कभी जो अधरों से पिलायी थी तुमने प्रेम हाला अभी भी उस खुमारी में झूमु मैं होकर मतवाला ना मंदिर में ना मस्जिद में दिखे मुझे दुनिया बनाने वाला मेरा तो तू ही रब तू ही मेरा शिवाला मधु रस में डूबे सभी पर तू ही मेरा प्रेम प्याला तू ही साकी मेरा तुम ही हो हाला ज