मैं मंजिल की ओर बढ़ता जा रहा,
एक नया इतिहास गढ़ता जा रहा।
वक्त गया बीत पर अफसोस ना
जो बचा है जीत हेतु काफी हां
इसका अब सदुपयोग करना है मुझे
क्षण क्षण फिर भी फिसलता जा रहा।
सबको लेके साथ आगे बढ़ना है
मुश्किलों के बावजूद चढ़ना है
बचना है फिसलने से हर पल मुझे
पग पग पर संभलता जा रहा।
बिन तुम्हारे कैसा होगा ये सफर
साथ तुम्हारा चाहिए मुझे हर डगर
खाली हाथ लौटना नहीं मुझे
प्यार का सागर बहाता जा रहा।
तोड़ कर बहूंगा अब बांध सब
जोड़ कर रहूंगा अब पांव सब
सबको एक साथ करना है मुझे
बस तुम्हारे भरोसे चलता जा रहा।
लेखक— एन.डी.आसेरी,
जीनगर मौहल्ला, गोपेश्वर बस्ती, गंगाशहर,
बीकानेर, राज. 334401
मो. 9414142641