शिवाजी महाराज एक सच्चे मराठा गुरु थे। इनकी माँ जीजा बाई और पिता शाह जी थे, जो मुगलो के साथ काम करते थे। इनका जन्म 19 फरवरी 1627 को हुआ। वो अपनी माँ के ज्यादा करीब थे। उनकी माँ हमेशा शिवाजी को रामायण गीता और अच्छे वीर लोगों की कहानी सुनाती थी। वीरों की कहानी सुन सुन कर इनमें भी वीरता की भावना जग गया। ये लिडरो की तरह लोगों को मुगलो की गुलामी से बाहर निकलने के लिए प्रेरित करते थे। जब मुगलो को ये पता चला तो शिवाजी को इस काम से रोकने के लिए उनके पिता को बंदी बना कर जेल में डाल दिया । शिवाजी महाराज बिल्कुल नहीं डरे मुगलो से और बहुत ही बुद्धिमानी होशियारी से पिता को जेल से बाहर निकाल लिया। ये हमेशा अपनी होशियारी बुद्धिमानी से योजना बनाकर मुगलो से जीत जाते थे। एक बार अफजल खान इनको धोखे से मारने के लिए झूठ बोला कि हम आपसे संधि करना चाहते हैं और अपने किले में बुलाया। शिवाजी को पहले से ही शक था इसलिए उन्होंने अंदर लोहे का कवच पहन कर गए थे। वहाँ जैसे ही अफजल ने गले लगा कर पीछे से खंजड़ मारा उन्हें कुछ नहीं हुआ और बच गये, फिर उन्होंने अफजल खान को मार दिया वही, और प्रतापगढ़ का किला जीत लिया। इसके 18 दिन के बाद ही इन्होंने पनहल की किला जीत लिया। इन्होंने अपने जीवन में 360 किला जीता। इन्होंने किसी धर्म का कभी विरोध नहीं किया। शिवाजी औरतों का बहुत इज्जत आदर करते थे। इन्होंने 1674 में मराठा राज्य का गठन किया। इनकी वीरता के लिए छत्रपति का नाम दिया गया था। अपनी माँ के कारण ही ये इतने महान पुरुष बन पाये।