सूलोचना जब से रेस्टोरेंट में काम करना शुरू कि थी । तब से देख रही थी कि महीने में तीन चार लोग ऐसे आते थे । जो जुवारी और नशेड़ी थे । वो उसके बॉस के पास अपना झूठा दुखड़ा रोते थे । उनकी दुख सुनकर उसका बॉस उन्हें जब हजार - दो हजार रुपये दे देता था । वो उसके बॉस से पैसे लेकर उड़ाते थे । यह देख कर सूलोचना को अपने बॉस के लिए बहुत दुख होता था । उसे दुख होता था कि बेवजह यह सब इतने सारे पैसे उड़ा देते हैं ।
ऐसे ही एक दिन एक व्यक्ति आया और उसके बॉस के पास अपना दुखड़ा रोने लगा । यह उस व्यक्ति का दूसरा व तीसरा बार था । वह आदमी जूवारी था । यह बात सुलोचना जानती थी । इसलिए वह सीधा काउंटर से उठकर अपने बॉस के पास आई और वो अपने बॉस का हाथ पकड़ते हुए बोली - बॉस ! इसे पैसे मत दीजिए । इसकी किसी भी बेटी की शादी नहीं है । उसकी कोई बेटी ही नहीं है । इसकी जब शादी ही नहीं हुई है तो इसकी बेटी कहां से आ गयी ।
बॉस - ये क्या कर रही हो आप ? इन्हें सच में पैसों की जरूरत है । मुझे देने दीजिए वो अपने हाथ की ओर देखते हुए कहा ।
तब जाकर सुलोचना को ध्यान आया औ उसे अपनी गलती का अहसास हुआ । वो शर्मिंदा होते हूंए बोली - स . सॉ ....सॉरी बॉस !
बॉस - इट्स ओके !😊 फिर वह पैसे देने लगा तो सुलोचना उसके हाथ से पैसे छिन कर जाते हुए बोली - इस जुवारी से बोलो कि खुद मेहनत करके पैसा कमाए और अपनी ज़रूरते पूरा करें । अगर आपने इसे दोबारा से पैसा देंगे तो मैं वो भी ले लूंगी । अपने दोनों उंगलियो से इसारा करते हुए बोली - जरा संभल कर रहीएगा मेरे से ।और वो फिर वापस काउंटर के पास जाने लगी । उसे जाते हुए उसका बॉस देख रहा था और इधर सारे स्टाफ आपस में खुस -पुसु कर रहे थे । आज तो पक्का इसकी जॉब जानी है । अरे देखा नहीं इसने बॉस का हाथ भी पकड़ लिया था और तो और इसने बॉस के हाथ से पैसे भी छीन लीये । पक्का आज इसकी छुट्टी होने वाली है । जब सुलोचना वहां काउंटर पर गई तो उसका दोस्त रेहान उसके कंधे पर हाथ रख कर बोला - वेल्डन सुलोचना ! तुम ने बहुत अच्छा काम किया है । तुम ही हो जो बॉस को सही और गलत लोगों का फर्क बता सकती हो ।
सुलोचना स्माइल करती है और लैपटॉप में कस्टमर्स का बिल बनाने लगती है । हर रोज की तरह आज भी बॉस रेस्टोरेंट आया और अपने स्टाफ से हाय हेलो करता है और आदत के अनुसार सबसे उनकी जरूरत पूछता है । वह सब से पूछ कर अपने रेस्टोरेंट के सैफ के पास गया । हेलो ! चीफ ! कैसे हैं ?
चीफ - मैं ठीक हूं । तुम बताओ बेटा कैसे हो ?
बॉस - बस मैं भी ठीक हूं । आप ठीक तो मैं भी ठीक ।
चीफ हसते हुए बोले - तुम बहुत मजाहीया हो आरव । ( रेस्टोरेंट के सैफ उम्र में बड़े थे । इसलिए बॉस यानी आरव उनको चीफ कह कर बुलाता है । सैफ भी उसे अपने बेटे की तरह प्यार करते है )
आरव - चीफ आपको कुछ चाहिए । यानी किसी चीज की जरूरत हो तो बोलिए । मैं आपकी सेवा में हाजिर हूं ।
चीफ - नहीं बेटा ! मुझे कुछ नहीं चाहिए । परंतु तुम्हें किसी की जरूरत है ।
आरव सोचते हुए बोला -मुझे !मुझे किस की जरूरत है । ओह ! अच्छा ! हां ... यह बात तो सही है आपकी , सच में मुझे आप सब की बहुत जरूरत है । अगर आप सब में से कोई एक आदमी भी हटा तो मुझे बहुत ज्यादा परेशानी हो सकती है । इस रेस्टोरेंट को चलाने में और इसे मसहूर करने में तो आप सबका ही हाथ है । मेरा क्या मैं तो बस पैसा लगा दिया है इसमें।
क्रमश: .....