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महान साहित्यकार रविंद्रनाथ टैगोर

31 जुलाई 2022

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रविंद्रनाथ नाथ हमारे देश के ऐसे अनोखे हीरे थे जिनका नाम देश के हरेक लोग जानते हैं, देश ही नहीं विदेशो में भी उनकी रचना को लोग पढ़ते हैं। पसंद करते हैं। इनकी प्रतिभा से लोग प्रभावित होकर इन्हें गुरुदेव भी कहते थे। इन्होंने साहित्य को एक उच्च स्थान दिलाया। इन्हें प्रथम नोबेल पुरस्कार भी मिला। 

टैगोर जी का जन्म 7 मई 1861 को बंगाल के ठाकुर बाड़ी मे हुआ, ये बंगाल में है। इनके पिता देवेंद्र नाथ टैगोर और माता शारदा देवी थी। इन्होंने 8 वर्ष की उम्र से कविता लिखना शुरू कर दिया था और 16 वर्ष में लघु कथा प्रकाश हुआ। इनकी पढाई सेंट जवियर स्कूल में हुई। इनके पिता ने इन्हें कानून की पढाई के लिए विदेश भेज दिया था वहाँ से ये 1880 में वापस देश आ गये। इनके 3 भाई और बहन भी पढे लिखे थे कोई कवि तो कोई अफसर थे। टैगोर जी साहित्य के साथ साथ कला संगीत को भी महत्व दिया। इनकी रचना गीतांजलि को बहुत सम्मान मिला । गीतांजलि के लिए इन्हें 1913 में नोबेल पुरस्कार मिला। इन्होंने देश के राष्ट्रगान जन गन मन की भी रचना किया। गीतांजलि में 2230 गीत हैं। इन्हें आइंस्टाइन भी बहुत पसंद करते थे। इन्होंने बंगला देश का भी रास्ट्रगान लिखा। गांधी जी को सबसे पहले इन्होंने ही महात्मा का नाम दिया। इन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ आवाज उठाई और लोगों को हमेशा अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित किया। वो कहते थे कि सरल जीवन जियो और काम उच्च करो। कर्म से ही इंसान की पहचान होती है। वो कहते थे कि जब खाली बैठे हो तो किताब पढ़ो ताकि दिमाग तेज हो और गलत सोच से भी बचोगे। अपने जीवन से प्यार करो वैल्यू दो तभी अच्छा काम करोगे। वो कहते थे कि परेशानी से मत डरो बल्कि निडर होकर जियो। विनम्रता ही महानता की पहचान होती है। इसलिए कितना भी बड़ा आदमी बनो हमेशा नम्र व्यवहार करो सबके साथ। इतने ऊचे विचार के थे रविंद्र नाथ टैगोर। 

Nibha kumari की अन्य किताबें

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Good life और success life

29 जुलाई 2022
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इंसान अगर थोड़ा सा अनुशासित होकर काम करे तो उसके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है करना या जीवन में सक्सेस होना । जितने लोग भी इस दुनिया में सफल हुए हैं वो कोई अलग नहीं है, हम सब के जैसे ही साधारण व्यक्ति हो

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3 अगस्त 2022
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बुद्ध एक राजा के पुत्र थे, उनके जीवन में सुख सुविधा भरी हुई थी। जब उन्होंने अपने राज्य में देखा कि कोई बुढा बीमार हो गया, कोई चलने में लाचार अनेकों परेशानी से लोग गुजर रहे हैं तब उन्हें ये सब देख कर ब

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7 अगस्त 2022
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शिवाजी महाराज एक सच्चे मराठा गुरु थे। इनकी माँ जीजा बाई और पिता शाह जी थे, जो मुगलो के साथ काम करते थे। इनका जन्म 19 फरवरी 1627 को हुआ। वो अपनी माँ के ज्यादा करीब थे। उनकी माँ हमेशा शिवाजी को रामायण ग

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भारत के वीर सपूत

13 अगस्त 2022
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हमारा भारत देश वीरों का देश है। जब भी कोई दूसरा देश हमारे उपर बुरी नजर करता है तो पूरा देश मिलकर उसका सामना करता है और हिम्मत से जीतता है। हमने आसानी से आजादी नहीं पायी, हमारे देश के वीरों ने अंग्रेजो

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उत्तराखंड के दार्शनिक जगह

16 अगस्त 2022
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उत्तराखंड भारत के उत्तर दिशा में स्थित है। इसका ज्यादा हिस्सा पहाड़ों का है। पहाड़ी लोग बहुत सीधे और मिलनसार होते हैं। उत्तराखंड को देव भूमि भी कहते हैं क्योकि यहाँ बहुत से तीर्थ स्थल हैं। यहाँ बहुत स

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इंसान जब अपने को मजबूर लाचार समझता है तभी उसे मानसिक परेशनियाँ होती हैं उसे कोई दूसरा रास्ता दिखता ही नहीं है या जो रास्ता दिखता है वो उसे बेकार लगता है। ये इंसान की आदत होती है कि जो मिलता है उसकी कद

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शिक्षक शिक्षा और शिक्षण संस्थान के योगदान से मनुष्य शिक्षित योग्य बनता है l शिक्षण संस्थान के अच्छे गुरु शिक्षक का कितना महत्व है लोगों के जीवन में यह बात केवल वही इंसान बता सकता है जिसने स्कूल कॉलेज

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सभी जानते हैं कि दुर्गा जी की शक्ति के रूप में पूजा जाता है l इस सृष्टि मे उनसे ज्यादा शक्तिशाली कोई नहीं है क्योंकि सभी देवताओं ने उन्हें अपना शष्त्र देकर उन्हें इतना शक्ति शाली बनाया ताकि कोई भी असु

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दुर्गा जी के 9 रूपों से सीखे

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