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लव फॉर रेंट ( मेरी सुलोचना ) भाग -3

29 सितम्बर 2022

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आपने पिछले भाग में देखा .

     ऐसे ही आरव एक दिन किसी व्यक्ति को पैसे दे रहा था । तो हमेशा की तरह सुलोचना को लगा की शायद ये आदमी भी उन नाकारा लोगों मे से ही एक है ।  

  अब आगे ....

    सुलोचना वहा जल्दी से गयी और उस आदमी के हाथों से पैसा लेकर उसे बोलना सुरु कर दि । क्यों आपको अच्छा लगता है । किसी के सामने हाथ फैलाने में शर्म नहीं आती है । किसी के सामने हाथ फैलाते हुए ।.एक तो पैसे ले लेते हो और जुआ शराब पर उड़ा देते हो ।  जब यही करना है तो खुद पैसे कमाओ और उड़ाओ ।  दूसरों से भीख क्यों मांगते हो । ऐसे ही बहुत कुछ बोल रही थी सुलोचना उस आदमी को । आरव को सुलोचना का यह विहैव  बिल्कुल भी पसंद नहीं आया ।  वह सुलोचना के हाथ से पैसे वापस  लिया ले लिया और उस आदमी को देते हुए बोला - माफी चाहता हूं अंकल ।और आरव सुलोचना का हाथ पकड़कर लगभग खींचते हुए रेस्टोरेंट के बाहर ले गया । आरव गुस्से से आंख लाल किए सुलोचना को बाजू से पकड़ कर एक एक शब्द पर जोर देकर पूछ रहा था तुम समझती क्या हो अपने आपको तुम कौन हो मेरी ? दोस्त या फिर गर्लफ्रेंड ? क्या रिश्ता है हमारा ? है कोई जवाब बोलो ! नही ना ! जब कोई रिश्ता ही नहीं है तो तुम मेरे काम में दखल देना बंद करो । एक बार सही हो गई । इसका मतलब यह नहीं हुआ कि तुम बार-बार सही ही हो । 
    आरव गुस्से में अनाप सनाप बोले जा रहा था । लालची हो तुम । तुम मेरे पैसे लेकर रख लेती हो ।  कभी मुझे वापस किया तुमने । कभी नहीं । तुम सोची कि मैं तुम से पैसे मांगूंगा  नहीं और  तुम  मेरे पैसे लेकर अमीर बनने का सोचने लगी होगी । है ना । ओ .. अच्छा अब समझा कहीं तुम मुझे जो ज्ञान बाटती फिरती हो ,इसे मत दो उसे मत दो कहीं उसका किराया तो नहीं लेती हो । यह भी हो सकता है ।
      आरव के मुंह से अपने लिए ऐसी बाते सुनकर सुलोचना के आंखों से लगातार आंसू गीर रहे थे । फीर भी आरव उसे डांटे जा रहा था । तुम जानती हो , कौन थे वो ? नहीं ना ।मैं बताता हूं तुम्हें । वह मेरे घर के माली है । वो यहां कुछ फूल लगाने आए थे । कोई मुफ्त का पैसा नहीं ले रहे थे मेरे से । तुम कुछ जाने बगैर ही उनका कितना अपमान कर दिया । यह तूने अच्छा नहीं किया । उनको कितना बुरा लगा होगा । यह बात सोची है तुमने ।आरव सुलोचना का बाजू छोड़ते हुए - खैर तुम्हें क्या किसी की फिलिंग्स कि । तुम्हें तो बस अपनी ओवर कॉन्फिडेंस दिखाना होता है । तुम सिर्फ लोगों का इंसल्ट करना जानती हो । इसी में तुम खुद को समझदार समझती हो । लोगों को जाने बगैर फैसला सुना देती हो । कौन कैसा है । तो तुम आज मेरी भी एक फैसला सुन लो । तुम आज और अभी से ही ये रेस्टोरेंट छोड़ रही हो ।    
      
       सुलोचना घबराकर क्या मतलब है आपका ? मैं इतनी जल्दी दूसरी जॉब कहां से ढूंढ लूंगी ।
    आरव गुस्से से बोला - यह तो तुम्हें पहले सोचना चाहिए था । अब अपना सामान उठाओ और जाओ यहां से । राइट नाउ । आरव की बात सुनकर सुलोचना भी गुस्से में बोली - मुझे भी कोई शौक नहीं है । इतनी बेजती के होने के बाद जॉब करने की । सोच लो बाद में पछताना ना पड़े तुम्हें । आरव - मुझे कोई पछतावा नहीं होगा । अब तुम जा सकती हो ।
 
क्रमशः ...
      
