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जीनगर ज्योति

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जीनगरसहभा 

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पुस्तक के भाग

1

जाग रहा है समाज—

13 मार्च 2016
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     जीनगर समाज के राष्ट्रीय संगठन को लेकरपिछले एक माह से वाट्सअप व फेस बुक के माध्यम से चल रही मुहीम से बरसों से स्थिरसमाज में हलचल होने लगी है। सब की इच्छा है कि दूसरे समाजों की तरह हमारे समाज काभी राष्ट्रीय संगठन हो। ऐसा राष्ट्रीय संगठन जिसकी सभी जगह समान शाखाएं हो, जब सबको स्वीकारहो, जिसका सब लो

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मैं मंजिल की ओर बढ़ता जा रहा

13 मार्च 2016
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मैं मंजिल की ओर बढ़ता जा रहा,एक नया इतिहास गढ़ता जा रहा।वक्त गया ​बीत पर अफसोस नाजो बचा है जीत हेतु काफी हांइसका अब सदुपयोग करना है मुझेक्षण क्षण फिर भी फिसलता जा रहा।सबको लेके साथ आगे बढ़ना हैमुश्किलों के बावजूद चढ़ना हैबचना है फिसलने से हर पल मुझेपग पग पर संभलता जा रहा।बिन तुम्हारे कैसा होगा ये सफ

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सा कला या विमुक्त्ये

19 मार्च 2016
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कला संसार"सा कला या विमुक्तेय" कला वह जो मुक्त कर दें l सजा दें जीवन को सुन्दरत्तम रूप में, छांव हो या धूप में सदैव तटस्थ रहे और ईश्वर को धन्यवाद कहे मन से l तन से स्वस्थ रहे, मन से मस्त रहे ओर करता रहे सृजन l सृजन वयक्ति व प्रकृति का कर्म व धर्म हैl शिशु का जन्म दम्पति का सर्वोत्तम सृजन हैl सजीव सृ

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