मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१। प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला,एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला,जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चु
कभी जो अधरों से पिलायी थी तुमने प्रेम हाला अभी भी उस खुमारी में झूमु मैं होकर मतवाला ना मंदिर में ना मस्जिद में दिखे मुझे दुनिया बनाने वाला मेरा तो तू ही रब तू ही मेरा शिवाला मधु रस में डूबे सभी पर तू ही मेरा प्रेम प्याला तू ही साकी मेरा तुम ही हो हाला ज