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❤️लव फॉर रेंट ( मेरी सुलोचना )👁️ भाग - 1

28 सितम्बर 2022

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         सूलोचना जब से रेस्टोरेंट में काम करना शुरू कि थी । तब से देख रही थी कि महीने में तीन चार लोग ऐसे आते थे । जो जुवारी और नशेड़ी थे । वो उसके बॉस के पास अपना झूठा दुखड़ा रोते थे । उनकी दुख सुनकर उसका बॉस उन्हें जब  हजार - दो हजार रुपये दे देता था । वो उसके बॉस से पैसे लेकर उड़ाते थे । यह देख कर सूलोचना को अपने बॉस के लिए बहुत दुख होता था । उसे दुख होता था कि बेवजह यह सब इतने सारे पैसे उड़ा देते हैं ।
      ऐसे ही एक दिन एक व्यक्ति आया और उसके बॉस के पास अपना दुखड़ा रोने लगा । यह उस व्यक्ति का दूसरा व तीसरा बार था ।  वह आदमी जूवारी था । यह बात सुलोचना जानती थी । इसलिए वह सीधा काउंटर से उठकर अपने बॉस के पास आई और वो अपने बॉस का हाथ पकड़ते हुए बोली - बॉस ! इसे पैसे मत दीजिए । इसकी किसी भी बेटी की शादी नहीं है । उसकी कोई बेटी ही नहीं है । इसकी जब शादी ही नहीं हुई है तो इसकी बेटी कहां से आ गयी ।
   
      बॉस - ये क्या कर रही हो आप ? इन्हें सच में पैसों की जरूरत है । मुझे देने दीजिए वो अपने हाथ की ओर देखते हुए कहा । 
      तब जाकर सुलोचना को ध्यान आया औ उसे अपनी गलती का अहसास हुआ । वो शर्मिंदा होते हूंए बोली - स . सॉ ....सॉरी बॉस !  
     बॉस - इट्स ओके !😊 फिर वह पैसे देने लगा तो सुलोचना उसके हाथ से पैसे छिन कर जाते हुए बोली - इस जुवारी से बोलो कि खुद मेहनत करके पैसा कमाए और अपनी ज़रूरते पूरा करें । अगर आपने इसे  दोबारा से पैसा देंगे तो मैं वो भी ले लूंगी । अपने दोनों उंगलियो से इसारा करते हुए बोली - जरा संभल कर रहीएगा मेरे से ।और वो फिर वापस काउंटर के पास जाने लगी । उसे जाते हुए उसका बॉस देख रहा था और इधर सारे स्टाफ आपस में खुस -पुसु कर रहे थे । आज तो पक्का इसकी जॉब जानी है । अरे देखा नहीं  इसने बॉस का हाथ भी पकड़ लिया था और तो और इसने बॉस के हाथ से पैसे भी छीन लीये । पक्का आज इसकी छुट्टी होने वाली है । जब सुलोचना वहां काउंटर पर गई तो उसका दोस्त रेहान उसके कंधे पर हाथ रख कर बोला - वेल्डन सुलोचना ! तुम ने बहुत अच्छा काम किया है । तुम ही हो जो बॉस को सही और गलत लोगों का फर्क बता सकती हो ।
    सुलोचना स्माइल करती है और लैपटॉप में कस्टमर्स का बिल बनाने लगती है । हर रोज की तरह आज भी बॉस रेस्टोरेंट आया  और अपने स्टाफ से हाय हेलो करता है और आदत के अनुसार सबसे उनकी जरूरत पूछता है । वह सब से पूछ कर अपने रेस्टोरेंट के सैफ के पास गया । हेलो ! चीफ ! कैसे हैं ? 
       चीफ - मैं ठीक हूं । तुम बताओ बेटा कैसे हो ?
       बॉस - बस मैं भी ठीक हूं । आप ठीक तो मैं भी ठीक ।
        चीफ हसते हुए बोले - तुम बहुत मजाहीया हो आरव । ( रेस्टोरेंट के सैफ उम्र में बड़े थे । इसलिए बॉस यानी आरव उनको चीफ कह कर बुलाता है । सैफ भी उसे अपने बेटे की तरह प्यार करते है ) 
       आरव - चीफ आपको कुछ चाहिए । यानी किसी चीज की जरूरत हो तो बोलिए । मैं आपकी सेवा में हाजिर हूं ।
       चीफ - नहीं बेटा ! मुझे कुछ नहीं चाहिए । परंतु तुम्हें किसी की जरूरत है । 
       आरव सोचते हुए बोला -मुझे !मुझे किस की जरूरत है । ओह ! अच्छा ! हां ... यह बात तो सही है आपकी , सच में मुझे आप सब की बहुत जरूरत है । अगर आप सब में से कोई एक आदमी भी हटा तो मुझे बहुत ज्यादा परेशानी हो सकती है । इस रेस्टोरेंट को चलाने में और इसे मसहूर करने में तो आप सबका ही हाथ है । मेरा क्या मैं तो बस पैसा लगा दिया है इसमें।


क्रमश: .....


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रचनाएँ
❤️कसक प्यार की( मेरी सुलोचना )👁️
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ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है । इस कहानी का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति या समूह को ठेस पहुंचाना नहीं है ।       आरव एक रेस्टोरेंट का मालिक है । आरव बाहर से दिखने में अकड़ू पर अंदर से मोम की तरह नरम दिल और सुलझा हुआ व्यक्ति है । वो किसी की भी मदद करने में पीछे नहीं रहता । चाहे वो इंसान गलत हो या सही । वो ये जाने बगैर ही मदद कर देता है ।  सुलोचना उस रेस्टोरेंट की वर्कर है ।सुलोचना  झल्ली समझदार और एक मेहनती लड़की है  । रेहान सुलोचना का दोस्त और उसकी जान है । अद्धिक आरव का बचपन का दोस्त और  पार्टनर है । उन दोनों  में सगे भाईयों जैसा प्यार  हैं । आरव सूलोचना का हाथ पकड़कर लगभग खींचते हुए रेस्टोरेंट के बाहर ले गया । आरव गुस्सा से आंख लाल किए सूलोचना को बाजू से पकड़कर एक एक शब्द पर जोर दे कर पूछ रहा था । तुम समझती क्या हो अपने आप को ? तुम कौन हो मेरी ? दोस्त या फिर गर्लफ्रेंड क्या रिश्ता है हमारा ? जब कोई रिश्ता ही नहीं है तो तुम मेरे काम में टांग मत  अड़ाया करो । लालची हो तुम । तुम मेरे पैसे लेकर रख लेती हो ।  कभी मुझे वापस किया तुमने । कभी नहीं । तुम सोची कि मैं तुम से पैसे मांगूंगा  नहीं और  तुम  मेरे पैसे लेकर अमीर बनने का सोचने लगी होगी । है ना । ओ .. अच्छा अब समझा कहीं तुम मुझे जो ज्ञान बाटती फिरती हो ,इसे मत दो उसे मत दो कहीं उसका किराया तो नहीं लेती हो । यह भी हो सकता है । ⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ इतने इल्ज़ाम और बेइज्जती के बाद क्या सुलोचना आरव को सही गलत का फर्क समझायेगी ? क्या सुलोचना साथ देगी आरव का ? ये जानने के लिए इस कहानी को पढ़िये । ❤️ रितिका सिंह✍🏻
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