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मानव मस्तिष्क से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

10 अगस्त 2016

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समाज में ऐसे व्यक्तित्व का विकास करना जो समतामूलक स्वस्थ समाज की रचना के लिए अति आवश्यक हैं । ऐसे व्यक्ति ही अपनी संकीर्ण सीमा से ऊपर उठकर समाज, देश और विश्व स्तर पर अपनी सेवाएं दे सकते हैं । ऐसे व्यक्तियों की स्मृति जितनी अच्छी होगी उतनी ही ज्ञान ग्रहण करने की क्षमती बढ़ जाएगी । जितना ज्ञान होगा, उसी के आधार पर भविष्य की योजनाएं बनेंगी और उनका क्रियान्वयण होगा ।


स्मरण शक्ति कम होने के कारण


1.      निन्द्रा और आलस्य की ओर व्यक्ति का झुकाव ।

2.      मस्तिष्क की झुकाव पढ़ने की तरफ न होना ।

3.      टी.वी, मोबाईल, और अन्य मनोरंजन के साधनों के प्रति आकर्षण ।

4.      रीढ़ की हड्डी को झुका कर बैठने को आदि होना ।

5.      शरीर में कफ का जमना और मल का अवरोध होना ।

6.      निषेधात्मक दृष्टिकोण को होना ।

7.      स्मृति में डाले गए विषयों को नहीं दोहराना ।

8.      क्रोध, भय, चिन्ता, तनाव और अहंकार से ग्रस्त होना ।

9.      मस्तिष्क का सीमित विकास या विकृत मस्तिषक का होना ।


स्मरण शक्ति बढ़ाने के व्यावहारिक तरीके


1.      वाणी संयम का अभ्यास करना ताकि मस्तिष्कीय ऊर्जा का बेकार खर्च न हो ।

2.      पढ़ने के प्रति रुचि और जागरूकता पैदा करना चाहिए ।

3.      पढ़े गए विषयों को बार-बार दोहराना ।

4.      पढ़ने के बाद आवश्यक विषयों को बिन्दु के रूप में याद रखना ।

5.      शरीर में कफ की प्रकृति को काबू में रखना ।

6.      हमेशा रीढ़ की हड्डी को सीधा रखकर बैठना चाहिए, जिससे मस्तिष्क की इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ियां सदा स्वस्थ बनी रहें ।

7.      क्रोध, भय, चिन्ता, तनाव और अहंकार से मुक्ति पाने का उपाय करना ।

8.      अपना लक्ष्य निर्धारित करके उसमें रुचि लेना और व्यर्थ की बातों में समय खर्च नहीं करना ।   समय का प्रबंधन करना ।

9.      अध्ययन के साथ अध्यात्म को भी पालन करना ।


स्मरण शक्ति बढ़ाने के प्रायोगिक तरीके


1.      ज्ञान मुद्रा- दोनों हाथों की तर्जनी और अंगूठे के पोरों को मिलाकर इस प्रकार घुटनों पर रखें कि हथेली का निचला भाग घुटने पर रहे । शेष तीन उगलियाँ मिली हुई और सीधी हो ।

2.      महाप्राण ध्वनि-सोने से पूर्व, सोकर उठने के तुरंत बाद एवं पढ़ने से पूर्व नौ-नौ बार महाप्राण ध्वनि का अभ्यास करें अर्थात किसी भी आसन में बैठकर, नेत्र बंद रखते हुए ओठ बंद करें तथा ओम् का गुंजन करें।

3.      आसन- योगमुद्रा, सर्वागासन एवं शशांकासन का नियमित अभ्यास करें ।

4.      ध्यान- ज्ञान केन्द्र आज्ञाचक्र पर सूर्यमुखी फूल की तरह चमकते पीले रंग का ध्यान करें । (समय-10 मिनट)

5.      भावना- रात को सोते समय शरीर को शिथिल करके भावना जागृत करे कि मेरी स्मरण शक्ति बढ़ रही है ।

6.      ऊं ह्रीं सरस्वत्यै नमः का सोते समय जप करें ।

7.      त्राटक- किसी मोमबती को आंखों जितनी ऊंचाई पर रखे । उसकी दूरी एक मीटर हो । आंख खोलकर लगातार मोमबती की लौ पर दृष्टि एकाग्र करें । कुछ देर बाद नेत्र बंद करें । फिर खोलें फिर पहले से अधिक देर तक देखें । जब तक आंखों से पानी न आ जाए एक टक देखें । बाद में हथेलियों का कप-सा बनाकर बंद आंखों पर रखें ।


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अमितेश मिश्र

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काफी रोचक जानकारियां हैं जेपी हंस जी

11 अगस्त 2016

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रचनाएँ
jphans
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हिन्दी युवा रचनाकार एवं ब्लॉगर । ब्लॉग का नाम शब्द क्रांति।
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ऐ जिंदगी तुझे कैसे बताऊ जरा?

