मर्यादा पुरुषोत्तम का अर्थ होता है जो इंसान किसी भी काम को उसके नियम में रहकर सबके हित के लिए काम करे। अपने आस पास में रहने वाले बड़ों का आदर उनके आज्ञा का पालन, उनकी बात को समझना और फिर काम करना। भगवान होते हुए भी अपनी शक्ति का उपयोग कभी नहीं किया। एक साधारण व्यक्ति की तरह जीवन को नियम से बांध कर जिया।
वो अपनी तीनों माता से प्यार करते थे। तीनों माताएँ भी उनको बहुत प्यार करती थी। अपने छोटे भाईयों को भी बहुत प्यार करते थे। उन्हें कभी राजा बनने का लोभ लालच नहीं था कि मै बड़ा हुँ तो मुझे ही बनना है। वो भरत को भी दिल से राजा बनाना चाहते थे। उनके तीनों भाई राम जी को बहुत प्यार करते थे। उनका परिवार अपने अयोध्या की प्रजा को बहुत मानती थी "प्रजा भी ऐसा राजा पाकर अपने आप को धन्य समझती थी।
जिस राज्य का राजा इतना अनुशासित हो प्रजा को अपना बच्चा समझे तो वो राज्य सबसे अनोखा और सफल राज्य है सभी लोग उस राज्य के सुखी होंगे। इसलिए अभी भी लोग कहते है कि राम राज्य में सभी बराबर हक बाले थे वो अपनी परेशानी अपनी जरूरी सीधे सीधे राजा को बता पाते थे और राजा खुल कर उनकी मदद करते थे। ऐसा आज तक कोई दूसरा राजा नहीं बन पाया। कोई साधारण व्यक्ति तो सोच भी नहीं सकता है। ऐसे हमारे भगवान राम थे।