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मानसिक परेशनियाँ

1 सितम्बर 2022

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इंसान जब अपने को मजबूर लाचार समझता है तभी उसे मानसिक परेशनियाँ होती हैं उसे कोई दूसरा रास्ता दिखता ही नहीं है या जो रास्ता दिखता है वो उसे बेकार लगता है। ये इंसान की आदत होती है कि जो मिलता है उसकी कद्र नहीं करता है और जो नहीं मिलता उसका अफसोस जीवन भर  करता है। यही आदत कब मानसिक परेशानी बन जाती है ये पता ही नहीं चलता है। इसलिए अपने आप को हमेशा बैलेंस करते हुए कोई नया काम करे कि जो होगा अच्छा ही होगा।

हरेक इंसान को अपने शरीरिक और मानसिक दोनों तरह से स्वस्थ रहना जरूरी होता है। ये जीवन खाना खाकर सोने के लिए तो नहीं मिला है, अगर कोई काम मेहनत नहीं करेगा तो खाना भी कहाँ से मिलेगा। इसलिए जीने के लिए काम तो करना ही है फिर परेशान होकर क्यों काम करना है। अपने लाइफ का महत्व दो और खुद से बोलो कि हमें भी अपनी अच्छी पहचान बनानी है, मुझे भी दुनिया मेरे अच्छे काम से जानेगी। में भी बहुत अच्छा काम कर सकता हूँ। मेरे पास भी बुद्धि है शक्ति है अपने जीवन में कुछ अलग करने के लिए जो सिर्फ मेरी पहचान होगी। 

सभी लोगों को अपनी जिम्मेदारी समझ कर कोई काम करना चाहिए या कोई फैसला लेना चाहिए, इंसान से गलती भी होती है इसलिए गलती होने पर खुद को भी और दूसरे को भी माफ करके बिना लडाई झगड़े के उस गलती को ठीक करने के लिए कोशिश करना चाहिए। फालतू की बकबास और दूसरे को दोष देकर कोई फायदा नहीं होता है। बीती हुई बात को भी अपने जिंदगी में कभी चर्चा ना करे उससे किसी का फायदा नहीं होता है बल्कि याद कर के दुःख परेशानी ही होती है। कोई कुछ बुरा बोल दे तो भी अपनी भलाई के लिए, अपनी सेहत को ठीक रखने के लिए उसे तुरंत भूल जाये हँस कर जबाब दे, या अनसुना कर देना चाहिए। ये जिंदगी आपकी है और अपनी सेहत को मानसिक परेशनियाँ से बचाना आपको है कोई दूसरा आपके लिए नहीं सोचेगा अगर आप खुद के लिए नहीं सोचेंगे तो। इसलिए हमेशा सकरात्मक सोच के साथ काम करे और अपनी अच्छी पहचान के साथ जियो। 

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