उसका कुलिग था राहुल ) घुम रहा था और सुलोचना से कह रहा  था । तुम बहुत क्यूट हो । यार तुम सब्जियाँ खरीदते वक्त भी कितना क्यूट लग रही हो । सुलोचना अपने हाथ में धनिया पता उठा कर उसे देखते हुए बोली - तो इसमें नया क्या है । वो तो मुझे भी पता है कि मैं बहुत क्यूट हूं । इसमें बताने वाली क्या बात है । 
      राहुल अपना सर खुजाते हुए बोला -  मुझे लगा कही तुम्हें तुम्हारी क्यूूटनेस के बारे में नहीं है । तो  बता दिया ।
     सुलोचना राहुल को धनियाँ पता पकड़ाते हुए बोली - ओ ...अच्छा अब समझी मै । तुम्हें जरूर मुझसे कोई काम होगा । जब भी तुम मेरा इतना बटरिंग कर रहे हो ।
     राहुल अपना दात दिखाते हुए बोला - एक्चुलि मुझे तुम से कुछ चाहिए । यार तु कैसे समझ गयी कि मैं तेरा बटरिंग कर रहा हूँ । 
    सुलोचना - हु .. ह .. मैं तुम लड़को को जानती हूँ ।  जब तुम्हें कोई काम होता है । तो तुम सब बटरिंग करना शुरु कर देते हो । चल अपना काम बोल । क्या चाहिए मेरे से ।
   राहुल अपना बतिसि दिखाकर बोला - तुम मुझे अपना फोन नम्बर दे दो ।


क्रमशः ....
  

      


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रचनाएँ
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ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है । इस कहानी का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति या समूह को ठेस पहुंचाना नहीं है ।       आरव एक रेस्टोरेंट का मालिक है । आरव बाहर से दिखने में अकड़ू पर अंदर से मोम की तरह नरम दिल और सुलझा हुआ व्यक्ति है । वो किसी की भी मदद करने में पीछे नहीं रहता । चाहे वो इंसान गलत हो या सही । वो ये जाने बगैर ही मदद कर देता है ।  सुलोचना उस रेस्टोरेंट की वर्कर है ।सुलोचना  झल्ली समझदार और एक मेहनती लड़की है  । रेहान सुलोचना का दोस्त और उसकी जान है । अद्धिक आरव का बचपन का दोस्त और  पार्टनर है । उन दोनों  में सगे भाईयों जैसा प्यार  हैं । आरव सूलोचना का हाथ पकड़कर लगभग खींचते हुए रेस्टोरेंट के बाहर ले गया । आरव गुस्सा से आंख लाल किए सूलोचना को बाजू से पकड़कर एक एक शब्द पर जोर दे कर पूछ रहा था । तुम समझती क्या हो अपने आप को ? तुम कौन हो मेरी ? दोस्त या फिर गर्लफ्रेंड क्या रिश्ता है हमारा ? जब कोई रिश्ता ही नहीं है तो तुम मेरे काम में टांग मत  अड़ाया करो । लालची हो तुम । तुम मेरे पैसे लेकर रख लेती हो ।  कभी मुझे वापस किया तुमने । कभी नहीं । तुम सोची कि मैं तुम से पैसे मांगूंगा  नहीं और  तुम  मेरे पैसे लेकर अमीर बनने का सोचने लगी होगी । है ना । ओ .. अच्छा अब समझा कहीं तुम मुझे जो ज्ञान बाटती फिरती हो ,इसे मत दो उसे मत दो कहीं उसका किराया तो नहीं लेती हो । यह भी हो सकता है । ⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ इतने इल्ज़ाम और बेइज्जती के बाद क्या सुलोचना आरव को सही गलत का फर्क समझायेगी ? क्या सुलोचना साथ देगी आरव का ? ये जानने के लिए इस कहानी को पढ़िये । ❤️ रितिका सिंह✍🏻
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