ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है । इस कहानी का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति या समूह को ठेस पहुंचाना नहीं है । आरव एक रेस्टोरेंट का मालिक है । आरव बाहर से दिखने में अकड़ू पर अंदर से मोम की तरह नरम दिल और सुलझा हुआ व्यक्ति है । वो किसी की भी मदद करने में पीछे नहीं रहता । चाहे वो इंसान गलत हो या सही । वो ये जाने बगैर ही मदद कर देता है । सुलोचना उस रेस्टोरेंट की वर्कर है ।सुलोचना झल्ली समझदार और एक मेहनती लड़की है । रेहान सुलोचना का दोस्त और उसकी जान है । अद्धिक आरव का बचपन का दोस्त और पार्टनर है । उन दोनों में सगे भाईयों जैसा प्यार हैं । आरव सूलोचना का हाथ पकड़कर लगभग खींचते हुए रेस्टोरेंट के बाहर ले गया । आरव गुस्सा से आंख लाल किए सूलोचना को बाजू से पकड़कर एक एक शब्द पर जोर दे कर पूछ रहा था । तुम समझती क्या हो अपने आप को ? तुम कौन हो मेरी ? दोस्त या फिर गर्लफ्रेंड क्या रिश्ता है हमारा ? जब कोई रिश्ता ही नहीं है तो तुम मेरे काम में टांग मत अड़ाया करो । लालची हो तुम । तुम मेरे पैसे लेकर रख लेती हो । कभी मुझे वापस किया तुमने । कभी नहीं । तुम सोची कि मैं तुम से पैसे मांगूंगा नहीं और तुम मेरे पैसे लेकर अमीर बनने का सोचने लगी होगी । है ना । ओ .. अच्छा अब समझा कहीं तुम मुझे जो ज्ञान बाटती फिरती हो ,इसे मत दो उसे मत दो कहीं उसका किराया तो नहीं लेती हो । यह भी हो सकता है । ⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ इतने इल्ज़ाम और बेइज्जती के बाद क्या सुलोचना आरव को सही गलत का फर्क समझायेगी ? क्या सुलोचना साथ देगी आरव का ? ये जानने के लिए इस कहानी को पढ़िये । ❤️ रितिका सिंह✍🏻