काश चिड़िया चहचहाती, मेरे आँगन में
ज़िन्दगी फिर मुस्कुराती,मेरे आँगन में
ब्याह दी बिटिया सयानी, रच गई घर-बार मे
बेटे की वो ही कहानी, हैं बहू के प्यार मे
झान्झने कब झन झनझनाती, मेरे आँगन में
अख़बार के प़न्ने पलटते, दिन मे वो, सौं सौं दफ़ा
फोन पर जाके ठिठकते, दिन मे वो, सौं सौं दफ़ा
एक घंटी बज ना पाती, मेरे आँगन में
कोने में कबसे बिसूरता काठ का वो टूटा घोड़ा
दो अलग कीलो पे लटका गुड्डे गुड्डी का वो जोड़ा
न बाराते, ना बाराती, मेरे आँगन में