19 मार्च 2016
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ऐ जिंदगी तुझे कैसे बताऊँ जरा ?किस तरह ठोकरे खाकर पाषाण की तरह हूँ खड़ा ।आँधी आई, तुफान आया, फिर भी घुट-घुट कर हूँ पड़ा ।ऐ जिंदगी तुझे कैसे बताऊँ जरा ?लाजिमी सोच-सोच में अभी मैं जिंदा हूँ ।बातों को सुन-सुन के कातिल की तरह शर्मिदा हूँ ।गर्दिश-ए-शर्मिंदगी को कैसे भगाऊँ जरा ।ऐ जिंदगी तुझे कैसे बताऊँ जरा

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आओ बदल ले खुद को थोड़ा

19 मार्च 2016
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बड़ी-बड़ी हम बातें करते,पर कुछ करने से हैं डरते,राह को थोड़ा कर दें चौड़ा,आओ बदल लें खुद को थोड़ा ।ख्वाब ये रखते देश बदल दें,चाहत है परिवेश बदल दें,पर औरों की बात से पहले,क्यों न अपना भेष बदल दें ।चोला झूठ का फेंक दें आओ,सत्य की रोटी सेंक लें आओ,दौड़ा दें हिम्मत का घोड़ा,आओ बदल लें खुद को थोड़ा ।एक

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आओ बदल ले खुद को थोड़ा

19 मार्च 2016
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बड़ी-बड़ी हम बातें करते,पर कुछ करने से हैं डरते,राह को थोड़ा कर दें चौड़ा,आओ बदल लें खुद को थोड़ा ।ख्वाब ये रखते देश बदल दें,चाहत है परिवेश बदल दें,पर औरों की बात से पहले,क्यों न अपना भेष बदल दें ।चोला झूठ का फेंक दें आओ,सत्य की रोटी सेंक लें आओ,दौड़ा दें हिम्मत का घोड़ा,आओ बदल लें खुद को थोड़ा ।एक

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होली आई रे होली आई।

20 मार्च 2016
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होली आई रे होली आई ।पहला होली उनका संग मनाई।जो गिर पड़े है पउआ चढ़ाई।पकड़ के उनका ऐसा नली मे गिराई।जिसका गंध कोई न सह पाई।होली आई रे होली आई ।दूजे होली उनका संग मनाई।जो फ़ूहड़ फ़ूहड़ दिन-रात गाना बजाई।बहू-बेटी देखकर सीटी बजाई।पकड़ के उनका ऐसा बंदर बनाई।जिसका रूप मां-बाप न पहचान पाई।होली आई रे होली आई ।तीजे

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हमारा नया वर्ष आया है।

23 मार्च 2016
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आत्मीयता का विश्वास लेकर ।मधुरता का पैगाम लेकर ।दरिद्रता का अन्न लेकर ।आज धरा पर आया है ।हमारा नया वर्ष आया है ।            नवजीवन में मुस्कुराहट लेकर ।            खिले मन सा सुमन लेकर ।            वनिता का सिंदूर लेकर ।            भाई-भाई का प्रेम लेकर ।            आज धरा पर आया है ।            हमा

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हमारा नया वर्ष आया है।

23 मार्च 2016
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मुझे कौन पूछता था, तेरी बंदगी से पहले

29 जुलाई 2016
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मुझे कौन पूछता था, तेरी बंदगी से पहलेमुझे कौन पूछता था, तेरी बंदगी से पहले,मैं तुम्हीं को ढूँढता था, इस जिन्दगी से पहले,मैं खाक का जरा था और क्या थी मेरी हस्ती,मैं थपेड़े खा रहा था ,जैसे तूफाँ में किश्ती,दर-दर भटक रहा था, तेरी बंदगी से पहले,मैं इस तरह जहाँ में, जैसे खाली सीप होती,मेरी बढ़ गयी है कीम

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मानव मस्तिष्क से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

10 अगस्त 2016
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पद, पैरवी और पुरस्कार

24 दिसम्बर 2017
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पद, पैरवी और पुरस्कार काआपस में घनिष्ठ नाता है । पद की प्रतिष्ठा होती है इसलिए पद की लालसा में मनुष्यपैरवी करने से गुरेज नहीं करता पर पैरवी के लिए पैसे की जरूरत होती है अन्यथा किसीमंत्री-संत्री से पैरवी में पैसे के बदले में कुछ खातिरदारी कर पद प्राप्त किया जासकता है । यह खातिरदारी किस रूप मे

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