रविंद्रनाथ नाथ हमारे देश के ऐसे अनोखे हीरे थे जिनका नाम देश के हरेक लोग जानते हैं, देश ही नहीं विदेशो में भी उनकी रचना को लोग पढ़ते हैं। पसंद करते हैं। इनकी प्रतिभा से लोग प्रभावित होकर इन्हें गुरुदेव भी कहते थे। इन्होंने साहित्य को एक उच्च स्थान दिलाया। इन्हें प्रथम नोबेल पुरस्कार भी मिला।
टैगोर जी का जन्म 7 मई 1861 को बंगाल के ठाकुर बाड़ी मे हुआ, ये बंगाल में है। इनके पिता देवेंद्र नाथ टैगोर और माता शारदा देवी थी। इन्होंने 8 वर्ष की उम्र से कविता लिखना शुरू कर दिया था और 16 वर्ष में लघु कथा प्रकाश हुआ। इनकी पढाई सेंट जवियर स्कूल में हुई। इनके पिता ने इन्हें कानून की पढाई के लिए विदेश भेज दिया था वहाँ से ये 1880 में वापस देश आ गये। इनके 3 भाई और बहन भी पढे लिखे थे कोई कवि तो कोई अफसर थे। टैगोर जी साहित्य के साथ साथ कला संगीत को भी महत्व दिया। इनकी रचना गीतांजलि को बहुत सम्मान मिला । गीतांजलि के लिए इन्हें 1913 में नोबेल पुरस्कार मिला। इन्होंने देश के राष्ट्रगान जन गन मन की भी रचना किया। गीतांजलि में 2230 गीत हैं। इन्हें आइंस्टाइन भी बहुत पसंद करते थे। इन्होंने बंगला देश का भी रास्ट्रगान लिखा। गांधी जी को सबसे पहले इन्होंने ही महात्मा का नाम दिया। इन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ आवाज उठाई और लोगों को हमेशा अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित किया। वो कहते थे कि सरल जीवन जियो और काम उच्च करो। कर्म से ही इंसान की पहचान होती है। वो कहते थे कि जब खाली बैठे हो तो किताब पढ़ो ताकि दिमाग तेज हो और गलत सोच से भी बचोगे। अपने जीवन से प्यार करो वैल्यू दो तभी अच्छा काम करोगे। वो कहते थे कि परेशानी से मत डरो बल्कि निडर होकर जियो। विनम्रता ही महानता की पहचान होती है। इसलिए कितना भी बड़ा आदमी बनो हमेशा नम्र व्यवहार करो सबके साथ। इतने ऊचे विचार के थे रविंद्र नाथ टैगोर।