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रचनाएँ
❤️कसक प्यार की( मेरी सुलोचना )👁️
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ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है । इस कहानी का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति या समूह को ठेस पहुंचाना नहीं है ।       आरव एक रेस्टोरेंट का मालिक है । आरव बाहर से दिखने में अकड़ू पर अंदर से मोम की तरह नरम दिल और सुलझा हुआ व्यक्ति है । वो किसी की भी मदद करने में पीछे नहीं रहता । चाहे वो इंसान गलत हो या सही । वो ये जाने बगैर ही मदद कर देता है ।  सुलोचना उस रेस्टोरेंट की वर्कर है ।सुलोचना  झल्ली समझदार और एक मेहनती लड़की है  । रेहान सुलोचना का दोस्त और उसकी जान है । अद्धिक आरव का बचपन का दोस्त और  पार्टनर है । उन दोनों  में सगे भाईयों जैसा प्यार  हैं । आरव सूलोचना का हाथ पकड़कर लगभग खींचते हुए रेस्टोरेंट के बाहर ले गया । आरव गुस्सा से आंख लाल किए सूलोचना को बाजू से पकड़कर एक एक शब्द पर जोर दे कर पूछ रहा था । तुम समझती क्या हो अपने आप को ? तुम कौन हो मेरी ? दोस्त या फिर गर्लफ्रेंड क्या रिश्ता है हमारा ? जब कोई रिश्ता ही नहीं है तो तुम मेरे काम में टांग मत  अड़ाया करो । लालची हो तुम । तुम मेरे पैसे लेकर रख लेती हो ।  कभी मुझे वापस किया तुमने । कभी नहीं । तुम सोची कि मैं तुम से पैसे मांगूंगा  नहीं और  तुम  मेरे पैसे लेकर अमीर बनने का सोचने लगी होगी । है ना । ओ .. अच्छा अब समझा कहीं तुम मुझे जो ज्ञान बाटती फिरती हो ,इसे मत दो उसे मत दो कहीं उसका किराया तो नहीं लेती हो । यह भी हो सकता है । ⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ इतने इल्ज़ाम और बेइज्जती के बाद क्या सुलोचना आरव को सही गलत का फर्क समझायेगी ? क्या सुलोचना साथ देगी आरव का ? ये जानने के लिए इस कहानी को पढ़िये । ❤️ रितिका सिंह✍🏻
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सूलोचना जब से रेस्टोरेंट में काम करना शुरू कि थी । तब से देख रही थी कि महीने में तीन चार लोग ऐसे आते थे । जो जुवारी और नशेड़ी थे । वो उसके बॉस के पास अपना झूठा दुखड़ा

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आपने पिछले भाग में देखा . ऐसे ही आरव एक दिन किसी व्यक्ति को पैसे दे रहा था । तो हमेशा की तरह सुलोचना को लगा की शायद ये आदमी भी उन नाकारा लोगों मे से ही एक है । अब

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8 अक्टूबर 2022
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आपने पीछले भाग मे देखा आरव की बात सुनकर सुलोचना भी गुस्से में बोली - मुझे भी कोई शौक नहीं है । इतनी बेजती के होने के बाद जॉब करने की । सोच लो बाद में पछताना ना पड़े तुम्हें । आरव -

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9 अक्टूबर 2022
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आपने पीछले भाग में देखासुलोचना - हु .. ह .. मैं तुम लड़को को जानती हूँ । जब तुम्हें कोई काम होता है । तो तुम सब बटरिंग करना शुरु कर देते हो । चल अपना काम बोल । क्या चाहिए मेरे से । र

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14 अक्टूबर 2022
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आपने पिछले भाग में देखा सुलोचना - हुह ... शायद तुम भूल रहे हो कि तुमने मुझे कब का अपने रेस्टोरेंट निकाल चुके हो । अब हमारे बीच कोई बॉस और इम्प्लोई का रिश्ता नहीं रहा ।

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