आपने पिछले भाग में देखा .
ऐसे ही आरव एक दिन किसी व्यक्ति को पैसे दे रहा था । तो हमेशा की तरह सुलोचना को लगा की शायद ये आदमी भी उन नाकारा लोगों मे से ही एक है ।
अब आगे ....
सुलोचना वहा जल्दी से गयी और उस आदमी के हाथों से पैसा लेकर उसे बोलना सुरु कर दि । क्यों आपको अच्छा लगता है । किसी के सामने हाथ फैलाने में शर्म नहीं आती है । किसी के सामने हाथ फैलाते हुए ।.एक तो पैसे ले लेते हो और जुआ शराब पर उड़ा देते हो । जब यही करना है तो खुद पैसे कमाओ और उड़ाओ । दूसरों से भीख क्यों मांगते हो । ऐसे ही बहुत कुछ बोल रही थी सुलोचना उस आदमी को । आरव को सुलोचना का यह विहैव बिल्कुल भी पसंद नहीं आया । वह सुलोचना के हाथ से पैसे वापस लिया ले लिया और उस आदमी को देते हुए बोला - माफी चाहता हूं अंकल ।और आरव सुलोचना का हाथ पकड़कर लगभग खींचते हुए रेस्टोरेंट के बाहर ले गया । आरव गुस्से से आंख लाल किए सुलोचना को बाजू से पकड़ कर एक एक शब्द पर जोर देकर पूछ रहा था तुम समझती क्या हो अपने आपको तुम कौन हो मेरी ? दोस्त या फिर गर्लफ्रेंड ? क्या रिश्ता है हमारा ? है कोई जवाब बोलो ! नही ना ! जब कोई रिश्ता ही नहीं है तो तुम मेरे काम में दखल देना बंद करो । एक बार सही हो गई । इसका मतलब यह नहीं हुआ कि तुम बार-बार सही ही हो ।
आरव गुस्से में अनाप सनाप बोले जा रहा था । लालची हो तुम । तुम मेरे पैसे लेकर रख लेती हो । कभी मुझे वापस किया तुमने । कभी नहीं । तुम सोची कि मैं तुम से पैसे मांगूंगा नहीं और तुम मेरे पैसे लेकर अमीर बनने का सोचने लगी होगी । है ना । ओ .. अच्छा अब समझा कहीं तुम मुझे जो ज्ञान बाटती फिरती हो ,इसे मत दो उसे मत दो कहीं उसका किराया तो नहीं लेती हो । यह भी हो सकता है ।
आरव के मुंह से अपने लिए ऐसी बाते सुनकर सुलोचना के आंखों से लगातार आंसू गीर रहे थे । फीर भी आरव उसे डांटे जा रहा था । तुम जानती हो , कौन थे वो ? नहीं ना ।मैं बताता हूं तुम्हें । वह मेरे घर के माली है । वो यहां कुछ फूल लगाने आए थे । कोई मुफ्त का पैसा नहीं ले रहे थे मेरे से । तुम कुछ जाने बगैर ही उनका कितना अपमान कर दिया । यह तूने अच्छा नहीं किया । उनको कितना बुरा लगा होगा । यह बात सोची है तुमने ।आरव सुलोचना का बाजू छोड़ते हुए - खैर तुम्हें क्या किसी की फिलिंग्स कि । तुम्हें तो बस अपनी ओवर कॉन्फिडेंस दिखाना होता है । तुम सिर्फ लोगों का इंसल्ट करना जानती हो । इसी में तुम खुद को समझदार समझती हो । लोगों को जाने बगैर फैसला सुना देती हो । कौन कैसा है । तो तुम आज मेरी भी एक फैसला सुन लो । तुम आज और अभी से ही ये रेस्टोरेंट छोड़ रही हो ।
सुलोचना घबराकर क्या मतलब है आपका ? मैं इतनी जल्दी दूसरी जॉब कहां से ढूंढ लूंगी ।
आरव गुस्से से बोला - यह तो तुम्हें पहले सोचना चाहिए था । अब अपना सामान उठाओ और जाओ यहां से । राइट नाउ । आरव की बात सुनकर सुलोचना भी गुस्से में बोली - मुझे भी कोई शौक नहीं है । इतनी बेजती के होने के बाद जॉब करने की । सोच लो बाद में पछताना ना पड़े तुम्हें । आरव - मुझे कोई पछतावा नहीं होगा । अब तुम जा सकती हो ।
क्रमशः ...