माता गौरी जी को असुरों को खत्म करने के लिए देवताओं को असुरों से बचाने के लिए एक शक्ति के रूप में विशाल रूप लेना पड़ा और अपने आठ भुजाओं में अस्त्र शस्त्र को धारण किया ताकि असुर जिस रूप में भी आये वो उसे मार सके ।
1/ शैल पुत्री के रूप में वो एक बेटी के रूप में राजा हिमालय के घर पैदा ली और जैसे सभी बच्चे अपने माता के घर पलते बड़े होते हैं उन्होंने भी सबकुछ किया। शैल पुत्री बैल पर सवार एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल है। इन रूप से ये सीख मिलती है कि परिवार में सबसे मिलकर रहना एक दूसरे का मदद करना लेकिन दूसरे के गलत बातों से अपने आप को बचा कर रखना।
2/ ब्रह्मचारिणी स्वरूप में माता का रूप तपस्या करने वाली का है। उन्होंने शिव जी को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इस रूप से ये सीख मिलती है कि किसी भी अच्छी चीज को पाने के लिए कठिनाई को झेलना पड़ता है। इनके एक हाथ में जप माला और दूसरे में कमंडल है।
3/ चंद्रघंटा माता के मस्तक पर घंटा के आकार का अर्ध चन्द्र है इसी लिए इन्हें चंद्र घंटा कहते हैं। माता सिंह पर सवार है और इनके 10 हाथ है सभी हाथों में अस्त्र शस्त्र है। इनसे सीखना चाहिए कि सहन शक्ति बढ़ाना। अपनी शक्ति को बढ़ाना, अपना भी महत्व देना।
4/ कुष्मांडा देवी ये रूप सृष्टि की रचना करने वाली है। इन्हे अष्ट भुजा माता भी कहते हैं। इनके आठ हाथो में कमंडल, धनुष बाण कमल, अमृत कलश, चक्र और गदा माला है। इस रूप से लोगों को एक दूसरे को स्वीकार करने की शक्ति मिलती है जो जैसा है वैसा ही स्वीकार करो। रोग बीमारी दूर करने के लिए इनकी पूजा करते हैं।
5/ स्कंद माता का नाम स्कंद यानी कार्तिकेय की माता। इनकी गोद में बाल रूप में कार्तिकेय हैं। इनके दूसरे हाथ में कमल है। ये कमल पर विराजमान हैं। इन्हें पद्मासना भी कहते हैं। इन रूप से लोगों को सही गलत समझने परखने की शक्ति मिलती है।
6/ कत्यायनि माता इनकी पूजा सबसे पहले ऋषि कत्यायन ने किया था इसी से इनका नाम कत्यायनि पड़ा। इनके एक हाथ में कमल और दूसरे मे तलवार है। इनकी पूजा से अर्थ धर्म काम मोक्ष सभी मिलते हैं। इनसे निर्णय करने की शक्ति सीखनी चाहिए। जो सही है वो करना गलत नहीं करना है।
7/ कालरात्रि रूप में माता संकट दूर करने वाली है। इनके एक हाथ में खडग और दूसरे मे कांटा है। इनकी पूजा से डर भय भूत प्रेत सभी दूर रहते हैं। इनसे लोगों को परेशानी को दूर करने की शक्ति मिलती है। अपनी शक्ति से बड़े से बड़े संकट को भी भगाने की शक्ति।
8/ महागौरी इस रूप में माता गोरी रंग का रूप है। जब तपस्या करने के कारण माता का रंग काला हो गया था तो शिव जी ने गंगा जल से माता का चेहरा साफ किया था और माता का रूप चाँद की तरह सफेद रंग का हो गया। इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू है। इनसे लोगों को ये सीखना चाहिए कि अपने इच्छा पूर्ति के लिए जो कठिनाई होती है उसे मत देखो बाद में सब कुछ ठीक हो जाता है।
9 सिद्धि दात्री ये रूप माता सभी सिद्धी को देती है इनके रूप से ही शिव जी अर्ध नारेश्वर रूप में हुए। ये सिंह और कमल दोनों पर विराजमान हैं। इनके हाथों में शंख चक्र गदा और कमल है। इनकी पूजा से सभी मनोकामना पूरी हो जाती है। इनसे सीखना चाहिए कि माँ के कई रूप होते हैं हरेक जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए औरत को अलग अलग सोच अलग अलग काम करना चाहिए।